कानपुर। उत्तरप्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत पुलिस की पिटाई से नहीं बल्कि गोरखपुर में गिरने से हुई थी।
उल्लेखनीय है कि कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में मौत हो गई थी। मनीष के परिजनों का आरोप है कि पुलिस की पिटाई में उसकी मौत हुई थी। पुलिस ने कमरे से खून साफकर सबूत मिटा दिए थे।
मनीष के परिजनों का आरोप है कि 6 पुलिस वाले मनीष के कमरे में घुसे थे, उन्होंने उसकी जमकर पिटाई की। मनीष के शरीर पर चोट के निशान थे। 3 आरोपियों के नाम हटाने पर FIR दर्ज की गई। पुलिस ने अभी तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर की घटना पर कड़ा रुख दिखाया। सीएम ने दोषी पाए जाने पर पुलिसवालों की बर्खास्ती के आदेश दिए हैं। सपा प्रमुख अखिलेश ने इस मामले में हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच की मांग की।
बुधवार को शव घर पहुंचने के बाद पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और एडीएम सिटी अतुल कुमार आर्थिक सहायता के तौर पर 10 लाख रुपये का चेक देने पहुंचे तो पत्नी मीनाक्षी का आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने चेक लेने से इनकार करते हुए कहा कि उसके बेगुनाह पति की पुलिस वालों ने पीट पीटकर निर्ममता से हत्या की है। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बजाए हत्या का सौदा करने आए हैं।
आप नेता संजय सिंह ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा, ये आदित्यनाथ सरकार के अधिकारी हैं। कह रहे हैं 'FIR न लिखवाओ वरना सालों साल केस चलेगा।' SP महोदय खुद मान रहे हैं 'पुलिसवालों का पहले से कोई झगड़ा तो था नहीं' मतलब साफ़ है की एक निर्दोष व्यक्ति की बिना किसी जुर्म के हत्या कर दी गई। तो FIR क्यों नही? न्याय कैसे मिलेगा?