जानिए कब खुलेंगे उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट, विश्व में अकेली और अनोखी है यहां की मूर्ति

क्या हैं मंदिर की विशेषताएँ और कैसे होती है यहां नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा

जानिए कब खुलेंगे उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट  विश्व में अकेली और अनोखी है यहां की मूर्ति
WD Feature Desk
बुधवार, 7 अगस्त 2024 (16:08 IST)
Nagchandreshwar Temple

Nagchandreshwar Temple Ujjain : भारत में कई प्रसिद्द और अनोखे मंदिर मंदिर मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर एक  ऐसा ही एक मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके दर्शन साल में केवल एक ही बार होते हैं। आज इस आलेख में हम आपको बता रहे हैं इस मंदिर से जुड़ी और भी कुछ खास बातें।ALSO READ: Nag Panchami 2024: नागपंचमी पर करें ये 5 उपाय, कालसर्प दोष हो जाएगा एकदम समाप्त

सिर्फ नागपंचमी पर ही इस मंदिर में होते हैं दर्शन : वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल नाग पंचमी शुक्रवार, 09 अगस्त को मनाई जाएगी। यह तिथि भगवान शिव और नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर एक ऐसा ही एक मंदिर है जो पूरे वर्ष में केवल नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलता है।

कब खुलेगा मंदिर
इस बार नाग पंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर के पट 08 अगस्त की रात 12 बजे खोले जाएंगे, जो 09 अगस्त की रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। भक्त 24 घंटों तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन करता है उसे सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण हर साल नागपंचमी पर मंदिर खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है।

क्या है नागचंद्रेश्वर मंदिर की खासियत
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर विराजमान हैं नागचंद्रेश्वर। यहां पर नाग देवता की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, जो 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। मान्यता है कि यह प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी। इस प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उसके ऊपर शिव-पार्वती विराजमान हैं।

उज्जैन का नागचंद्रेश्वर एकलौता ऐसा मंदिर है जहां विष्णु भगवान की बजाय भगवान महादेव सर्प शय्या पर विराजमान हैं। पूरे साल में इस मंदिर के पट केवल 24 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है।

 
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