7 अगस्त भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस दिन जो ओलंपिक खेलों का आखिरी दिन भी था, नीरज चोपड़ा ने दो बार 87 मीटर तक भाला फेंक कर ओलंपिक मे एथलेटिक्स में चल रहा भारतीय टीम के पदक का सूखा खत्म कर दिया और वह भी गोल्ड मेडल से।
आज मीडिया से रूबरू हुए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने नीरज चोपड़ा की मौजूदगी में एक बड़ी घोषणा की। 7 अगस्त का दिन अब पूरे भारत में भाला फेंक दिवस के रुप में मनाया जाएगा।
इस प्रेस कॉंफ्रेस में नीरज चोपड़ा ने भी एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का शुक्रिया अदा किया और कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी ऐसा नहीं लगा कि हम अलग थलग है। डायट से लेकर सभी सुविधाओं का फेडरेशन ने ख्याल रखा।
नीरज ने फाइनल में शानदार शुरुआत की और पहली थ्रो में 87.03 मीटर की दूरी नाप ली। उनकी दूसरी थ्रो इससे भी बेहतर रही जिसमें उन्होंने 87.58 मीटर का फासला तय किया। उनकी तीसरी थ्रो 76.79 मीटर रही। इसके बाद उनकी अगली दो थ्रो फ़ाउल रही। उनकी आखिरी थ्रो से पहले उनका स्वर्ण पक्का हो चुका था। उनकी अंतिम थ्रो 84.24 मीटर रही लेकिन उनकी दूसरी थ्रो उन्हें स्वर्ण दिलाने के लिए काफी थी।
दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे चेक खिलाड़ियों ने सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वे नीरज के खिलाफ मुकाबले में नहीं आ पाए और उन्हें रजत तथा कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। जर्मनी के जूलियन वेबर को चौथा और पाकिस्तान के अरशद नदीम को पांचवां स्थान मिला।