क्या रावण के पास थे हवाई जहाज और उसके खुद के एयरपोर्ट?

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 6 अगस्त 2020 (11:29 IST)
हाल ही में दक्षिण भारत में रावण को महिमामंडित करने का प्रचलन बढ़ा है। इन लोगों के अनुसार रावण के पास खुद के हवाई जहाज और हवाई अड्डे थे। आओ जानते हैं इस संबंध के दावे को।
 
 
1. 50 जगहों पर रिसर्च : 'श्रीलंकाज रामायण ट्रेल' नामक 'स्प्रिच्युअल टूरिज्म' और श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर एवं वहां के पर्यटन मंत्रालय ने द्वारा अशोक वाटिका, राम-रावण युद्ध भूमि, रावण की गुफा, रावण के हवाई अड्डे, रावण का शव, रावण का महल और ऐसे 50 रामायणकालीन स्थलों की खोज करने का दावा ‍किया गया है। बकायदा इसके सबूत भी पेश किए गए हैं। वर्ष 2004 में पंजाब के बांगा इलाके के रहने वाले अशोक कैंथ श्रीलंका में अशोक वाटिका की खोज की सुर्खियां में आथे था। श्रीलंका सरकार ने 2007 में रिसर्च कमेटी का गठन किया। कमेटी में श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल क्लाइव सिलवम, ऑस्ट्रेलिया के डेरिक बाक्सी, श्रीलंका के पीवाई सुंदरेशम, जर्मनी की उर्सला मुलर, इंग्लैंड की हिमी जायज शामिल हैं। अब तक कमेटी ने श्रीलंका में रावण के महल, विभीषण महल, श्रीगुरु नानक के लंका प्रवास पर रिसर्च की है।
 
2. चार एयरपोर्ट थे : दावे अनुसार रावण के चार हवाई अड्डे भी ढूंढ लिए गए हैं। वेरांगटोक (जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है) में हैं ये हवाई अड्डे। यहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियांगना मध्य, श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहां ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है। इसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है।
 
3. चार एयरपोर्ट के नाम : श्रीलंका की श्रीरामायण रिसर्च कमेटी के अनुसार रावण के चार हवाई अड्डे थे। उनके चार हवाई अड्डे ये हैं- उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला। इन चार में से एक उसानगोड़ा हावाई अड्डा नष्ट हो गया था। रिसर्च कमेटी के अनुसार कई साल की खोज में ये हवाई अड्डे मिले हैं। कमेटी की रिसर्च के मुता‍बिक रामायण काल से जुड़ी लंका वास्तव में श्रीलंका ही है।
 
4. हनुमानजी ने नष्ट किया एक एयरपोर्ट : कमेटी अनुसार सीता की तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे तो लंका दहन में रावण का उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था। उसानगोड़ा हवाई अड्डे को स्वयं रावण निजी तौर पर इस्तेमाल करता था। यहां रनवे लाल रंग का है। इसके आसपास की जमीन कहीं काली तो कहीं हरी घास वाली है। 
 
5. रावण ने कैसे प्राप्त किए था विमान : रामायण अनुसार रावण सीता का हरण कर पुष्पक विमान द्वारा श्रीलंका ले गया था। रामायण में वर्णित है कि युद्ध के बाद श्रीराम, सीता, लक्ष्मण तथा अन्य लोगों के साथ दक्षिण में स्थित लंका से अयोध्या पुष्पक विमान द्वारा ही आए थे। पुष्पक विमान को रावण ने अपने भाई धनपति कुबेर से बलपूर्वक हासिल किया था।
 
6. पुष्पक विमान की विशेषता : पुष्पक विमान का प्रारूप एवं निर्माण विधि ब्रह्मर्षि अंगिरा ने बनाई थी और इसका निर्माण डिजाइल और कार्यक्षमता को भगवान विश्वकर्मा ने निर्मित किया था। इस अद्भुत रचना के कारण ही वे 'शिल्पी' कहलाए। पुष्पक विमान की यह विशेषता थी कि वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी और बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी। यह विमान आकाश में स्वामी की इच्छानुसार भ्रमण करता था अर्थात उसमें मन की गति से चलने की क्षमता थी।
 
7. और भी थे विमान : कहते हैं रावण के पास पुष्पक विमान के अलावा और भी विमान थे। हालांकि अभी इस पर रिसर्च जारी है कि रावण के पास कितने विमान थे। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित ‘वैमानिक शास्त्र’ जिसमें एक उड़ने वाले यंत्र ‘विमान’ के कई प्रकारों का वर्णन किया गया था तथा हवाई युद्ध के कई नियम व प्रकार बताए गए। ‘गोधा’ ऐसा विमान था जो अदृश्य हो सकता था। ‘परोक्ष’ दुश्मन के विमान को पंगु कर सकता था। ‘प्रलय’ एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था, जिससे विमान चालक भयंकर तबाही मचा सकता था। ‘जलद रूप’ एक ऐसा विमान था जो देखने में बादल की भांति दिखता था।- वेबदुनिया संदर्भ

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