शिक्षक दिवस का इतिहास : भारत में 1962 में पहली बार मना था 'टीचर्स डे'

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कोरोना Guideline के बीच इस बार 'टीचर्स डे' कुछ अलग अंदाज में मनाया जाएगा। महामारी के चलते स्कूल, कॉलेज बंद होने की वजह से स्टूडेंट्स ऑनलाइन माध्यम से अपने जीवन में महत्व रखने वाले शिक्षकों को शुभकामनाएं देंगे। टीचर्स डे के इतिहास की बात करें, तो पहली बार 60 के दशक में टीचर्स डे मनाया गया था। आइए जानते हैं टीचर्स डे से जुड़ी हुई खास बातें- 
 
क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे
5 सितम्बर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा। इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा। इसके बाद से ही 5 सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था।
 
टीचर्स डे का महत्व 
सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस महान राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है जहां से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। जीवन में शिक्षक हमें केवल पढ़ाते ही नहीं है बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते हैं। 
 
वहीं, शिक्षक हमारा मार्गदर्शन करते हैं कि जीवन में कभी भी कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक सीखने को मिले तो उसे तुरंत ही आत्मसात करना चाहिए। वह अपने छात्रों को पढ़ाते समय उनको पढ़ाई कराने से ज्यादा उनके बौद्धिक विकास पर ध्यान देते थे। 
 
-भगवान हम सबके भीतर रहता है, महसूस करता है और कष्ट सहता है, और समय के साथ उसके गुण, ज्ञान, सौन्दर्य और प्रेम हममें से हर एक के अन्दर उजागर होंगे।-सर्वपल्ली राधा कृष्णन
 
-पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।-सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन
 
-जीने के लिए अपने पिता का ऋणी हूं, पर अच्छे से जीने के लिए अपने गुरु का।- अलेक्जेंडर द ग्रेट

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