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यूएन महासभा में प्रस्ताव पारित, रूस से यूक्रेनी बच्चों को वापस लौटाने की मांग

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UN

, गुरुवार, 4 दिसंबर 2025 (14:26 IST)
संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपात विशेष सत्र में बुधवार को पारित हुए एक प्रस्ताव में रूसी महासंघ से उन सभी यूक्रेनी बच्चों को तुरन्त, बिना शर्त लौटाने की मांग की गई है, जिन्हें जबरन अन्य स्थानों पर भेजा गया या फिर देश निकाला दिया गया। जनरल असेम्बली में इस प्रस्ताव के पक्ष में 91 वोट डाले गए, जबकि विरोध में 12 सदस्य देशों ने मतदान किया। 57 सदस्य देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
 
यूक्रेन के विरुद्ध रूसी महासंघ की आक्रामकता के मुद्दे पर यूएन महासभा का 11वां आपात विशेष सत्र बुधवार को फिर से शुरू हुआ, जिसमें यूक्रेनी बच्चों की वापसी पर लाए गए प्रस्ताव पर विचार हुआ। प्रस्ताव के मसौदे में रूसी महासंघ से मांग की गई है कि उन सभी यूक्रेनी बच्चों की तत्काल, सुरक्षित ढंग से बिना शर्त उनके परिवारों तक वापसी सुनिश्चित की जानी होगी, जिन्हें जबरन किसी अन्य स्थान पर भेजा गया है या फिर देश निकाला दिया गया है।
 
साथ ही, रूस से बिना किसी देरी के उन सभी गतिविधियों को बन्द करने के लिए कहा है, जिनमें बच्चों को परिवारों से अलग किया जाता है और नागरिकता, गोद लेने, या फिर सोच को प्रभावित करने जैसे तौर-तरीक़ों का सहारा लिया जाता है।
यूएन महासभा ने महासचिव एंतोनियो गुटेरेश से अपील की है कि रूस के साथ सम्पर्क व बातचीत के ज़रिए यूक्रेनी बच्चों की वापसी के प्रयास किए जाने होंगे, संयुक्त राष्ट्र व अन्य अन्तरराष्ट्रीय संगठनों को बेरोकटोक रास्ता मुहैया कराना होगा और अन्य यूएन निकायों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा।
 
यूएन महासभा अध्यक्ष ऐनालेना बेयरबॉक ने यूक्रेन में बच्चों के लिए विकट स्थिति को बयां करते हुए कहा कि बच्चों को अनजान स्थानों पर जबरन भेजा जाता है, उनका नाम बदल दिया जाता है और यह महीनों तक जारी रहने वाला दुस्वप्न बन जाता है।
 
उन्हें कहीं ओर स्थानान्तरित करने, गोद लेने के अलावा उन्हें सैन्य प्रशिक्षण के लिए भी भेजे जाने के मामले हुए हैं। महासभा प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से अब तक हज़ारों यूक्रेनी बच्चों को जबरन दूसरे स्थानों पर भेजा गया है और उन्हें फिर से ‘शिक्षित’ भी किया गया है।
कुछ को जबरन गोद ले लिया गया है, जबकि अन्य को सैन्य प्रशिक्षण शिविरों में भेजा गया है। यूक्रेन युद्ध में बुनियादी ढांचे का भीषण विनाश हुआ है जिनमें रिहायशी इमारतों की तबाही भी शामिल है।
 
महासभा की मूल भावना
यूएन महासभा अध्यक्ष ने नताश्या का उल्लेख किया, जिससे उनकी मुलाक़ात राजधानी कीव में हुई थी। आंसू भरी आंखों के साथ उस लड़की ने कहा, आप मुझसे वादा कीजिए कि आक्रामकता के सामने नहीं झुकेंगी। वादा कीजिए कि जो कुछ हो रहा है उसमें चुप नहीं बैठेंगी। यहां इतने सारे बच्चे हैं जो बस अपने घर लौटना चाहते हैं। इनमें से कुछ मेरे दोस्त हैं।
 
ऐनालेना बेयरबॉक ने कहा कि नताश्या को भले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा की भूमिका के बारे में जानकारी न हो, लेकिन उसके इन वाक्यों ने इस संस्था की भावना और उसके सार को समझा दिया। महासभा प्रमुख के अनुसार, अपनी स्थापना के 8 दशक बाद भी इसका मूल दायित्व है लोगों की पुकार को सुनना, विशेष रूप से बच्चों की।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून, चौथी जिनीवा सन्धि के अनुच्छेद 49 में किसी क़ाबिज़ इलाक़े से बच्चों समेत सुरक्षा प्राप्त आम लोगों के जबरन स्थानांतरण और देश निकाला पर पाबन्दी है। वहीं बाल अधिकार सन्धि में हर बच्चे के लिए पहचान, पारिवारिक जीवन, राष्ट्रीयता, और अपहरण से संरक्षण के अधिकार को पुष्ट किया गया है।
 
इसलिए हम जो कुछ घटित होते देख रहे हैं, वो केवल कुछ बच्चों की त्रासदी भर नहीं है। यह अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का खुला उल्लंघन भी है।
 
भयावह नतीजे
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि फ़रवरी 2022 के बाद से यूएन महासभा ने अपने 11वें आपात विशेष सत्र में आठ प्रस्ताव पारित करते हुए यूक्रेन की सीमाओं से रूसी सैन्यबलों की बिना शर्त वापसी का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी बच्चों को लौटाने के सवाल को निर्वात में नहीं देखा जा सकता है, चूंकि यदि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बिना यह मुद्दा नहीं खड़ा होता।
इस वर्ष यूएन महासभा में पारित एक प्रस्ताव में चिन्ता जताई गई थी कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पिछले तीन वर्ष से अधिक समय से जारी है, जिसके न केवल यूक्रेन बल्कि अन्य क्षेत्रों व वैश्विक स्थिरता के लिए भी भयावह और लम्बे समय तक बने रहने वाले नतीजे हो रहे हैं।
 
ऐनालेना बेयरबॉक ने कहा कि यूएन महासभा ने एक ऐसे समय में अपना दायित्व निभाया है, जब संयुक्त राष्ट्र दबाव में है और सुरक्षा परिषद कदम उठाने में असमर्थ साबित हुई है। जनरल असेम्बली के हर प्रस्ताव में यूएन चार्टर, सम्प्रभु समानता व क्षेत्रीय अखंडता की बुनियाद पर एक शान्तिपूर्ण निपटारे की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

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