श्रावण माह की विनायक चतुर्थी के व्रत पर कैसे करें पूजा और पारण

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Shravan Chaturthi 2023: प्रतिवर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत रखा जाता हैं। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार 21 जुलाई 2023, शुक्रवार को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है। श्री गणेश जी का जन्म समय मध्यकाल होने के कारण विनायक चतुर्थी पर उनका पूजन दिन में ही किया जाता है। 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार अधिक मास हर 3 साल में आता है। अत: इस बार की चतुर्थी का अधिक महत्व बढ़ गया है। अत: अधिक मास की विनायक चतुर्थी पर श्री गणपति जी की पूजा करने से धन-सुख और संतान प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत से व्यापार, करियर, नौकरी में उन्नति होती है। इस दिन सायंकाल श्री गणेश पूजन के बाद पारण करें। आइए यहां जानते हैं कैसे करें श्री गणेश का पूजन : 
 
सरल शब्दों में जानें कैसे करें पूजा :
 
- श्रावण चतुर्थी व्रत के दिन प्रात:काल जल्दी जागकर दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं।
 
- फिर स्नानादि करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और श्री गणेश की आरती, चालीसा और स्तोत्र आदि का पाठ करें।
 
- फिर पूजा स्थल पर गणेश जी के नाम की चौकी बनाएं।
 
- उसमें स्वस्तिक के चिह्न बना कर मिट्टी या गोबर से बने हुए गणेश की स्थापना करें।
 
- अधिक मास की विनायक चतुर्थी पर दोपहर या मध्याह्न के समय पूर्व दिशा में मुख करके बैठें।
 
- तत्पश्चात 108 दूर्वा/दूब की पत्तियों, बेल पत्र, सुगंधित पुष्प, अक्षत, रोली, कलावा आदि से पूजन-अर्चन करें।
 
- फिर धूप, अगरबत्ती, दीया जलाएं और श्री गणेश की आरती करें। 
 
- अब श्री गणेश जी को शुद्ध घी के बने 21 या 31 लड्डू, अर्पित करें।
 
- सायंकाल में पुन: गणेश जी की पूजा करके लड्डूओं को प्रसाद के रूप में वितरित करें। 
 
- इस दिन गणेश जी के बारह नामों की पूजा की जाती है। 

गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।।
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।
विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।
 
- मंत्र- 'ॐ वक्रतुंडा हुं' का 108 बार जाप करें। 
 
- इस तरह श्री गणेश का पूजन करके अंत में गणेश जी की पुन: आरती करें।
 
- अब श्री गणेश जी से घर की सुखसमृद्धि, संपन्नता के लिए वरदान मांगें। 
 
21 जुलाई विनायक चतुर्थी का पूजन समय :
 
अधिक विनायक चतुर्थी पूजन का समय- 11.05 ए एम से 01.50 पी एम
अवधि- 02 घंटे 45 मिनट्स
अभिजित मुहूर्त- 12.00 पी एम से 12.55 पी एम तक।
श्रावण शुक्ल चतुर्थी 21 जुलाई, शुक्रवार को 06.58 ए एम से, 
चतुर्थी समापन- 22 जुलाई, शनिवार को 09.26 ए एम पर।

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