मुंबई। टोकियो ओलंपिक की शुरुआत के साथ ही महाराष्ट्र के एक खेल संस्थान के सदस्य 1936 में आयोजित हुए बर्लिन ओलंपिक को याद करते हैं, जब इस संस्थान की टीम को 'मलखंभ' और अन्य खेलों में प्रदर्शन के लिए जर्मनी के फासीवादी तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने सम्मानित किया था। हिटलर ने अमरावती के हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडलनामक संस्थान को एक पदक प्रदान किया था जिस पर नात्सी पार्टी का प्रतीक चिह्न बना हुआ था। संस्थान की स्थापना बर्लिन ओलंपिक से 22 साल पहले हुई थी।
ओलंपिक में 'शारीरिक संस्कृति के प्रदर्शन' में दूसरा स्थान प्राप्त करने के लिए टीम को यह पदक दिया गया था। इस श्रेणी में कई देशों के खिलाड़ियों ने अपने देशों के मूल खेल का प्रदर्शन किया था। मंडल के सचिव प्रभाकर वैद्य ने कहा कि 'हमारी 25 सदस्ईय टीम बर्लिन गई थी और मलखंभ तथा योग का प्रदर्शन किया था।'
उन्होंने कहा कि हिटलर के प्रचार मंत्री जोसफ गोयबल्स ने हिटलर से टीम की प्रशंसा की थी। वैद्य ने एक टीवी चैनल से कहा कि 'हिटलर ने बर्लिन ओलंपिक का चिह्न लगा हुआ एक प्लैटिनम पदक और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया था।' उन्होंने कहा कि प्रशस्ति पत्र पर हिटलर का हस्ताक्षर और आधिकारिक पद अंकित है।
मंडल ने पदक को संभाल कर रखा है और यह आगंतुकों के लिए कौतुहल की वस्तु है। वैद्य के अनुसार महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस भी इस पदक को देख चुके हैं। लोग इस पदक को हिटलर पदककहते हैं। मंडल के कोषाध्यक्ष सुरेश देशपांडे ने कहा कि वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मण कोकार्डेकर को उच्च शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जर्मनी भेजा गया था और वह वहां पांच साल तक रहे थे।
उन्होंने कहा कि उनके संपर्क के कारण मंडल को 1936 के बर्लिन ओलंपिक में प्रदर्शन करने का आमंत्रण मिला था। कोकार्डेकर 1936 ओलंपिक खेलों के मुख्य आयोजक कार्ल डीएम के दोस्त थे। विवके चौधरी की पुस्तक 'कबड्डी बाय नेचर' के अनुसार मंडल की टीम ने बर्लिन में पहली बार कबड्डी का प्रदर्शन किया था।(भाषा)