महिला दिवस पर कविता : स्त्री शीतल-शांत समीर सी

Webdunia
-सविता व्यास
 
स्त्री शीतल-शांत समीर सी
तो तप्त लू की तरह भी होती है
स्त्री त्याग की असीम आकाश सी
तो सहिष्णुता की धरती भी होती है
स्त्री अल्हड़ पहाड़ी नदी सी
तो गंभीर अगाध सागर भी होती है
स्त्री नरम नाजुक लता सी
तो मान-मर्यादा की रक्षक भी होती है
स्त्री बुद्धि-प्रतिभा आत्मविश्वास की
गुलदस्ता सी
तो पत्नी बन पति की अनुगामिनी हो जाती है
स्त्री बच्चों के लिए दुआ की
छतरी सी
तो बच्चों की उपेक्षा और अपने       
प्यार के बीच
फंसी बेबस पक्षी सी हो जाती हें
स्त्री जब भी अपने मन पर
अरमानों की सिलवट देखती है
स्त्री उसे इस्तरी कर
सपाट पत्थर कर देती है
स्त्री जो महत्वकांक्षा की
धधकती लपट थी
स्त्री बुझ कर राख़ हो जाती है...

सम्बंधित जानकारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख