राष्ट्रमंडल खेल: भारोत्तोलक गुरुराजा ने भारत को दिलाया पहला पदक, बोले...

Webdunia
गुरुवार, 5 अप्रैल 2018 (10:24 IST)
गोल्ड कोस्ट। राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए पहला पदक जीतने वाले भारोत्तोलक पी. गुरुराजा ने कहा कि पहले 2 प्रयास में विफल होने के बाद उन्होंने देश और परिवार को याद किया जिससे उन्हें भार उठाने का हौसला दिया। 
 
कर्नाटक के छोटे से गांव से आने वाले 25 साल के इस खिलाड़ी ने प्रतिस्पर्धा के पहले ही दिन पुरुषों के 56 किलो वर्ग में रजत पदक जीतकर 21 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की झोली में पहला पदक डाला।
 
क्लीन और जर्क के पहले 2 प्रयास में विफल होने वाले गुरुराजा ने कहा कि जब मैं पहले 2 प्रयास में विफल रहा था तब मेरे कोच ने मुझे समझाया कि मेरे लिए जीवन का काफी कुछ इस प्रयास पर निर्भर करता है। मैंने अपने परिवार और देश को याद किया।
 
राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण कर रहे गुरुराजा ने अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन दोहराते हुए 249 किलो (111 और 138) वजन उठाया। गुरुराजा स्नैच के बाद तीसरे स्थान पर थे जिन्होंने 2 प्रयासों में 111 किलो वजन उठाया। क्लीन और जर्क में पहले 2 प्रयास में वे नाकाम रहे लेकिन आखिरी प्रयास में 138 किलो वजन उठाकर रजत सुनिश्चित किया। 
 
उन्होंने कहा कि 2010 में जब मैंने भारोत्तोलन में किस्मत आजमाना शुरू किया था, प्रशिक्षण के पहले महीने में मैं काफी हताश था, क्योंकि मुझे यह भी पता नहीं था कि वजन कैसे उठाया जाए, यह मेरे लिए बहुत भारी था। ट्रक ड्राइवर के बेटे गुरुराजा पहलवान बनना चाहते थे लेकिन कोच की पैनी नजरों ने उनमें भारोत्तोलन की प्रतिभा देखी और इस खेल में पदार्पण कराया। 
 
उन्होंने कहा कि मुझे याद हैं कि जब मैंने सुशील कुमार को 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में देखा था, तब मैंने भारोत्तोलन शुरू किया था। जब मैंने उन्हें देखा था तब मैं पहलवान बनना चाहता था। तभी मैं अपने कोच राजेन्द्र प्रसाद से मिला जिन्होंने मुझे भारोत्तोलन सिखाया। 
 
भारतीय वायुसेना के निचली श्रेणी के कर्मचारी गुरुराजा ने देश के पिछड़े क्षेत्रों में आने वाली जीवन की सारी समस्याओं को देखा है। उन्होंने 8 भाई-बहनों के परिवार का भरण-पोषण करने वाले अपने ट्रक चालक पिता को काफी मेहनत करते हुए देखा है।
 
उन्होंने कहा कि जब पहले 2 प्रयासों में मैं विफल हो गया तो मेरे दिमाग में मेरा परिवार था। वे (परिवार के सदस्य) मेरे लिए काफी मायने रखते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अभी भी कुश्ती में हाथ आजमाना चाहेंगे तो वे खिलखिलाकर हंस पड़े।
 
उन्होंने कहा कि मैं अभी भी कुश्ती का लुत्फ उठाता हूं। मुझे अभी भी उस खेल से काफी लगाव है। मैं ओलंपिक कि तैयारी करूंगा, राष्ट्रीय महासंघ और मेरे सफर में मेरा साथ देने वालों से मुझे काफी मदद मिली है। मेरे सभी कोचों ने करियर को संवारा है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

INDvsNZ सीरीज के बाद इन 4 में से 2 सीनियर खिलाड़ियों हमेशा के लिए होंगे ड्रॉप

पहले 68 साल में सिर्फ 2 टेस्ट तो भारत में इस सीरीज के 10 दिनों में 3 टेस्ट मैच जीती न्यूजीलैंड

IPL को रणजी के ऊपर तरजीह देने के कारण ROKO हुए बर्बाद, सचिन गांगुली नहीं करते ऐसी गलती

श्रीलंका और भारत में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गंभीर पर उठ रहे सवाल

टेस्ट इतिहास का सबसे अनचाहा रिकॉर्ड बनने पर रोहित शर्मा बोले यह सबसे खराब दौर

सभी देखें

नवीनतम

ऑस्ट्रेलिया को पर्थ में हराकर फिर WTC Points Table के शीर्ष पर पहुंचा भारत

जसप्रीत बुमराह ने चुप कराया पैट कमिंस को, पहले टेस्ट के बाद क्या बोले दोनों कप्तान

फॉर्म में वापस आना चाहेंगे सिंधू, लक्ष्य, शिरकत करेंगे सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में

पर्थ के ओप्टस में पहली बार हारी ऑस्ट्रेलिया, बुमराह की कप्तानी में पहली टेस्ट जीत

23.75 करोड़ में खरीदे गए वैंकटेश बन सकते हैं कोलकाता के कप्तान

अगला लेख