Sharad Purnima : चंद्रमा कौन हैं? कैसे हुआ जन्म, जानिए चंद्रदेव को

Webdunia
सुंदर सलोने चंद्रमा (Moon) को देवताओं के समान ही पूजनीय माना गया है। चंद्रमा के जन्म की कहानी पुराणों में अलग-अलग मिलती है।

ज्योतिष और वेदों में चंद्र को मन का कारक कहा गया है। वैदिक साहित्य में सोम का स्थान भी प्रमुख देवताओं में मिलता है। अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि देवों के समान ही सोम की स्तुति के मंत्रों की भी रचना ऋषियों द्वारा की गई है। 
पुराणों के अनुसार चंद्र की उत्पत्ति :Birth Story of Moon in Hindi 

मत्स्य एवं अग्नि पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचने का विचार किया तो सबसे पहले अपने मानसिक संकल्प से मानस पुत्रों की रचना की। उनमें से एक मानस पुत्र ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ जिससे दुर्वासा, दत्तात्रेय व सोम तीन पुत्र हुए। सोम चंद्र का ही एक नाम है। 
 
पद्म पुराण में चंद्र के जन्म का अन्य वृतांत दिया गया है। ब्रह्मा ने अपने मानस पुत्र अत्रि को सृष्टि का विस्तार करने की आज्ञा दी। महर्षि अत्रि ने अनुत्तर नाम का तप आरंभ किया। तप काल में एक दिन महर्षि के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें टपक पड़ी जो बहुत प्रकाशमय थीं। दिशाओं ने स्त्री रूप में आकर पुत्र प्राप्ति की कामना से उन बूंदों को ग्रहण कर लिया जो उनके उदर में गर्भ रूप में स्थित हो गया। परंतु उस प्रकाशमान गर्भ को दिशाएं धारण न रख सकीं और त्याग दिया। 
उस त्यागे हुए गर्भ को ब्रह्मा ने पुरुष रूप दिया जो चंद्रमा के नाम से प्रख्यात हुए। देवताओं, ऋषियों व गंधर्वों आदि ने उनकी स्तुति की। उनके ही तेज से पृथ्वी पर दिव्य औषधियां उत्पन्न हुई। ब्रह्मा जी ने चंद्र को नक्षत्र, वनस्पतियों, ब्राह्मण व तप का स्वामी नियुक्त किया। 
 
स्कंद पुराण के अनुसार जब देवों तथा दैत्यों ने क्षीर सागर का मंथन किया था तो उस में से चौदह रत्न निकले थे। चंद्रमा उन्हीं चौदह रत्नों में से एक है जिसे लोक कल्याण हेतु, उसी मंथन से प्राप्त कालकूट विष को पी जाने वाले भगवान शंकर ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया। पर ग्रह के रूप में चंद्र की उपस्थिति मंथन से पूर्व भी सिद्ध होती है। 
 
स्कंद पुराण के ही माहेश्वर खंड में गर्गाचार्य ने समुद्र मंथन का मुहूर्त निकालते हुए देवों को कहा कि इस समय सभी ग्रह अनुकूल हैं। चंद्रमा से गुरु का शुभ योग है। तुम्हारे कार्य की सिद्धि के लिए चंद्र बल उत्तम है। यह गोमंत मुहूर्त तुम्हें विजय देने वाला है।

अतः यह संभव है कि चंद्रमा के विभिन्न अंशों का जन्म विभिन्न कालों में हुआ हो। चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की नक्षत्र रूपी 27 कन्याओं से हुआ जिनसे अनेक प्रतिभाशाली पुत्र हुए। इन्हीं 27 नक्षत्रों के भोग से एक चंद्र मास पूर्ण होता है।



ALSO READ: कोजागिरी पूर्णिमा व्रत की प्रचलित पौराणिक कथा क्या है?

ALSO READ: शरद पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त 2022 : कब व कितनी बजे होगा चंद्रोदय, पूर्णिमा की तिथि कब से कब तक है

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Aaj Ka Rashifal: 20 मई 2024 का दैनिक राशिफल, जानिए आज क्या कहती है आपकी राशि

20 मई 2024 : आपका जन्मदिन

20 मई 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Forecast 2024 : साप्ताहिक भविष्‍यफल में जानें 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा नया सप्ताह

Weekly Calendar 2024 : नए सप्ताह के सर्वश्रेष्‍ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग मई 2024 में

अगला लेख