Women's Day 2020 : महिला दिवस मनाएं या नहीं? क्या कहते हैं लोग

Webdunia
Women's day 2020


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को है। विभिन्न क्षेत्र के प्रबुद्ध जन से पूछा गया कि यह दिवस मनाया जाना चाहिए या नहीं? आखिर क्या है इस दिन की महत्ता? हमें मिले ज्वलंत और जागरूक जवाब। पेश है आपके लिए : 
 
शिक्षण संस्थान की संचालिका श्रीमती स्वाति जैन के अनुसार प्रत्येक नारी का जीवन मानव जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महिला दिवस पर सभी नारियों को संदेश है कि एक पढ़ी-लिखी सुसंस्कृत मां सौ स्कूलों के बराबर होती है। अतः नारी अपनी शक्ति को पहचाने और आजाद, भयमुक्त और नरम बने ताकि पुरुष प्रधान समाज में नारी की पहचान उसके अंदर की शक्ति से हो और स्वच्छ-सुंदर समाज का निर्माण हो। 
 
विज्ञापन एजेंसी की संचालिका श्रीमती तुलसी राठौर मानती हैं कि महिला के लिए राहें आसान नहीं होतीं किंतु महिलाएँ संकल्प कर लें तो स्वयं के लिए समाज में उपयुक्त स्थान बनाकर अन्य महिलाओं के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। महिलाओं में कार्य के प्रति ईमानदारी, समर्पण एवं अनुशासन भी अधिक रहता है और जिस घर में महिलाओं का सम्मान नहीं होता वहाँ शांति भी नहीं रहती है। 
 
पेशे से शिक्षिका सुश्री अरुणा चंदेल के अनुसार अपना लक्ष्य पाने के लिए संघर्षरत महिलाओं ने काफी कुछ पा लिया है और काफी कुछ पाना बाकी है किंतु ऐसे में अपने पारंपरिक विवाह और परिवार जैसी परंपरा को स्वतंत्रता के नाम पर नकारने लगे तो सामाजिक ताना-बाना बिखर सकता है। अपनी सादगी, संस्कृति और परंपराओं को अक्षुण्ण रखने के कर्तव्य का ध्यान रखना भी आवश्यक है। 
 
फार्मास्युटिकल संस्थान से जुड़ी सुश्री शक्ति कुंवर का कहना है कि महिला दिवस पर सिर्फ अधिकारों की चर्चा करने की अपेक्षा महिलाओं को यह याद रखना आवश्यक है कि महिला शक्ति, सुंदरता और विनम्रता का ऐसा सामंजस्य है जो निश्चित ही बेहद आकर्षक है, अद्भुत है और उसका भविष्य सुनहरा है। 
 
गृहिणी और घर से ही बुटिक का व्यवसाय करने वाली श्रीमती हेमा व्यास का कहना है कि वैसे तो आज सरपंच पद से लेकर अंतरिक्ष तक महिलाओं ने सफलता का परचम लहराया है किंतु एक दिन महिला दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा। महिला दिवस मनाने की सार्थकता तभी है जब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिलाओं में जागरूकता को बढ़ाया जाए। 
 
मुंबई में महिलाओं के परिधान का बड़ा शोरूम संचालित कर रही श्रीमती सुनीता चेमनानी महिला दिवस पर कहती हैं कि महिला दिवस क्यों? पुरुष दिवस क्यों नहीं? महिलाओं को कमजोर क्यों समझा जाता है? महिला ठान ले तो सब कुछ कर सकती है। 
 
जब रुपांकन के श्री अशोक दुबे से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि स्त्री की सुंदरता में विलक्षण शक्ति होती है। विश्व नियंता को यदि हम एक कुशल चित्रकार मान लें तो स्त्री उसका सर्वश्रेष्ठ रंगीन चित्र है। अन्य सबों में रंग भरने के बाद अंत में कला की पराकाष्ठा के रूप में अपनी सर्वाधिक प्रभावशाली तुलिका से चित्रकार द्वारा बनाई गई एक रंगीन पूर्णाकृति। ऐसी पूर्णाकृति और नारी शक्ति को नमन करते हुए उन्होंने कहा- 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।'

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

इस विंटर सीजन अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए ये 10 ब्यूटी टिप्स जरूर करें फॉलो

एक हफ्ते में कम करना चाहते हैं वजन तो ये डिटॉक्स डाइट अपनाएं, तुरंत दिखेगा असर

बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या से हैं परेशान? राहत के लिए अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

ठंड के सीजन में फटने लगी है त्वचा? तो अपनाएं सबसे असरदार और नैचुरल उपाय

भारतीय लोगों पेट के आस-पास चर्बी क्यों जमा हो जाती है? जानें कारण और समाधान

अगला लेख