लखनऊ। उत्तरप्रदेश में 'कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा' कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने बुधवार को कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है और वहीं उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों की भांप चुकी नाराजगी को दूर करने के चलते भारतीय जनता पार्टी ने बिना देरी किए जितिन प्रसाद को पार्टी की सदस्यता भी दिला डाली। इसके बाद से उत्तरप्रदेश के अंदर कांग्रेस में उथल-पुथल भी शुरू हो गई है।
लेकिन वहीं अगर भारतीय जनता पार्टी के पार्टी सूत्रों की मानें तो जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करना कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए कांटा बन सकता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के अंदर ब्राह्मण चेहरे के रूप में कई वरिष्ठ पदाधिकारी व वरिष्ठ नेता हैं और प्रदेश के अंदर ब्राह्मणों में उनकी पकड़ बेहद अच्छी है। उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से इन सभी की अनदेखी कर रही है और पार्टी के अंदर मौजूद इन सभी ब्राह्मणों का राजनीतिक भविष्य पार्टी मे अपने अंतिम पड़ाव पर खड़ा हुआ है।
अब ऐसे में ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने को लेकर उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण चेहरे के रूप में जितिन प्रसाद को लाना कहीं-न-कहीं पार्टी के अंदर बगावत पैदा कर सकता है। माना जा रहा है कि पार्टी के अंदर ब्राह्मण चेहरे के रूप में कद्दावर कई बड़े नेताओं को जितिन प्रसाद का पार्टी में लाना ठीक नहीं लगा है और भारतीय जनता पार्टी के अंदर लंबे समय से ब्राह्मण चेहरे के रूप में उत्तरप्रदेश में काम कर रहे ऐसे कुछ वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी साफतौर पर दिखाई देने लगी है।
कहीं-न-कहीं उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों को खुश करने के चक्कर में बीजेपी को कहीं बड़ा नुकसान न उठाना पड़े, इसी को लेकर लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार बताते हैं कि कांग्रेस से जितिन प्रसाद को बीजेपी में शामिल कराने के पीछे भारतीय जनता पार्टी की क्या मंशा है? इस पर तो अभी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन अगर सूत्रों की मानें तो उत्तरप्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने के लिए उसने यह कदम उठाया है। लेकिन आपको बता दूं कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर कई वरिष्ठ ब्राह्मण पदाधिकारी हैं जिनका राजनीतिक भविष्य हाशिए पर पड़ा हुआ है और इन सभी की पकड़ उत्तरप्रदेश के अंदर ब्राह्मणों के बीच अच्छी है। अब ऐसे में अगर जितिन प्रसाद को उत्तरप्रदेश का ब्राह्मण चेहरे के रूप में भारतीय जनता पार्टी उतारती है तो कहीं-न-कहीं पार्टी के अंदर बगावत की स्थिति पैदा हो सकती है और यह बगावत उत्तरप्रदेश के ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने में भारतीय जनता पार्टी के लिए कांटा साबित हो सकती है।
जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करना भारतीय जनता पार्टी का फैसला कितना ठीक है, यह तो समय बताएगा लेकिन अगर कांग्रेस के साथ उनके सफर को देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में जमीनी स्तर पर जितिन प्रसाद की पकड़ दिन-प्रतिदिन कमजोर ही होती चली गई है। अब ऐसे में वे भारतीय जनता पार्टी को कितना फायदा करा सकते हैं, यह तो 2022 का चुनाव ही बताएगा। लेकिन जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के रूप में उत्तरप्रदेश में प्रस्तुत करना बीजेपी को भारी पड़ सकता है और बीजेपी के अंदर बड़ी बगावत देखने को भी मिल सकती है।