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ग़ाज़ा : विस्थापितों को करना पड़ रहा है अपनी 'गरिमा की मौत' का सामना

UN
गुरुवार, 20 नवंबर 2025 (21:16 IST)
ग़ाज़ा में लोगों के रहने के हालात अब भी बेहद ख़राब हैं, ख़ासतौर पर बच्चों के लिए। संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियों के मुताबिक़, बढ़ती ठंड और नाज़ुक युद्धविराम के बीच बहुत से परिवारों को अपने स्थानों पर लौटने के बाद अपने घर धवस्त मिल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने छह वर्षीय जुड़वां बच्चों, याहया और नबीला का मामला सामने रखा, जो उत्तरी ग़ाज़ा में युद्ध से बचे एक अनफटे बम के फटने से बुरी तरह घायल हो गए। एजेंसी उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता दे रही है और ठंड से बचाने के लिए तिरपाल भी उपलब्ध करा रही है।
 
कुछ दिनों से बारिश नहीं हुई है, लेकिन तम्बुओं में रह रहे हज़ारों परिवार, सप्ताहान्त में अचानक हुई तेज़ बरसात के असर से अब भी उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
 
अपमानित और सहमे हुए
ग़ाज़ा में यूनीसेफ़ के साथ काम कर रहीं टेस इन्ग्राम ने एक विस्थापित परिवार की स्थिति बताई, जिसके तम्बू में पानी भर गया था। पांच बच्चों की मां वफ़ा रो पड़ी थीं।
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टेस इन्ग्राम ने बताया, उन्होंने कहा कि कई बार उन्हें लगता है, जिस वक़्त उनके घर पर बम गिरा, काश, वे अपने बच्चों के साथ वहीं अपने पुराने घर में मौजूद होतीं।  टेस के अनुसार, वफ़ा ने हाल के दिनों के अपने अनुभव को गरिमा की मौत जैसा बताया।
 
टेस इन्ग्राम ने बताया कि हाल की बारिश से 100 से अधिक स्थानों पर लगभग 18 हज़ार परिवार प्रभावित हुए हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इसके कहीं अधिक होने की आशंका है।
 
सर्दियों की ज़रूरतें
सर्दी आ रही है और संयुक्त राष्ट्र के मानवीय साझीदार चेतावनी दे रहे हैं कि ग़ाज़ा में पहुंची आश्रय सामग्री ज़रूरत से बहुत कम है। यूए प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजारिक ने, न्यूयॉर्क में कहा, जो सामान ग़ाज़ा के भीतर पहुंच रहा है, उसकी मात्रा बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
 
युद्धविराम लागू होने के बाद से बाल-संरक्षण से जुड़े साझीदार अब तक सर्दियों के कपड़ों की 48 हज़ार किटें बांट चुके हैं, जिससे अपने बच्चों को गर्माहट देने की कोशिश कर रहे परिवारों को कुछ राहत मिली है।
 
धवस्त होती स्वास्थ्य व्यवस्था
ग़ाज़ा में गन्दे पानी की शोधन प्रणाली लगभग पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। साझीदार संगठनों के अनुसार, पूरे क्षेत्र में स्वच्छता की स्थिति दयनीय है। उत्तरी ग़ाज़ा में शेख रदवान तालाब एक बार फिर ज़्यादा भर जाने के ख़तरे में हैं, जिसके कारण आपात रूप से मल-जल को समुद्र में छोड़ना पड़ रहा है। 
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इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिनमें दूषित पानी और कचरे के कारण फैलने वाले बैक्टीरियाई संक्रमण भी शामिल हैं। पोषण से जुड़े साझीदारों के अनुसार, अक्टूबर में कुपोषण के मामलों में थोड़ी कमी ज़रूर आई है, मगर अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या अब भी जनवरी में हुए पिछले युद्धविराम की तुलना में क़रीब चार गुना अधिक बनी हुई है।

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