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क्या पीरियड में सावन सोमवार का व्रत रख सकते हैं?

WD Feature Desk
मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (16:55 IST)
Somwar Vrat In Periods: सावन का महीना आते ही वातावरण में एक खास आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होने लगती है। हर जगह हरियाली, शिव भक्ति, मंदिरों की घंटियां और सोमवार व्रत का संकल्प, ये सब मिलकर इस महीने को और भी पावन बना देते हैं। विशेष रूप से महिलाएं इस माह में व्रत और पूजा-पाठ को लेकर काफी उत्साहित रहती हैं। लेकिन इसी के साथ एक सवाल भी हर साल चर्चा में आता है, "क्या पीरियड्स (माहवारी) के दौरान सावन सोमवार का व्रत रखा जा सकता है?" यह सवाल न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से संवेदनशील है, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य के स्तर पर भी गहराई से विचार करने योग्य है। इस लेख में हम इस विषय पर गहराई से चर्चा करेंगे, ताकि आप भ्रम और सच्चाई के बीच का फर्क समझ सकें और एक जागरूक निर्णय ले सकें।
 
क्या वाकई पीरियड में अशुद्ध होते हैं आप?
सबसे पहले जरूरी है इस सोच को चुनौती देना कि पीरियड्स कोई ‘अशुद्ध’ प्रक्रिया है। यह एक स्वाभाविक और जैविक प्रक्रिया है, जो हर महिला के जीवन का हिस्सा है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार मासिक धर्म एक संकेत है कि महिला का शरीर पूरी तरह स्वस्थ है और हार्मोनल संतुलन सही ढंग से काम कर रहा है।
 
फिर भी, परंपरागत मान्यताओं में पीरियड्स को अपवित्रता से जोड़ दिया गया है, खासकर पूजा-पाठ और व्रत के मामलों में। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये प्रतिबंध धर्म से जुड़े हैं, या सिर्फ सामाजिक धारणाओं का हिस्सा?
 
धार्मिक ग्रंथों में क्या है निर्देश?
अगर हम प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों की बात करें, तो कहीं भी स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा गया है कि महिलाएं पीरियड्स में पूजा नहीं कर सकतीं। हां, कुछ स्मृति ग्रंथों और बाद की सामाजिक व्यवस्थाओं में इस विषय को लेकर कठोर मत बनाए गए, लेकिन उनके पीछे धार्मिक से ज्यादा सामाजिक और शारीरिक विश्राम की सोच थी।
 
प्राचीन ऋषियों का मानना था कि मासिक धर्म के दौरान महिला को आराम की जरूरत होती है, इसलिए उन्हें रसोई, पूजा और अन्य जिम्मेदारियों से विराम दिया जाए। लेकिन समय के साथ यह सोच एक ‘वर्जना’ बन गई, जिसे हमने धर्म से जोड़ दिया।
 
व्रत रखना व्यक्तिगत आस्था का विषय है
सोमवार का व्रत शिवजी को समर्पित होता है और यह व्रत आत्मसंयम, भक्ति और ध्यान का प्रतीक है। इसमें कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है जो शरीर को ‘शुद्ध’ या ‘अशुद्ध’ के पैमाने पर मापे।
 
अगर आप पीरियड्स के दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को ठीक महसूस करती हैं, तो आप निःसंकोच व्रत रख सकती हैं। यह पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत आस्था, भावना और सुविधा पर निर्भर करता है।
 
आप चाहें तो सिर्फ फलाहार कर सकती हैं, जल का सेवन अधिक कर सकती हैं और शिवजी का ध्यान करते हुए मन ही मन उनकी आराधना कर सकती हैं। पूजा की कोई मजबूरी नहीं, आस्था ही सबसे बड़ा नियम है।
 
धर्म के साथ-साथ विज्ञान को भी समझें
आज की शिक्षित और जागरूक महिलाएं ना सिर्फ परंपरा को निभा रही हैं, बल्कि तर्क और विज्ञान के आधार पर हर विषय को समझना चाहती हैं। यही कारण है कि अब मासिक धर्म को वर्जना नहीं, बल्कि एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया माना जा रहा है।
 
पूजा, व्रत या शिव भक्ति के लिए शरीर की स्थिति नहीं, मन की पवित्रता जरूरी है। यदि आपका मन शांत है, आप श्रद्धा से भरी हैं और शिवजी के प्रति भक्ति में डूबी हुई हैं, तो आप व्रत अवश्य रख सकती हैं, फिर चाहे वह दिन पीरियड्स का ही क्यों न हो।
 
समाजिक दबाव के कारण न करें खुद पर अत्याचार
अक्सर देखा गया है कि महिलाएं परिवार या समाज के दबाव में आकर पीरियड्स के दौरान खुद को दोषी मानने लगती हैं। पूजा से दूर रहना, मंदिर न जाना, किचन में न घुसना, ये सब बातें अब धीरे-धीरे बदल रही हैं, और बदलनी भी चाहिए।
 
अगर आपको थकान महसूस होती है या शरीर आराम की मांग करता है, तो बिना अपराधबोध के आराम करना भी एक भक्ति का रूप है। शिवजी करुणा के देवता हैं, वह नियम नहीं, निष्ठा और प्रेम को समझते हैं।
 

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