3 कारण जिसके चलते शनिदेव नहीं डालते हनुमान भक्तों पर नजर

अनिरुद्ध जोशी
जिसे लगाता है कि उसको शनि या अन्य किसी ग्रह की बाधा है, साढ़े साती, अढ़ाय्या या राहु की महादशा चल रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं। जिन पर हनुमानजी की कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं। अब जाने की क्या कारण है कि हनुमान भक्त और हनुमानजी की ओर शनिदेव देखते भी नहीं है।
 
 
1. एक बार रामजप में बाधा डालने के बारण शनिदेव को हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था और अपना रामकार्य करने लग गए थे। इस दौरान शनिदेव को कई चोटे आई। बाद में जब हनुमानजी को याद आया तो उन्होंने शनिदेव को मुक्त किया। तब शनिदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने कहा कि आज के बाद में रामकार्य और आपके भक्तों भक्तों के कार्य में कोई बाधा नहीं डालूंगा।
 
संपूर्ण जानकारी हेतु आगे क्लिक करें...  हनुमानजी और शनिदेव से जुड़े 5 रोचक किस्से, जानकर चौंक जाएंगे

 
2. एक बार हनुनामजनी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था तब शनि भगवान ने वचन दिया था कि मैं आपके किसी भी भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखूंगा।

 
3. पराशर संहिता में हनुमानजी की शादी का उल्लेख है। माना जाता है कि हनुमानजी का सांकेतिक विवाह सूर्य की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। आंध्रप्रदेश के खम्मम में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की भी मूर्ति विराजमान है। शास्त्रों में शनि महाराज को सूर्य का पुत्र बताया गया है। इस नाते हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला शनि महाराज की बहन हुई। और सबके संकट दूर करने वाले हनुमान जी भाग्य के देवता शनि महाराज के बहनोई हुए।
 
चंद्रमा को हनुमानजी ने शनि से बचाया था तो वे चंद्रशेखर कहलाए थे। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मंगला गौरी व्रत कब रखा जाएगा, क्या है माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

भविष्य मालिका की भविष्यवाणी के अनुसार तीसरा विश्‍व युद्ध कब होगा, भारत में लगेगा मिलिट्री शासन?

सावन सोमवार से संबंधित आरती चालीसा सहित महत्वपूर्ण जानकारी

अमरनाथ यात्रा शुरू, बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से पहला जत्था रवाना

कैलाश मानसरोवर भारत का हिस्सा क्यों नहीं है? जानिए कब और कैसे हुआ भारत से अलग?

सभी देखें

धर्म संसार

05 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

पंचांग का ज्ञान, 7 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच क्या होने वाला है?

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए क्यों नहीं लेते एक दूसरे का नाम?

05 जुलाई 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

सावन में भोलेनाथ के इन 5 तीर्थों पर होता है भव्य मेलों का आयोजन, लगता है शिव भक्तों का तांता

अगला लेख