श्रीकृष्ण ने बसाए थे ये तीन नगर...

Webdunia
भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा हिन्दुओं के लिए मदीना या बेथलेहम की तरह है। गोकुल, वृंदावन, गिरिराज और द्वारिका में कृष्ण ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षण गुजारे।


 

पूरे भारतवर्ष में कृष्ण अनेक स्थानों पर गए। वे जहां-जहां भी गए, उक्त स्थान से जुड़ीं उनकी गाथाएं प्रचलित हैं लेकिन मथुरा उनकी जन्मभूमि होने के कारण हिन्दू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है।
 
इसके अलावा सोमनाथ के पास प्रभास क्षेत्र में उन्होंने देह त्याग कर दिया था। आज भी वहां उनका समाधि स्थल है। आओ जानते हैं कि मथुरा के अलावा भगवान श्रीकृष्‍ण ने और कौन से नगरों का पुनर्निर्माण करवाया था।
 
अगले पन्ने पर पहला नगर...
 

द्वारिका : द्वारिका का पूर्व में नाम कुशवती था, जो उजाड़ हो चुकी थी। श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर नए नगर का निर्माण करवाया। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने गुजरात के समुद्र के तट पर द्वारिका का निर्माण कराया और वहां एक नए राज्य की स्थापना की।
कृष्ण की द्वारिका को किसने किया था नष्ट?
 
कालांतर में यह नगरी समुद्र में डूब गई जिसके कुछ अवशेष अभी हाल में ही खोजे गए हैं। अभी गुजरात में उक्त द्वारिका के समुद्री तट पर ही भेंट द्वारिका और द्वारका बसी हैं। हिन्दुओं के 4 धामों में से एक द्वारिका धाम को द्वारिकापुरी मोक्ष तीर्थ कहा जाता है। स्कंद पुराण में श्रीद्वारिका महात्म्य का वर्णन मिलता है।
 
मथुरा से निकलकर भगवान कृष्ण ने द्वारिका क्षेत्र में ही पहले से स्थापित व खंडहर हो चुके नगर क्षेत्र में एक नए नगर की स्थापना की थी। कहना चाहिए कि भगवान कृष्ण ने अपने पूर्वजों की भूमि को फिर से रहने लायक बनाया था लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि द्वारिका फिर नष्ट हो गई? 
 
अगले पन्ने पर दूसरा नगर...
 

इंद्रप्रस्थ : इस तरह इंद्रप्रस्थ, जो पूर्व में खांडवप्रस्थ था, को पांडव पुत्रों के लिए बनवाया गया था। यह नगर बड़ा ही विचित्र था। खासकर पांडवों का महल तो इंद्रजाल जैसा बनाया गया था। द्वारिका की तरह ही इस नगर के निर्माण कार्य में मय दानव और भगवान विश्वकर्मा ने अथक प्रयास किए थे जिसके चलते ही यह संभव हो पाया था।
जब पांडवों और उनके चचेरे भाई कौरवों के बीच संबंध बिगड़ गए तो कौरवों के पिता धृतराष्ट्र ने पांडवों को यमुना किनारे खांडवप्रस्थ का क्षेत्र दे दिया। वहां उन्होंने जलाशयों के गड्ढों से घिरे हुए एक नगर को बनाया और उसकी रक्षात्मक प्राचीरें बनाईं। 
 
धृतराष्ट्र के कथनानुसार, पांडवों ने हस्तिनापुर से प्रस्थान किया। आधे राज्य के आश्वासन के साथ उन्होंने खांडवप्रस्थ के वनों को हटा दिया। उसके उपरांत पांडवों ने श्रीकृष्ण के साथ मय दानव की सहायता से उस शहर का सौन्दर्यीकरण किया। वह शहर एक द्वितीय स्वर्ग के समान हो गया। यहां से दुर्योधन की राजधानी लगभग 45 मील दूर हस्तिनापुर में ही रही।
 
आज हम जिसे दिल्ली कहते हैं, वही प्राचीनकाल में इंद्रप्रस्थ था। दिल्ली के पुराने किले में जगह-जगह शिलापटों पर लगे इन वाक्यों को पढ़कर यह सवाल जरूर उठता है कि पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ कहां थी? खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों की राजधानी इसी स्थल पर रही होगी। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुडे़ अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से 1328 ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख लाल किले के संग्रहालय में मौजूद है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है।
 
अगले पन्ने पर तीसरा नगर...
 

वैकुंठ : हिन्दू धर्म मान्यताओं में वैकुंठ जगतपालक भगवान विष्णु का वास होकर पुण्य, सुख और शांति का लोक है, लेकिन हम बात कर रहे हैं उस वैकुंठ धाम की, जो भगवान श्रीकृष्ण का धाम था।
 
विद्वानों के अनुसार इसके कई नाम थे- साकेत, गोलोक, परमधाम, ब्रह्मपुर ‍आदि। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा नगर कहां था? कुछ लोग बद्रीनाथ धाम को वैकुंठ कहते हैं, तो कुछ जगन्नाथ धाम को। कुछ का मानना है कि पुष्कर ही वैकुंठ धाम था। हालांकि कुछ इतिहासकारों के मुताबिक अरावली की पहाड़ी श्रृंखला पर कहीं वैकुंठ धाम बसाया गया था, जहां इंसान नहीं सिर्फ साधक ही रहते थे।
 
श्रीकृष्ण ने अरावली की पहाड़ी पर कहीं छोटा-सा नगर बसाया था। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। भू-शास्त्र के अनुसार भारत का सबसे प्राचीन पर्वत अरावली का पर्वत है। माना जाता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने वैकुंठ नगरी बसाई थी। राजस्थान में यह पहाड़ नैऋत्य दिशा से चलता हुआ ईशान दिशा में करीब दिल्ली तक पहुंचा है। 
 
अरावली या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुजरती 560 किलोमीटर लंबी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियां दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। अगर गुजरात के किनारे अर्बुद या माउंट आबू का पहाड़ उसका एक सिरा है तो दिल्ली के पास की छोटी-छोटी पहाड़ियां धीरज (The Ridge) दूसरा सिरा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Jagannath rath yatra date 2024 : जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 की तारीख व मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की अमावस्या कब है, कर लें इस दिन 5 उपाय, होगा कल्याण

Lok sabha election results 2024 : न्यूमरोलॉजी के अनुसार 4 जून 2024 को किसकी बनेगी सरकार

Vastu Tips : यदि घर की दक्षिण दिशा में ये एक कार्य किया तो लक्ष्मी रूठ जाएगी, यमराज होंगे प्रसन्न

बच्चे का नाम रखने की है तैयारी तो जानें क्या है बच्चे के नामकरण संस्कार की सही विधि

Ganga dussehra 2024 : गंगा दशहरा कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Numerology : बहुत ही खूबसूरत होती है इस तारीख को जन्मीं लड़कियां, हर कोई चाहता है इन्हें

Maa lakshmi : शाम को कर लिए यदि ये 5 काम तो माता लक्ष्मी का होगा घर में प्रवेश

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

4 june 2024 panchang: 4 जून 2024 का पंचांग और शुभ मुहूर्त जानें