मंदिर में प्रवेश से पहले क्यों बजाई जाती है घंटी, आते समय भूलकर भी न बजाएं घंटी, जानिए नियम

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 16 जुलाई 2022 (14:46 IST)
Mandir me ghanti kyu bajate hai : मंदिर के प्रवेश द्वारा पर घंटी लगी होती है। घंटी बजाकर ही मंदिर में प्रवेश किया जाता है। कई लोग मंदिर से बाहर निकलते समय भी बजाते हैं घंटी। आओ जानते हैं कि क्यों बजाई जाती है घंटी और क्या है इसके नियम।
 
क्यों बजाई जाती है घंटी Why is the bell ringed :
1. देवालयों में घंटी और घड़ियाल संध्यावंदन के समय आरती करने के लिए बजाएं जाते हैं।
 
2. घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है।
 
3. घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है। जिससे शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।
 
4. घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
 
5. जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती हैं। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
 
6. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद 'ओंकार' के उच्चारण से भी जागृत होता है।
 
7. घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी। चारों ओर घंटियों की आवाज सुनाई देगी।
घंटी बजाने के नियम Ringing rules:
1. मंदिर में दर्शन करने के बाद बहार निकलते समय भूलकर भी घंटी नहीं बजाई जाती है। यदि हम किसी के घर जाते हैं तो दरवाजे पर नॉक करते हैं या बैल बजाते हैं लेकिन लौटते वक्त हम यही कार्य नहीं करते हैं। इसी तरह लौटते वक्त मंदिर की घंटी बजाना मंदिर नियम के विरूद्ध है।
 
2. घंटी मंदिर में प्रवेश करते वक्त और आरती के वक्त ही बजाई जाती है।
 
3. जोर-जोर से घंटी नहीं बजाते हैं। घंटी 2 य 3 बार ही बजाते हैं। 

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