Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

यदि बर्बाद हो गए हैं तो हिन्दू धर्म की ये 6 बातें आपको फिर से खड़ा कर देंगी

हमें फॉलो करें यदि बर्बाद हो गए हैं तो हिन्दू धर्म की ये 6 बातें आपको फिर से खड़ा कर देंगी

अनिरुद्ध जोशी

किसी भी व्यक्ति के जीवन में पांच तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती है। पहली दैहिक अर्थात सेहत संबंधी, दूसरी मानसिक अर्थात मन संबंधी, तीसरी आत्मिक अर्थात आत्मा संबंधी, चौथी आर्थिक अर्थात धन संबंधी और पांचवीं अदृश्य अर्थात देवी-देवता, ग्रह-नक्षत्र, वास्तु या प्रेत संबंधी। आओ जानते हैं कि कैसे लाइफ स्टाइल बदल कर बदला जा सकता है भविष्य।


 
1.न कोई मरता है और न कोई मारता है:-
गीता कहती है कि संकटों से जूझ कर ही व्यक्ति का आत्मविकास होता है। यदि आप यह समझते हैं कि आप शरीर नहीं हैं। आत्मा तो वस्त्र बदलती रहती है, तो आप यह भी समझ लेंगे कि न कोई मरता है और न कोई मारता है सभी निमित्त मात्र हैं। जो हुआ और जो हो रहा है और जो होगा उसमें तेरा कोई दोष नहीं, क्योंकि तू कर्ता-धर्ता नहीं है। जो खुद को कर्ता मानते हैं वे दुख में जीते हैं। अत: यह समझें कि आप नीचे गिर गए हैं तो अपने कर्मों के कारण ही और ऊपर उठेंगे तो अपने कर्मों के कारण ही।
 
 
3.योग और आयुर्वेद से नाता जोड़ो:-
ऐसा कोई रोग नहीं है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता और ऐसा कोई शोक नहीं है जिसे भगाया नहीं जा सकता। अपनी लाइफ स्टाइल को बदल दीजिए और उसे योग और आयुर्वेद के नियमों में ढाल लीजिए फिर देखिये चमत्कार। सुबह उठते ही चाय, काफी, नाश्ता छोड़िये पहले नींबू पानी या फलों का रस पीजिए फिर शौचादि करें। फिर 6 बार सूर्य नमस्कार करने के बाद जल पीजिए और दोपहर को आयुर्वेद के अनुसार ही भोजन ग्रहण करें। भोजन बदलेंगे तो शरीर बदलेगा, शरीर बदलेगा तो मन और मन बदला तो भविष्य बदल जाएगा।
 
 
4.कर्मों में कुशलता होना जरूरी:-
हिन्दू धर्म में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यह चार पुरुषार्थ बताए गए हैं। शास्त्र कहते हैं कि धर्म का ज्ञान होना जरूरी है तभी कार्य में कुशलता आती है। कार्य कुशलता से ही व्यक्ति जीवन में अर्थ अर्जित कर पाता है। अर्थ का उपार्जन वही व्यक्ति कर पाता है जिसमें हर तरह के कार्य की कुशलता है। काम और अर्थ से इस संसार को भोगते हुए मोक्ष की कामना करनी चाहिए। जिसके भीतर धर्म का ज्ञान नहीं है वह विनम्र, ज्ञानी, समझदार और बुद्धिमान नहीं बन सकता। अर्थ से तात्पर्य है जिसके द्वारा भौतिक सुख-समृद्धि की सिद्धि होती हो। भौतिक सुखों से मुक्ति के लिए भौतिक सुख होना जरूरी है। ऐसा कर्म करो जिससे अर्थोपार्जन हो। अर्थोपार्जन से ही काम साधा जाता है।

 
5.जीवन में नियम होना जरूरी:-
बहुत से लोग हैं जो कभी भी उठ जाते है और कभी भी सो जाते हैं। कभी भी खा लेते हैं और कभी भी कहीं भी घूमने निकल जाते हैं। उनके जीवन में समय का कोई प्रबंधन नहीं होता है। वे बेतरतीब भरा जीवन जीते हैं। जिसके जीवन में समय का प्रबंधन नहीं है वह बस अच्छे भविष्‍य के सपने ही देखा करता है। अत: जीवन में उठने का, पूजा करने का, खाने का, कार्य करने का सोने का और लक्ष्य को भेदने का नियम जरूर बनाएं। समय को व्यर्थ ना बहाएं क्योंकि जीवन है बहुत छोटा सा।
 
6.दृश्य जगत का आधार है अदृश्य जगत:-
हिन्दू धर्म मानता है दृश्य जगत का आधार है अदृश्य जगत। अदृश्य जगत के अस्तित्व को नहीं मानना आसान है क्योंकि उसे समझना कठिन है। यह जान लें कि व्यक्ति के जीवन पर प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक माहौल, ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवताओं और प्रेत आदि अदृश्य गतिविधियों का भी प्रभाव पड़ता है। इसे समझना जरूरी है। इसीलिए कहा गया है कि दक्षिणमुखी मकान में नहीं रहना चाहिए। मकान वास्तु अनुसार होना चाहिए और व्यक्ति को अपना एक ईष्ट जरूर बनाना चाहिए जिसकी वह दुख में भी जिंदगीभर भक्ति करता रहे। आपको यह जानकर आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए कि हनुमानजी की भक्ति में ही शक्ति है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रावण मास विशेष : आइए जानें देवों के देव महादेव के अनूठे परिवार के बारे में