Love and War: बारूद की गंध और कारतूस के खोल के बीच भी प्‍यार अपनी जगह ढूंढ लेता है...

नवीन रांगियाल
कि‍तनी ही मिसाइलें गिरें युद्ध क्षेत्र में, कितनी ही तोपें गरजें, कितने ही टैंक रेंग जाएं सीमाओं की छाती पर या कितने ही धमाकों की आवाजों से गरज उठे देशों की सीमाएं!

जहां युद्ध क्षेत्र में सिर्फ बारुद की गंध और कारतूस की खोल ही खनकती हुई शेष रह जाए, प्‍यार वहां भी अपनी जगह ढूंढ़ लेता है।

प्‍यार किसी कारतूस, बंदूक की किसी गोली की तरह सीधा छाती या सिर में नहीं धंसता, वो पानी के रेले की तरह बहता हुआ अपनी जगह बना लेता है, वो विषम से विषम परिस्‍थि‍ति में खुद को स्‍थापित कर लेता है।

प्‍यार, एक दूसरे के दुश्‍मन बने देशों के ध्‍वज की आड़ में भी खुद को महफूज कर लेता है।

ठीक उसी तरह जैसे यूक्रेन और रूस के ये दो प्रेमी अपने-अपने देश के इन दो ध्‍वजों के बीच प्रेम में निश्‍चिंत खड़े हैं अपनी जगह बनाकर।

उन्‍हें न बैलेस्‍टि‍क मिसाइलों की आवाजें आ रही हैं, टैंकों की आहट। वे मौन हैं, लेकिन निडर हैं। वे चुप हैं, लेकिन सबसे मुखर हैं। वे अ‍केले हैं, लेकिन सबसे ज्‍यादा महफूज हैं। वे दो हैं, लेकिन वो एक हैं।

रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच कई तस्‍वीरें सामने आ रही हैं, खून खराबे की, गोले बरसाती हुई फाइटर जेट की, लाशों की, खून से सने चेहरों की, एक देश की बर्बादी की, हजारों तस्‍वीरें, लाखों तस्‍वीरें। इनमें जो सबसे सुंदर, सुखद और सुरक्षित तस्‍वीर है वो प्रेम की यही तस्‍वीर है।

युद्ध और विध्‍वंस के बीच सबसे ताकतवर तस्‍वीर है, उस बाप- बेटी की तस्‍वीर है, जिसमें उन्‍होंने इस क्षण को अपना अंतिम पल मानकर एक दूजे से विदा ली। बेटी बस की खि‍ड़की के भाप से सने कांच पर दिल बनाकर पिता को प्‍यार किया। पिता ने नम आंखों से बेटी को खि‍ड़की की दूसरी तरफ से दुलारा। वो छू नहीं सके, लेकिन उन्‍होंने एक दूजे पर सबसे ज्‍यादा प्‍यार लुटाया।

सबसे ताकतवर वो तस्‍वीर है, जिसमें यूक्रेन के आसमान से बम बरस रहे हैं, मिसाइलें गुजर रहीं हैं, लेकिन यूक्रेन का सैनिक रोते हुए अपनी प्रेमिका के आंसू भी पोंछ रहा है।

प्रेम की ये सारी तस्‍वीरें युद्ध में इस्‍तेमाल किए जा रहे उन आधुनिक हथि‍यारों, मिसाइलों और टैंक से कई गुना ज्‍यादा ताकतवर और सुरक्षि‍त हैं। क्‍योंकि युद्ध की तस्‍वीरें त्रासदियों में तब्‍दील होती हैं और प्यार की तस्‍वीरों में सिर्फ प्‍यार के लिए ही जगह होती है।

खत्‍म होती जिंदगि‍यों के बीच भी इन सारी तस्‍वीरों ने अपने प्‍यार के लिए जगह बना ली।

इस बात को अशोक वाजपेयी की इस कविता से खत्‍म करना चाहिए।
बुहार कर अलग कर दिया तारों को
सूर्य-चन्द्रमा को रख दिया एक तरफ़
वन लताओं को हटाया
उसने पृथ्वी को झाड़ा-पोंछा
और आकाश की तहें ठीक कीं
उसने अपने प्रेम के लिए जगह बनाई



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