उज्जैन में विराजमान हैं साढ़े तीन काल, होती है कालगणना

अनिरुद्ध जोशी
विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी के पास बसी सप्तपुरियों में से एक भगवान श्रीकृष्‍ण की शिक्षा स्थली अवं‍तिका अर्थात उज्जैन को राजा महाकाल और विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। यहां तीन गणेशजी विराजमान हैं चिंतामन, मंछामन और इच्छामन। यहां पर ज्योतिर्लिंग के साथ दो शक्तिपीठ हरसिद्धि और गढ़कालिका है और 84 महादेव के साथ ही यहां पर देश का एक मात्र अष्ट चिरंजीवियों का मंदिर है। यह मंगलदेव की उत्पत्ति का स्थान भी है और यहां पर नौ नारायण और सात सागर है। यहां के शमशान को तीर्थ माना जाता है जिसे चक्र तीर्थ कहते हैं। यहां पर माता पार्वती द्वारा लगाया गया सिद्धवट है। श्रीराम और हनुमान ने उज्जैन की यात्रा की थी। यहां के कुंभ पर्व को सिंहस्थ कहते हैं। राजा विक्रमादित्य ने ही यहीं से विक्रमादित्य के कैलेंडर का प्रारंभ किया था और उन्होंने ही इस देश को सर्वप्रथम बार सोने की चिढ़िया कहकर यहां से सोने के सिक्के का प्रचलन किया था। महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।
 
1. यहां पर साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। इनकी पूजा का विशेष विधान है।
 
2. यहीं से विश्‍व का काल निर्धारण होता है अर्थात मानक समय का केंद्र भी यही है। उज्जैन से ही ग्रह नक्षत्रों की गणना होती है और यहीं से कर्क रेखा गुजरती है।
 
3. प्राचीनकाल में उज्जैन से ही संपूर्ण धरती का मानक समय नियुक्त होता था। यह सूर्य और कर्क रेखा के ठीक नीचे है।
 
4. भारतीय मान्यता के अनुसार जब उत्तर ध्रुव की स्थिति 21 मार्च से प्राय: 6 मास का दिन होने लगता है तब 6 मास के तीन माह व्यतीत होने पर सूर्य दक्षिण क्षितिज से बहुत दूर हो जाता है। उस दिन सूर्य ठीक उज्जैन के उपर होता है। उज्जैन का अक्षांश और सूर्य की परम कांति दोनों ही 240 अक्षांस पर मानी गई हैं। यह स्थिति पूरी धरती पर और कहीं निर्मित नहीं होती है। 
 
5. उज्जैन 23.9 अंश उत्तर अक्षांश एवं 770 देशांतर पर समुद्र की सतरह से 1658 फुट की ऊंचाई पर बसी हुई है।
 
6. वराह पुराण में उज्जैन को नाभि देश और महाकालेश्वर को अधिष्ठाता कहा गया है।
 
7. देशांतर रेखा और कर्क रेखा यहीं एक -दूसरे को काटती हैं। जहां यह काटती हैं संभवत: वहीं महाकालेश्वर मंदिर स्थित है।
 
8. यहां पर ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर और वेधशाला की स्थापना से कालगणना का मध्य बिंदु होने के सबूत मिलते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

16 मई 2024 : आपका जन्मदिन

16 मई 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

seeta navami 2024 : जानकी जयंती पर जानें माता सीता की पवित्र जन्म कथा

अगला लेख