महाशिवरात्रि 2020 : भगवान शिव को इन 8 मंत्रों से दें पुष्पांजलि, पढ़ें शिवरात्रि का महत्व

Webdunia
maha shivratri 2020

पं. दयानंद शास्त्री
 
शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। इस पुण्यतमा तिथि का दूसरा पक्ष ईशान संहिता में इस प्रकार बताया गया है- शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:।
 
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान परम तेजस्वी लिंग के रूप में प्रकट हुए।
 
शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में वर्णित कथा के अनुसार शिवजी के निष्कल (निराकार) स्वरूप का प्रतीक लिंग इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। इसी कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हो गई।
 
जो भक्त शिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेंद्रिय होकर अपनी पूर्ण शक्ति व साम‌र्थ्य द्वारा निश्चल भाव से शिवजी की यथोचित पूजा करता है, वह वर्षपर्यंत शिवपूजन करने का संपूर्ण फल मात्र शिवरात्रि को सविधि शिवार्चन से तत्काल प्राप्त कर लेता है।
 
शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में शिवरात्रि व्रत की विधि एवं महिमा का वर्णन तथा अनजाने में शिवरात्रि व्रत करने से भील पर भगवान शंकर की अद्भुत कृपा होने की कथा मिलती है। भोलेनाथ के समस्त व्रतों में शिवरात्रि सर्वोच्च पद पर आसीन है। भोग और मोक्ष की कामना करने वालों को इस व्रतराज का पालन अवश्य करना चाहिए। देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न रखने वाले सभी मनुष्यों के लिए यह शिवरात्रि व्रत सर्वश्रेष्ठ है।
 
स्कन्द पुराण में इस महाव्रत की प्रशंसा में कहा गया है-
 
परात् परतरंनास्तिशिवरात्रिपरात्परम्।
 
यह शिवरात्रि व्रत परात्पर है अर्थात इसके समान दूसरा कोई और व्रत नहीं है।
 
स्कन्द पुराण के नागर खंड में ऋषियों के पूछने पर सूतजी कहते हैं- माघ मास की पूर्णिमा के उपरांत कृष्णपक्ष
में जो चतुर्दशी तिथि आती है, उसकी रात्रि ही शिवरात्रि है। उस समय सर्वव्यापी भगवान शिव समस्त शिवलिंगों में विशेष रूप से संक्रमण करते हैं।
 
कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम से साध्य होने पर भी महान पुण्यप्रद तथा सब पापों का नाश करने वाला है। जिस कामना को मन में लेकर मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
 
इस लोक में जो चल अथवा अचल शिवलिंग हैं, उन सबमें उस रात्रि को भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है इसीलिए इस महारात्रि को शिवरात्रि कहा गया है। इस 1 दिन उपवास रखते हुए शिवार्चन करने से सालभर के पापों से शुद्धि हो जाती है।
 
जो मनुष्य शिवरात्रि में भगवान शंकर की 5 मंत्रों से पंचोपचार विधिपूर्वक गंध (सफेद चंदन), पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाते हुए पूजा करता है, वह निस्संदेह पापरहित हो जाता है।
 
ये मंत्र हैं- 
 
ॐ सद्योजाताय नम:।
 
ॐ वामदेवाय नम:।
 
ॐ अघोराय नम:।
 
ॐ ईशानाय नम:।
 
ॐ तत्पुरुषाय नम:।
 
इस दिन व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम शिवपुत्र श्री गणेश का स्मरण करके शिवालय या घर में शिवलिंग के सम्मुख व्रत का संकल्प करें। शिवरात्रि के व्रत में उपवास करते हुए रातभर जागने से भगवान शंकर की अनुकंपा अवश्य प्राप्त होती है।
 
इस संदर्भ में स्वयं शिवजी का यह कथन है- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अर्द्धरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी की रात्रि (महाशिवरात्रि) में जागरण, उपवास और आराधना से मुझे जितनी संतुष्टि प्राप्त होती है, उतनी किसी अन्य साधना से नहीं। कलियुग में मुझे प्राप्त करने का यह सबसे सरल व सुगम उपाय है।
 
संस्कृतज्ञशुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सस्वर पाठ के साथ रुद्राभिषेक करें। साम‌र्थ्यवान सुयोग्य आचार्य के माध्यम से रुद्रार्चन कर सकते हैं। अन्य लोग पंचाक्षर मंत्र (नम: शिवाय) द्वारा पवित्र जल, गोदुग्ध, पंचामृत आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
 
शिवरात्रि के चारों प्रहरों में पृथक पूजन का भी विशेष विधान है। रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध से, दूसरे प्रहर में दही से, तीसरे प्रहर में घी से तथा चतुर्थ (अंतिम) प्रहर में शहद द्वारा शिवलिंग का अभिषेक करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। रातभर जागने वाले भक्त शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्तोत्र का आश्रय लेकर रात्रि जागरण सफल कर सकते हैं। शिवरात्रि में सोना अनंत पुण्य राशि को खोना है इसलिए यत्नपूर्वक रात्रि जागरण अवश्य करें।
 
लेकिन जो लोग किसी कारणवश रातभर जगने में असमर्थ हों वे शिवरात्रि की अर्द्धरात्रि में उपलब्ध होने वाले महानिशीथकाल में पूजन करने के उपरांत ही शयन करें।
 
शिवजी को बिल्वपत्र विशेष प्रिय हैं अत: कम से कम 11 अखंडित बिल्वपत्र शिवलिंग पर अवश्य चढ़ाएं। भगवान शंकर को आक, कनेर, मौलसिरी, धतूरा, कटेली, छोंकर के फूल चढ़ाए जाते हैं।
 
शिवपुराण में लिखा है कि देवाधिदेव महादेव की जिन अष्ट मूर्तियों से यह अखिल ब्रह्मांड व्याप्त है, उन्हीं से संपूर्ण विश्व की सत्ता संचालित हो रही है।
भगवान शिव की इन अष्ट मूर्तियों को इन्हीं 8 मंत्रों से पुष्पांजलि दें- 
 
ॐ शर्वायक्षितिमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ भवायजलमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ रुद्रायअग्निमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ उग्रायवायुमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ भीमायआकाशमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ पशुपतयेयजमानमू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ महादेवायसोममू‌र्त्तये नम:।
 
ॐ ईशानायसूर्यमू‌र्त्तये नम:।
 
पुराणों के मत से शिवरात्रि व्रत मात्र शैवों के लिए ही नहीं वरन वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, सौर आदि सभी संप्रदायों के मतावलंबियों के लिए भी अनिवार्य है। प्राचीनकाल में राजा भरत, मांधाता, शिवि, नल, नहुष, सगर, युयुत्सु, हरिश्चंद्र आदि महापुरुषों ने तथा स्त्रियों में लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती, रति आदि देवियों ने भी शिवरात्रि व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन किया था। इस लोक के सभी पुण्य कर्म इस व्रतराज की समानता नहीं कर सकते।
 
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अर्द्धरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी महाशिवरात्रि से प्रारंभ करके वर्षपर्यंत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष में मध्यरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी मासिक शिवरात्रि में व्रत करते हुए शिवार्चन करने से असाध्य कार्य भी सिद्ध हो जाता है। कुंआरियों के लिए विवाह का सुयोग बनता है। विवाहितों के दांपत्य जीवन की अशांति दूर होती है।
 
वस्तुत: शिवरात्रि भगवान शंकर के सान्निध्य का स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है। इस अमोघ व्रत के फलस्वरूप जीव शिवत्व की प्राप्ति से भगवान शिव का सायुज्य अर्जित कर लेता है।

सम्बंधित जानकारी

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख