श्रीकृष्ण जगत गुरु : कोई व्यक्ति कैसे भगवान बन जाता है?

अनिरुद्ध जोशी
विद्या और कला में अंतर होता है। विद्या दो प्रकार की होती है अपरा और अपरा विद्या। इसी के अंतर्गत कई प्रकार की विद्याएं होती हैं। इसी तरह कलाएं भी दो प्रकार की होती है। पहली सांसारिक कलाएं और दूसरी आध्यात्मिक कलाएं। यहां हम आध्यात्मिक कलाओं के आधार पर जानेंगे कि कोई व्यक्ति कैसे भगवना बन जाता है।
 
 
अध्यात्मिक कलाएं : अध्यात्मिक कलाएं मुख्यत: 16 हैं। उपनिषदों अनुसार 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्‍वरतुल्य होता है या कहें कि स्वयं ईश्वर ही होता है। 16 कलाएं दरअसल बोध प्राप्त आत्मा की भिन्न-भिन्न स्थितियां हैं। बोध अर्थात चेतना, आत्मज्ञान या जागरण की अवस्था या होश का स्तर। जैसे...प्राणी के अंतर में जो चेतन शक्ति है या प्रभु का तेजांश है उसी को कला कहते हैं। जिस प्राणी में जितनी चेतना शक्ति अभिव्यक्त हो रही है उतनी ही उसकी कलाएं मानी जाती हैं। इसीसे जड़ व चेतन का भेद होता है। बोध की अवस्था के आधार पर आत्मा के लिए प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक चन्द्रमा के प्रकाश की 15 अवस्थाएं ली गई हैं। अमावास्या अज्ञान का प्रतीक है तो पूर्णिमा पूर्ण ज्ञान का।
 
 
1. पत्‍थर और पेड़ 1 से 2 कला के प्राणी हैं। उनमें भी आत्मा है। उन्हें सुख और दुख का आभास होता लेकिन उनमें बुद्धि सुप्त है। उन्हें भी अन्न और जल की आवश्यकता होती है।
 
2. पशु और पक्षी में 2 से 4 कलाएं होती हैं क्योंकि वे बुद्धि का प्रयोग भी कर सकते हैं।
 
3. साधारण मानव में 5 कला की और सभ्य तथा संस्कृति युक्त समाज वाले मानव में 6 कला की अभिव्यक्ति होती है।
 
 
4. जो मानव विशेष प्रतिभावाले विशिष्ठ पुरुष होते हैं उनमें भगवान के तेजांश की सात कलाएं अभिव्यक्त होती। तत्पश्चात 8 कलाओं से युक्त वह महामानव ऋषि, मुनि, संत और महापुरुष होते हैं जो इस धरती पर कभी-कभार दिखाई देते हैं।
 
5. मनुष्य की देह 8 कलाओं से अधिक का तेज सहन नहीं कर सकती। 9 कला धारण करने के लिए दिव्य देह की आवश्यकता होती है। जैसे सप्तर्षिगण, मनु, देवता, प्रजापति, लोकपाल आदि।
 
 
6. इसके बाद 10 और 10 से अधिक कलाओं की अभिव्यक्ति केवल भगवान के अवतारों में ही अभिव्यक्त होती है। जैसे वराह, नृसिंह, कूर्म, मत्स्य और वामन अवतार। उनको आवेशावतार भी कहते हैं। उनमें प्राय: 10 से 11 कलाओं का आविर्भाव होता है। परशुराम को भी भगवान का आवेशावतार कहा गया है।
 
7. भगवान राम 12 कलाओं से तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं से युक्त हैं। यह चेतना का सर्वोच्च स्तर होता है। 

श्रीकृष्ण जगत गुरु वंदे....विष्णु जगतपते।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख