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BJP के पैंतरे से उलझे जयंत चौधरी, सपा भी सकते में

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, गुरुवार, 20 जनवरी 2022 (17:06 IST)
लखनऊ। अखिलेश यादव ने भाजपा को पटखनी देने के लिए इस बार राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) से हाथ मिलाया है। दोनों दलों में सीटों को लेकर सहमति भी बनी, लेकिन जैसे-जैसे उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है। स्थानीय स्तर पर विरोध के साथ ही दोनों दलों के बीच दरार दिखाई दे रही है।

पश्चिमी यूपी में उम्मीदवारों के ऐलान होते ही यहां के नेताओं में काफी असंतोष दिखाई दे रहा है। खासकर आरएलजी के कार्यकर्ता इससे काफी नाराज हैं।

कार्यकर्ताओं का मानना है कि सीटों के बंटवारे में उनके नेता जयंत चौधरी को कम अहमियत दी गई। रसूख वाली सीटें सपा नेताओं के पास चली गई हैं और रही-सही कसर भाजपा ने पूरी कर दी है। पार्टी ने मेरठ-बागपत की 10 में से 5 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतार दिए हैं जबकि रालोद ने केवल 3 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं। 
 
सिवालखास पर खासी नाराजगी : सबसे ज्यादा विरोध तो मेरठ की जाट बहुल सीट कही जाने वाली सिवालखास पर दिख रहा है। यहां रालोद के सिंबल पर सपा नेता और पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को चुनाव लड़ाए जाने की घोषणा के बाद पूरे सियासी हल्के में भूचाल आ गया है।

दिल्ली से लेकर सिवालखास तक लोग खुलकर विरोध में आ गए हैं। रालोद के फेसबुक पेज पर लोगों ने टिकट पर सवाल उठा दिए। लोगों में गुस्सा इतना है कि कई गांवों में जयंत के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रालोद के झंडे में आग लगा दी गई।

पूर्व जिलाध्यक्ष राहुल देव ने पार्टी ही छोड़ दी है। जाट महासंघ की तरफ से भी ऐलान कर दिया है कि अगर सिवालखास से जाट प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो वे किसी भी विधानसभा सीट पर गठबंधन को वोट नहीं देंगे।

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