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Solar eclipse 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या किसी बड़ी तबाही का है संकेत?

WD Feature Desk
शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (11:36 IST)
Solar eclipse 2025: आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार को देव पितृ अमावस्या पर खंड ग्रास सूर्य ग्रहण रहेगा. भारतीय समय से यह ग्रहण रात्रि 11 बजे से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 1 बजकर 12 मिनट तक मध्य और इसके बाद सूर्य ग्रहण का प्रभाव रात्रि 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।  सूर्य ग्रहण का असर न्यूजीलैंड, पूर्वी मेलनेसिया, दक्षिण पोलेसिया, पश्चिम अंटार्कटिका, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में पूर्ण प्रभावी रहेगा। भारत में यह नजर नहीं आएगा इसलिए यहां इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा।
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पितृ पक्ष में ग्रहण: हालांकि कुछ ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि अगर ग्रहण विशेष तिथियों पर हो तो इसका प्रभाव विशेष हो सकता है। पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से हुई और इसका अंत सूर्य ग्रहण से हो रहा है जो कि एक अशुभ संकेत माना जा रहा है। 16 दिन के श्राद्ध 15 दिन में परिपूर्ण होना, यह जनमानस के लिए पितृ प्रकोप के रूप में देखा जाता है, जो सुखद नहीं कहा जा सकता।
 
ग्रहण से होगा परिवर्तन: माना जा रहा है कि इस बार का चंद्र और सूर्य ग्रहण देश और दुनिया में तबाही मचा रहा है। प्राकृतिक आपदा, मौसम परिवर्तन, भूकंप, राजनीतिक अस्थिरता तो हम देख ही रहे हैं। कुछ ज्योतिषीय गणनाएं भविष्य में राजनीतिक उथल-पुथल या आर्थिक अस्थिरता का संकेत दे रही है या किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा से तबाही की आशंका जताई जा रही है। 
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15 दिनों में दो ग्रहण योग: विगत एक पखवाड़े में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के होने से देश और विदेश में आर्थिक और राजनीतिक हालात विकट चले हैं। आने वाले समय में कृषि, उद्योग, इंजीनियरिंग शिक्षा एवं प्राकृतिक मौसम पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। कई देशों में जनविद्रोह की आग भड़कने की संभावना है। कई देशों में जन और धन की हनि होने की संभावना है। कहते हैं कि चंद्र ग्रहण से जल संबंधी आपदा आती है तो सूर्य ग्रहण से आग संबंधी दुर्घटनाओं का योग बनता है। जल में बादल फटना, समुद्री तूफान और बाढ़ आना। आग में युद्ध, दंगा, एक्सिडेंट, ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग आदि। हालांकि दोनों ही प्रकार के ग्रहण बड़े भूकंप जाते हैं।
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