कविता : कुछ गड़बड़ है!

डॉ. निशा माथुर
देख रही हूं कुछ गड़बड़ है,
ये बेचैनी और ये हड़बड़ है!!
 
मोहब्बत नई दिखे है जालिम,
बोली में भी तेरे खड़खड़ है!!
 
बदली से ये बादल टकराया,
अब बिजली की कड़कड़ है!!
 
हरियाला सावन जमके बरसा,
इश्किया पत्तों की खड़खड़ है!! 
 
बूंद-बूंद-बूंद क्यूं बतियाते हो,
खुद से खुद की बड़बड़ है!!
 
पंगे नए-नए लिए है दिल से,
दिल से दिल की तड़तड़ है!!
 
रेलगाड़ी में सफर करोगे बाबू,
बिन पटरी के तो धड़धड़ है!!
 
बिना तान की बजी शहनाई,
पुंगी बाजा सब जड़वड़ है!!
 
उड़ गया पंछी-सा दिल तेरा,
अब पंखों की ये फड़फड़ है!!
 
प्यार किया तो डरना क्या है,
प्यारे, प्यार हुआ तो गड़बड़ है!!

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पुनर्जन्म के संकेतों से कैसे होती है नए दलाई लामा की पहचान, जानिए कैसे चुना जाता है उत्तराधिकारी

हिंदू धर्म से प्रेरित बेबी गर्ल्स के अ से मॉडर्न और यूनिक नाम, अर्थ भी है खास

बिना धूप में निकले कैसे पाएं ‘सनशाइन विटामिन’? जानिए किन्हें होती है विटामिन डी की कमी?

क्या दुनिया फिर से युद्ध की कगार पर खड़ी है? युद्ध के विषय पर पढ़ें बेहतरीन निबंध

शेफाली जरीवाला ले रहीं थीं ग्लूटाथियोन, क्या जवान बने रहने की दवा साबित हुई जानलेवा!

सभी देखें

नवीनतम

महाराष्‍ट्र की राजनीति में नई दुकान... प्रोप्रायटर्स हैं ठाकरे ब्रदर्स, हमारे यहां मराठी पर राजनीति की जाती है

खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?

बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन

चातुर्मास: आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकृति से सामंजस्य का पर्व

कॉफी सही तरीके से पी जाए तो बढ़ा सकती है आपकी उम्र, जानिए कॉफी को हेल्दी बनाने के कुछ स्मार्ट टिप्स

अगला लेख