किसी सुनसान स्थान पर पेशाब कर देने से क्या भूत लग जाता है?

Webdunia
बुधवार, 19 अप्रैल 2017 (16:33 IST)
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के लोगों के बीच यह धारणा प्रचलित है कि सुनसान जगह, नदी, नाले या जंगल में पेशाब नहीं करना चाहिए अन्यथा कोई भूत आपके पीछे लग सकता है। भारत के गांव और खेड़ों में यह देखने और सुनने को मिलता है कि भूतबाधा से ग्रस्त फलां व्यक्ति ने एक पेड़ ने नीचे या घूड़े पर पेशाब कर दिया था उसके बाद से ही यह भूत बाधा से ग्रस्त है।
 
कई मंदिर, दरगाह और साधु संतों के यहां माथा टेकने के बाद भी बहुतों की हालात ठीक नहीं होती। हालांकि आज के विज्ञान के युग में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि किसी को भूत लग सकता है। मरे हुए लोग कभी किसी को परेशान नहीं कर सकते।
 
हालांकि फिर भी ऐसी मान्यता हैं कि किसी सुनसान या जंगल की किसी विशेष भूमि कर पेशाब कर देने से भूत या जिन्न पीछे लग जाता है। मान्यता अनुसार वहां कोई आत्मा निवास कर रही हो और आपने वहां जाकर पेशाब कर दिया हो तो?
 
ऐसे में कुछ लोग पहले थूकते हैं फिर पेशाब करते हैं और कुछ लोग कोई मंत्र वगैरह पढ़कर ऐसा करते हैं। जैन धर्म के अनुसार पेशाब करने के बाद कहा जाता हैं कि भगवान शकेंद्रनाथ की आज्ञा से ऐसा किया गया। कुछ लोग यह कहने के बाद पेशाब करते हैं- उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव मैं मूतन आया। यह धाणणा दृढ़ है कि किसी भी प्रकार की भूतबाधा हो तो हनुमानजी की शरण में जाने से यह समस्या समाप्त हो जाती है।
 
अन्य मान्यता :
* नदी, पूल या जंगल की पगडंडी पर पेशाब नहीं करते। 
* मान्यता अनुसार एकांत में पवित्रता का ध्यान रखते हैं और पेशाब करने के बाद धेला अवश्य लेते हैं। उचित जगह देखकर ही पेशाब करते हैं।
* भोजन के बाद पेशाब करना और उसके बाद बाईं करवट सोना बड़ा हितकारक है।

वर्ष 2025 में क्या 1 लाख पार कर जाएगा शेयर मार्केट, जानिए क्या कहता है ज्योतिष

New Year 2025 Astrology: क्या वर्ष बदलने से बदलेगा आपका भाग्य, पढ़ें सटीक जानकारी

January Rashifal 2025: जनवरी 2025 से चमकेगा किन राशियों का भाग्य, पढ़ें 12 राशियों का मासिक भविष्‍यफल

मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और उत्तरायण का त्योहार कब रहेगा?

महाकुम्भ मेले में क्या होती है पेशवाई ? जानें आस्था के महापर्व से जुड़ी ये खास बात

Mahakumbh 2025 : स्पीड बोट से संगम स्नान और दर्शन का अनूठा अनुभव

04 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

04 जनवरी 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

प्रयागराज कुंभ मेला 1989: इतिहास और विशेषताएं

प्रयागराज कुंभ मेला 2001: इतिहास और विशेषताएं

अगला लेख