लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहने वाले शिक्षक राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले ओमप्रकाश शर्मा का निधन शनिवार देर रात हो गया। वे 87 वर्ष के थे। वे लंबे समय से पेट की बीमारी से ग्रसित थे, लेकिन उसके बावजूद शिक्षकों के हक की लड़ाई वे अपने अंतिम समय तक लड़ते रहे।
बेहद ज्यादा तबीयत खराब होने के बावजूद शनिवार को डीआईओएस कार्यालय मैं चल रहे शिक्षकों के धरने में शामिल हुए थे। वे मूल रूप से बागपत जिले के सूजती गांव के रहने वाले थे।वे अपने पीछे दो बेटे और दो बेटियों का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
ओमप्रकाश शर्मा ने साल 1970 में विधान परिषद का पहला चुनाव जीता था।उन्होंने अंतिम चुनाव 2014 में जीता।पूर्व एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा शिक्षक सीट पर लगातार 8 बार जीते।48 साल तक एमएलसी में रहने के बाद 2020 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी वे लगातार शिक्षकों के हित के लिए लड़ते रहे।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक नेता एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य ओमप्रकाश शर्मा जी का निधन अत्यंत दुःखद है।प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें व शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।ॐ शांति।