Ram Navami 2024: रामनवमी पर लगाएं रामलला को यह खास भोग, होंगे प्रसन्न

राम नवमी : इन खास भोग से प्रसन्न होंगे प्रभु श्री राम

WD Feature Desk
सोमवार, 15 अप्रैल 2024 (11:59 IST)
Ram Navmi Bhog 
 
HIGHLIGHTS
 
• चैत्र शुक्ल नवमी का प्रसाद/ भोग।
• राम पूजन में नैवेद्य में क्या-क्या चढ़ाएं।
• श्री राम नवमी विशेष भोग सामग्री कौनसी है।
 
food for ram navami: इस बार 17 अप्रैल को श्री राम नवमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान राम जी के पूजन पश्चात उन्हें नैवेद्य चढ़ाया जाता है। यदि आप भी भगवान श्री राम की अपार कृपा पाना चाहते हैं तो चैत्र शुक्ल नवमी के दिन इस शुभ अवसर पर उन्हें इन पारंपरिक व्यंजनों का भोग लगाएं या प्रसाद के रूप में अवश्य चढ़ाएं।

आइए यहां जानते हैं रामलला के खास भोग या नैवेद्य के बारे में- 
 
* केसर भात
 
सामग्री : 1 कटोरी बासमती चावल, डेढ़ कटोरी शकर, 5-7 केसर के लच्छे, 1/2 चम्मच इलायची पाउडर, थोड़ी-सी दालचीनी, चुटकीभर मीठा पीला रंग, 1/4 कटोरी मेवे की कतरनकुछ मात्रा में गुनगुने पानी में भीगे हुए किशमिश, 1 चम्मच घी, 2-3 लौंग।
 
विधि : केसर भात बनाने के पूर्व चावल को 1 घंटे तक गलाकर रखें। अब एक बड़े मर्तबान में पानी लें, उसमें उबाल आने पर चावल डालें और चावल पक जाने पर पानी निथार लें। फिर थाली में उबले चावल ठंडा होने के लिए रख दें। केसर को थोड़े से पानी में गला कर रख दें। दूसरी ओर एक से डेढ़ तार की चाशनी तैयार कर लें। उसमें पके चावल डालकर कुछ देर चलाएं। अब इलायची पाउडर तथा मीठा पीला रंग मिलाएं। एक पैन या कड़छी में अलग से घी गर्म करके उसमें लौंग डालें और ऊपर से चावल पर बुरकाएं, साथ ही केसर को घोंटकर डाल दें, मेवे की कतरन और भीगे हुए किशमिश भी डालें और अच्छीतरह मिला लें। अब भगवान को लाजवाब केसर भात का भोग लगां।

* पुरनपोली
 
सामग्री : 200 ग्राम चना दाल, 300 ग्राम आटा, 300 ग्राम शकर, 6-7 पिसी इलायची, 8-10 केसर के लच्छे, शुद्ध दसी घी जरूरत के तानुसार।
 
विधि : पुरनपोली बनाने के लिए सबसे पहले एक कुकर में चने की दाल को अच्छी तरह से धोकर, दाल से डबल पानी लेकर कम आंच पर 30 से 35 मिनट पकने दें। 2-3 सीटी लेने के बाद गैस बंद कर दें। कुकर ठंडा होने पर चना दाल का पानी स्टील की छन्नी की सहायता से पूरा निथार लें। अब दाल को बारीक कर लें तथा उसमें एक कढ़ाई में थोड़ा-सा घी डाल कर सेंकने के लिए रख दें। अब चना चाल का पानी पूरी तरह सूखने के बाद उसमें शकर मिलाकर मिश्रण को धीमी आंच पर लगातार औटाएं यानी तब तक पकाएं, जब तक पूरन की गोली न बनने लगे। 
 
अब इसमें इलायची पाउडर और केसर डालकर अच्छीतरह मिक्स करके आंच बंद कर दें और जब पूरन ठंडा हो जाएं तो इसके आवश्यकतानुसार छोटे-बड़े गोले बना लें। फिर पुरनपोली बनाने के लिए एक थाली में गेहूं का आटा छान लें और उसमें एक बड़ा चम्मच शुद्ध घी का मोयन डालें, थोड़ा-सा नमक और चुटकी भी शकर मिलाकर आटे गूंथ लें। ध्यान रहे कि आटा ज्यादा टाइट ना हो। और आटे को 10-15 मिनट के लिए ढंककर रख दें। 
 
फिर आटे की छोटी लोई बनाकर एक लोई को बेल लें और उसमें एक पुरन का गोला रखकर मोटी रोटी की तरह बेल लें। अब गरम तवे पर धीमी आंच पर शुद्ध घी लगाकर दोनों तरफ गुलाबी होने तक पुरनपोली सेंक लें। अब तैयार पुरनपोली का भगवान को नैवेद्य चढ़ाएं। 

* पंचामृत
 
सामग्री : 250 मिली गाय का ताजा दूध, 2 चम्मच पिसी हुई मिश्री, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच देशी घी, 2 चम्मच ताजा दही, 2-3 तुलसी के पत्ते। 
 
विधि : दूध, चीनी, शहद, दही और घी आदि पांच अमृतों को मिलाकर ही पंचामृत बनाया जाता है, इसके सेवन से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले गाय के ताजे दूध में पिसी मिश्री, शहद, दही एवं घी मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें। इसमें तुलसी के पत्ते मिलाएं। लीजिए पंचामृत तैयार है। अब भगवान को नैवेद्य के रूप में चढ़ाएं। 

* श्रीखंड
 
सामग्री : 1 लीटर फ्रेश दही या 1/2 किलो तैयार श्रीखंडा का चक्का, डेढ़ कटोरी पिसी शकर, 2 चम्मच गुलकंद, 1/2 कटोरी मेवे की कतरन, 1/2 चम्मच इलायची पाउडर, 1/2 कटोरी सूखे गुलाब की पत्तियां। 
 
विधि : सबसे पहले दही को 3-4 घंटे के लिए मलमल के कपड़े में बांध कर लटका दीजिए। जब तक कि दही का पूरा पानी न निथर जाए। अब गुलकंद में दो चम्मच गुलाब की पत्तियों को मिला लें। गाढ़े दही या चक्का और पिसी शकर को बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिलाएं। 
 
किसी छलनी या बारीक कपड़े से छान लें, ताकि कण न रह जाएं। गुलकंद, मेवे की कतरन और इलायची डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब तैयार श्रीखंड पर तुलसी का पत्ता रखकर भगवान को भोग लगाएं। 

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