ज्येष्ठ माह के 12 वर्जित कार्य, ये खाने से होगा नुकसान

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक तिथि और वार को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं का वर्णन मिलता है। इसी प्रकार से प्रत्येक माह में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस संबंध में भी विस्तार से वर्णन मिलता है। यहां पर संक्षिप्त में जानिए कि ज्येष्ठ माह में क्या खाना चाहिए और कैसा जीवन व्यापन करना चाहिए। उल्लेखनी है कि 27 मई से ज्येष्ठ माह का प्रारंभ होगा जो 24 जून 2021 तक रहेगा। ज्येष्ठ माह हिन्दू कैलेंडर का तीसरा माह है।
 
 
।।चौते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल।
सावन साग, भादो मही, कुवांर करेला, कार्तिक दही।
अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिश्री, फाल्गुन चना।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।।।

।।चैत चना, बैसाखे बेल, जैठे शयन, आषाढ़े खेल, सावन हर्रे, भादो तिल।
कुवार मास गुड़ सेवै नित, कार्तिक मूल, अगहन तेल, पूस करे दूध से मेल।
माघ मास घी-खिचड़ी खाय, फागुन उठ नित प्रात नहाय।।

 
1. ज्येष्ठ माह में दोपहर में चलना खेलना मना है। 
 
2. इन महीनों में गर्मी का प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घूमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक से अधिक शयन करना चाहिए।
 
3. इस माह बेल खाना चाहिए या बेल का रस पीना चाहिए।
 
4. इस माह में लहसुन, राईं, गर्मी करने वाली सब्जियां और फल नहीं खाना चाहिए।
 
5. इस माह में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। 
 
6. इस माह में जल की पूजा की जाती है। इस माह में जल को लेकर दो त्योहार मनाए जाते हैं, पहला गंगा दशहरा और दूसरा निर्जला एकादशी। 
 
7. घाघ ने कहा कि जो व्यक्ति ज्येष्ठ माह में दिन में सोता है वह रोगी होती है।
 
8. इस माह में बैंगन खाने से दोष लगता है और रोग उत्पन्न होता है। यह संतान के लिए शुभ नहीं होता है।
 
9. ज्येष्ठ के माह में ज्येष्ठ पुत्र या पुत्री का विवाह करना शुभ नहीं माना जाता है।
 
10. ज्येष्ठ माह में एक समय भोजन करना वाला निरोगी रहता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है- 'ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।
 
11. इस माह तिल का दान करने से अकाल मृत्यु से जातक बचा रहता है।
 
12. ज्येष्ठ माह में हनुमानजी की प्रभु श्रीराम से मुलाकात हुई थी। इसीलिए इस माह में हनुमानजी की पूजा करने से लाभ मिलता है।

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