कलियुग में इस नाम से अवतार लेंगे श्री गणेश, करेंगे पापियों का संहार

अनिरुद्ध जोशी
मोदक प्रिय श्री गणेशजी विद्या-बुद्धि और समस्त सिद्धियों के दाता हैं तथा थोड़ी उपासना से ही प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माना गया है। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व उन्हीं का स्मरण और पूजन किया जाता है। आओ जानते हैं कि चारों युग में वे किस अवतार में नजर आते हैं।
 
 
1.कहते हैं कि भगवान श्री गणपति ने कृतयुग अर्थात सतयु में कश्यप व अदिति के यहां श्रीअवतार महोत्कट विनायक नाम से जन्म लिया। इस अवतार में गणपति ने देवतान्तक व नरान्तक नामक राक्षसों का संहार कर धर्म की स्थापना की व अपने अवतार की समाप्ति की। इस युग में गणेशजी का वाहन सिंह है। वे दस भुजाओं वाले, तेजस्वरूप तथा सबको वर देने वाले हैं।
ALSO READ: प्रथम पूज्य गणेश से पूर्व किसकी होती थी प्रथम पूजा?
2.त्रेता युग में गणपति ने उमा के गर्भ से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन जन्म लिया और उन्हें गुणेश नाम दिया गया। त्रेता युग में उनका वाहन मयूर है, वर्णन श्वेत है तथा तीनों लोकों में वे मयूरेश्वर-नाम से विख्यात हैं और छ: भुजाओं वाले हैं। इस अवतार में गणपति ने सिंधु नामक दैत्य का विनाश किया व ब्रह्मदेव की कन्याएं, सिद्धि व रिद्धि से विवाह किया।
 
 
3.द्वापर युग में उनका वर्ण लाल है। वे चार भुजाओं वाले और मूषक वाहन वाले हैं तथा गजानन नाम से प्रसिद्ध हैं। द्वापर युग में गणपति ने पुन: पार्वती के गर्भ से जन्म लिया व गणेश कहलाए। परंतु गणेश के जन्म के बाद किसी कारणवश पार्वती ने उन्हें जंगल में छोड़ दिया, जहां पर पराशर मुनि ने उनका पालन-पोषण किया। इन्ही गणेश ने ही ऋषि वेद व्यास के कहने पर महाभारत लिखी थी।
 
 
इस अवतार में गणेश ने सिंदुरासुर का वध कर उसके द्वारा कैद किए अनेक राजाओं व वीरों को मुक्त कराया था। इसी अवतार में गणेश ने वरेण्य नामक अपने भक्त को गणेश गीता के रूप में शाश्वत तत्व ज्ञान का उपदेश दिया। ऐसा भी कहा जाता है कि वे महिष्मति वरेण्य वरेण्य के पुत्र थे। कुरुप होने के कारण उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया था।
4.कहते हैं कि श्रीगणेशजी कलियुग के अंत में अवतार लेंगे। इस युग में उनका नाम धूम्रवर्ण या शूर्पकर्ण होगा। वे देवदत्त नाम के नीले रंग के घोड़े पर चारभुजा से युक्त होकर सवार होंगे और उनके हाथ में खड्ग होगा। वे अपनी सेना के द्वारा पापियों का नाश करेंगे और सतयुग का सूत्रपात करेंगे। इस दौरान वे कल्कि अवतार का साथ देंगे। 

साभार : गणेश पुराण
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

क्या होगा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य? क्या कहते हैं उनकी कुंडली के सितारे?

होली पर चंद्र ग्रहण से किन 3 राशियों पर होगा इसका नकारात्मक प्रभाव?

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सभी देखें

धर्म संसार

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

ब्रज की होली के 5 सबसे लोकप्रिय गीत

जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

Aaj Ka Rashifal: इन 5 राशियों को मिलेगा आज कारोबार में अपार धनलाभ, पढ़ें 17 फरवरी का दैनिक भविष्यफल

अगला लेख