International Nurses Day कब है? क्यों जरूरी है मनाना? कैसी होती है एक नर्स की जिंदगी?

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International Nurses Day 
 
प्रतिवर्ष 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) मनाया जाता है। यह दिन हमारे मनाना बहुत आवश्‍यक है, क्योंकि डॉक्टर्स के अलावा एक नर्स ही ऐसी होती है। जो पूरे दिल से मरीज तथा रोगियों की सेवा करती है। आज देश में महानगरों और बड़े शहरों में चिकित्सा व्यवस्था ठीक होने के कारण वहां पर नर्सों की संख्या में इतनी कमी नहीं है, जितनी छोटे शहरों और गांवों में है।
 
फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale), जिन्होंने नोबल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी, उनके जन्म दिवस पर यह दिन हर साल दुनिया भर में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है। फ्लोरेंस का जन्‍म 12 मई सन् 1820 को हुआ था, इसीलिए फ्लोरेंस की याद में उनके जन्‍म दिन पर हर साल 12 मई को 'वर्ल्‍ड नर्सिंग डे' के रूप में मनाया जाता है। जिंदगीभर बीमार और रोगियों की सेवा करने वाली फ्लोरेंस का अपना बचपन बीमारी और शारीरीक कमजोरी की चपेट में रहा।
 
क्यों मनाया जाता है : पहली बार ‘नर्स दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी ‘डोरोथी सदरलैंड’ ने प्रस्तावित किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डी.डी. आइजनहावर ने इसे मनाने की मान्यता प्रदान की। इस दिवस को वर्ष 1953 में पहली बार मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। नर्सिंग पेशेवर की शुरुआत करने वाली प्रख्यात ‘फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल’ के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय वर्ष 1974 में लिया गया। 
 
फ्लोरेंस नाइटेंगल के बारे में कहा जाता हैं, कि वह रात के समय अपने हाथों में लालटेन लेकर अस्‍पताल का चक्‍कर लगाया करती थी। उन दिनों बिजली के उपकरण नहीं थे, फ्लोरेंस को अपने मरीजों की इतनी फिक्र हुआ करती थी कि दिनभर उनकी देखभाल करने के बावजूद रात को भी वह अस्‍पताल में घूमकर यह देखती थी कि कहीं किसी को उनकी जरूरत तो नहीं है। उन्‍होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों और दुखियों की सेवा में समर्पित किया। 
 
इसके साथ ही उन्‍होंने नर्सिंग के काम को समाज में सम्‍मानजनक स्‍थान दिलवाया। इससे पूर्व नर्सिंग के काम को हिकारत की नजरों से देखा जाता था। सन् 1860 में फ्लोरेंस के अथक प्रयासों का सुखद परिणाम आर्मी मेडिकल स्‍कूल की स्‍थापना के रूप में मिला। इसी वर्ष में फ्लोरेंस ने नाइटेंगल ट्रेनिंग स्‍कूल की स्‍थापना की।

इसी साल फ्लोरेंस ने नोट्स ऑन नर्सिंग नाम की पुस्‍तक का प्रकाशन किया। यह नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए लिखी गई विश्‍व की पहली पुस्‍तक है। 'लेडी बिथ द लैम्प' के नाम से पहचानी जाने वाली आधुनिक नर्सिंग की जननी 'फ्लोरेंस नाइटिंगेल' की याद में ही यह दिवस मनाया जाता है।
 
नर्स की जिंदगी कैसी होती है?
 
आज नर्सिंग को सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जैसे सभी पहलुओं के माध्यम से बीमार या घायल लोगों की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित और अनुभवी होना जरूरी है, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। नर्से जो कि डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के साथ रोगियों को ठीक करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए काम करती हैं। न सुबह का पता न रात की खबर, कुछ इस तरह की होती है एक नर्स की जिंदगी। 
 
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां बीमारियों की भरमार है, उनसे कोई भी अछूता नहीं है और ऐसे समय में नर्स भी अपना काम बखूबी कर रही है। सुबह से शाम तक और रात से सुबह तक की ड्‍यूटी निभाने के दौरान भी वे जहां अपने पेशंट्‍स की अच्छी तरह और पूरा तन-मन लगाकर देखभाल करती है, वहीं समय पड़ने पर पेशंट के पास यदि उनके परिवार वाले मौजूद ना हो तो वे उन मरीजों का और भी अधिक अच्छे से ध्यान रखकर उनकी सेवा करती है।

नर्स को एक रोगी के प्रति अपना दायित्व पूरी तरह निभाने के लिए उनके मन:स्थिति को समझना अतिआवश्यक होता। आज कोरोना महामारी के बाद भी नर्सस अपनी भूमिका को तत्परता से निभा रही है और रोगियों की अच्छी तरह देखभाल करके दुनिया में एक मुकाम हासिल कर रही है और आज के समय में डॉक्टरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी सेवाएं दे रही है।

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