डेविस कप में पहली बार हार की कगार पर भारत

Webdunia
शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018 (17:01 IST)
तियानजिन। चीन के खिलाफ एशिया-ओशियाना मुकाबले के दूसरे दौर के पहले दिन रामकुमार रामनाथन और सुमीत नागल के पुरुष एकल में चीनी खिलाड़ियों से हार के साथ भारतीय डेविस कप टीम पिछले 5 साल में पहली बार हार की कगार पर पहुंच गया।


पेट की मामूली चोट के कारण युकी भाम्बरी के हटने के बाद रामनाथन से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन वे चीन की नई टेनिस सनसनी यिबिंग वू से 6-7 (4), 4-6 से हार गए। हाल तक जूनियर विश्व नंबर 1 रहे 18 साल के चीनी खिलाड़ी ने 2017 में यूएस ओपन में जूनियर एकल और युगल दोनों खिताब जीते थे। रामनाथन की सर्विस पहले ही गेम में टूटी लेकिन उन्होंने वापसी की और सेट को टाईब्रेकर तक ले गए।

एकल में करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 132 पर पहुंचे और पूर्व में शीर्ष 10 में शामिल डोमिनिक थिएम को हरा चुके रामनाथन के पास दूसरे सेट में विश्व के 332वें नंबर के खिलाड़ी के खिलाफ ब्रेक के 2 मौके थे लेकिन वे 1 का भी फायदा नहीं उठा सके और 1 बार सर्विस गंवा बैठे जिसके बाद मेजबान टीम को 1-0 की बढ़त मिल गई।

युवा खिलाड़ी नागल पर भारत को वापसी कराने का दारोमदार आ गया लेकिन 213वें नंबर के इस खिलाड़ी को महज 67 मिनट तक चले मुकाबले में 247वें नंबर के खिलाड़ी जे झांग के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। उसे झांग ने 6-4, 6-1 से हराया। भारत के गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति ने पहले दिन के परिणामों को हैरान करने वाला बताया।

उन्होंने कहा कि दोनों ने निराशाजनक खेल का प्रदर्शन किया। उनमें (जीत के लिए) कोई भूख, कोई जद्दोजहद और कोई आक्रामकता नहीं थी। भारत इससे पहले 0-2 से पिछड़ने के बाद केवल एक बार डेविस कप टाई जीतने में सफल रहा है। 2010 में भारत ने 0-2 से पिछड़ने के बाद ब्राजील को हराया था। तब लिएंडर पेस एवं भूपति ने युगल और सोमदेव देववर्मन और रोहन बोपन्ना ने आखिरी दिन अपने-अपने एकल मुकाबले जीतकर भारत को जीत दिलाई थी।

पेस और बोपन्ना गुरुवार को माओ शिन गोंग और डी वू की जोड़ी से 'करो या मरो' की स्थिति वाले मुकाबले में भिड़ेंगे। भारत के यह मैच जीतने पर पेस डेविस कप के इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बन जाएंगे। इस समय उनके खाते में 42 जीतें हैं और वे महान इतालवी खिलाड़ी निकोला पित्रांगेली के साथ यह रिकॉर्ड साझा करते हैं।

भारत ने पहली बार फरवरी 2013 में एशिया-ओशियाना स्तर पर मुकाबला गंवाया था, जब सोमदेव के नेतृत्व में सभी शीर्ष खिलाड़ियों ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ मुकाबले का बहिष्कार किया था और कमजोर भारतीय टीम नई दिल्ली में विपक्षी टीम से 1-4 से हार गई थी। तब से भारत ने जोनल प्रतियोगिता में कभी भी टाई नहीं गंवाई है और लगातार विश्व ग्रुप प्लेऑफ स्तर तक पहुंचा है।

हालांकि वह आखिरी बाधा नहीं पार कर पाया और 2014 में सर्बिया, 2015 में चेक गणराज्य, 2016 में स्पेन और 2017 में कनाडा से हार गया। भारत आखिरी बार 16 देशों के विश्व समूह में 2011 में पहुंचा था, जब उसे सर्बिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

हार्दिक पंड्या के लिए नहीं हो रही मुश्किलें खत्म, वर्ल्ड कप से पहले लगा एक मैच का Ban

Impact Player Rule ने आल राउंडर से ज्यादा किया गेंदबाजों को प्रभावित: शाहबाज अहमद

Paris Olympics से ठीक पहले ट्रॉयल्स से गुजरना पड़ सकता है इन पहलवानों को

ICC Tournament में भारत से खेलने के मामले में पाकिस्तान मानसिक रूप से पिछड़ जाता है: मिसबाह

Sunil Chhetri Retirement : भारतीय कप्तान ने किया संन्यास का ऐलान, गोल के मामले में Ronaldo और Messi के साथ टॉप पर

RCB vs CSK : विराट और अनुष्का की आँखें हुई नम, वीडियो देख पिघला सोशल मीडिया

RCB vs CSK : जीत के बाद विराट कोहली की '1 पर्सेंट चांस' की थ्योरी हुई वायरल

गत विजेता चेन्नई 27 रनों से हारकर हुई बाहर, बैंगलुरु के खिलाफ फिनिश नहीं कर पाए माही

IPL Playoff में बैंगलुरू ने बनाई जगह, चेन्नई को नहीं छूने दिया 200 रनों का आंकड़ा

IPL Playoff के लिए बैंगलूरू को चेन्नई को 201 रनों तक रोकने की जरूरत

अगला लेख