पांचवां चरण बसपा की अग्नि परीक्षा से कम नहीं

संदीप श्रीवास्तव
पांचवां चरण : 27 फरवरी 2017
 
जिले : 11
विधानसभा सीटें : 52
पिछली विधानसभा : 2012
विधानसभा सीट : 52
बसपा को मिली सीटें : 3
 
उत्तरप्रदेश में 5वें चरण का चुनाव 27 फरवरी 2017 को होगा। इस 5वें चरण के मतदान में प्रदेश के 11 जनपदों की 52 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा। मतदान जिन 11 जिलों में होना है, वे हैं- फैजाबाद, आम्बेडकर नगर, संत कबीर नगर, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, सुल्तानपुर, अमेठी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती व बलरामपुर जिलों के 52 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होगा।
2012 के विधानसभा चुनाव में इन्हीं 11 जनपदों की 52 विधानसभा सीटों पर बसपा को भारी नुकसान हुआ था। उसे केवल 3 सीटें ही मिली थीं, वहीं समाजवादी पार्टी को जबरदस्त फायदा हुआ था। उसे 52 में से 37 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि भाजपा व कांग्रेस को 5-5 सीटें ही मिलीं जबकि कुछ ही समय पहले वजूद में आई पीस पार्टी को 2 सीटें मिल गईं। 
 
आपको बताते चलें कि पिछली विधानसभा 2012 में जिन 11 जिलों की 52 सीटों पर चुनाव हुवा उनमें से कई जिले ऐसे थे जिनकी किसी भी विधानसभा में बसपा का खाता तक नहीं खुला था। वे जिले हैं- फैजाबाद जिले की 5 विधानसभा सीटों में से 4 सपा, 1 भाजपा, अम्बेडकर नगर जिला जिसे मायावती की कर्मभूमि भी कहा जाता है उसकी पांचों विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा हुआ। 
 
वहीं सुल्तानपुर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर भी समाजवादी पार्टी कब्जा करने में पीछे नहीं रही, अमेठी जिले की 4 विधानसभा सीटों में से 2 सपा व 2 कांग्रेस के पास गई। यहां भी बसपा को 1 भी सीट हासिल नहीं हुई। श्रावस्ती जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर सपा ने कब्जा किया, साथ ही बलरामपुर जिले की चारों विधानसभा सीटों पर भी सपा का ही वर्चस्व रहा, जबकि गोंडा जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर सपा व 1 सीट भाजपा को मिल पाई, वही हाल सिद्धार्थ नगर विधानसभा की 5 सीटों का है। 3 पर सपा, 1-1 पीस पार्टी व भाजपा को मिली, बहराइच विधानसभा की 7 सीटों में भाजपा, कांग्रेस, सपा को 2-2 व बसपा को 1 सीट मिल पाई। बस्ती जिले की 5 विधानसभा सीटों में से सपा, बसपा को 2-2 व कांग्रेस को 1 सीट मिली। संत कबीर नगर की 3 विधानसभा सीटों में से 2 सपा व 1 पीस पार्टी को मिली। बसपा का यहां भी खाता नहीं खुला।
 
अब 5वें चरण में 11 जिलों की 52 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है जिसमें बसपा के वजूद के लिए बड़ी चुनौती होगी, खासकर उन जिलों में जहां उसका खाता तक नहीं खुला है जबकि समाजवादी पार्टी को भी अपने कब्जे वाली सीट उसके हाथ से न जाए, इसका ध्यान भी रखना होगा।
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