बेड़ी हनुमान मंदिर पुरी, जगन्नाथ मंदिर की रक्षा करते हैं रामदूत

अनिरुद्ध जोशी
भारतीय राज्य ओड़िसा में सप्तपुरियों में से एक है पुरी जहां पर प्रभु जगन्नाथ का विश्‍व प्रसिद्ध मंदिर है। इसे चार धामों में एक माना जाता है। इस मंदिर को राजा इंद्रद्युम्न ने हनुमानजी की प्रेरणा से बनवाया था। कहते हैं कि इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ने श्री हनुमानजी को ही सौंप रखा है। यहां के कण कण में हनुमानजी का निवास है। हनुमानजी ने यहां कई तरह के चमत्कार बताए हैं।
 
 
इस मंदिर के चारों द्वार के सामने रामदूत हनुमानजी की चौकी है अर्थात मंदिर है। परंतु मुख्‍य द्वार के सामने जो समुद्र है वहां पर बेड़ी हनुमानजी का वास है। यह कथा बहुत लंबी है कि क्यों हनुमानजी बेड़ी हनुमानी के रूप में यहां स्थापित हुए।
 
माना जाता है कि 3 बार समुद्र ने जगन्नाथजी के मंदिर को तोड़ दिया था। कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुति (हनुमानजी) को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे। वे प्रभु के दर्शन के लिए नगर में प्रवेश कर जाते थे, ऐसे में समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था। केसरीनंदन हनुमानजी की इस आदत से परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमानजी को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया।
 
 
यहां जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। भक्त लोग बेड़ी में जकड़े हनुमानजी के दर्शन करने के लिए आते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सावन मास में कितने और कब कब प्रदोष के व्रत रहेंगे, जानिए महत्व और 3 फायदे

शुक्र का वृषभ राशि में गोचर, 3 राशियों के लिए होगी धन की वर्षा

देवशयनी एकादशी पर करें इस तरह से माता तुलसी की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

sawan somwar 2025: सावन सोमवार के व्रत के दौरान 18 चीजें खा सकते हैं?

एक्सीडेंट और दुर्घटनाओं से बचा सकता है ये चमत्कारी मंत्र, हर रोज घर से निकलने से पहले करें सिर्फ 11 बार जाप

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज ये 4 राशि वाले रखें सावधानी, 03 जुलाई का राशिफल दे रहा चेतावनी

कैलाश मानसरोवर भारत का हिस्सा क्यों नहीं है? जानिए कब और कैसे हुआ भारत से अलग?

03 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

03 जुलाई 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी की पूजा, उपाय, व्रत का तरीका, मंत्र और महत्व