बुजुर्गों के लिए आसान योग: जानें हमेशा सेहतमंद बने रहने के 4 सरल तरीके

WD Feature Desk
शुक्रवार, 20 जून 2025 (16:12 IST)
yoga for elderly : बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जैसे जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में कमज़ोरी, लचीलेपन की कमी और ऊर्जा स्तर में गिरावट। ऐसे में योग एक बेहतरीन तरीका है जिससे बुजुर्ग लोग अपनी सेहत को बनाए रख सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। बुजुर्गों के लिए योग का उद्देश्य कठोर आसन करना नहीं, बल्कि शरीर को गतिशील रखना, लचीलापन बढ़ाना, संतुलन बनाए रखना और मानसिक शांति प्राप्त करना है।ALSO READ: योग एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन का मार्ग, पढ़ें योग दिवस पर हिन्दी में निबंध
 
यहां वेबदुनिया के प्रिय पाठकों के लिए कुछ आसान योगासन और तकनीकें बताई जा रही हैं जिन्हें बुजुर्ग अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं:
 
1. कुर्सी योग (Chair Yogas):
यह उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिन्हें ज़मीन पर बैठने या खड़े होने में दिक्कत होती है।
 
- कुर्सी पर बैठकर गर्दन का घुमाव:
धीरे-धीरे अपनी गर्दन को दाएं से बाएं और बाएं से दाएं घुमाएं।
फिर धीरे-धीरे ऊपर और नीचे की ओर झुकाएं।
यह गर्दन की अकड़न को कम करता है।
 
- कुर्सी पर बैठकर कंधे का घुमाव:
अपने कंधों को धीरे-धीरे आगे और पीछे की दिशा में गोलाकार घुमाएं।
यह कंधों की जकड़न को दूर करता है।
 
- कुर्सी पर बैठकर पैर उठाना:
सीधे बैठें, एक पैर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और फिर नीचे लाएं। दूसरे पैर से दोहराएं।
यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
 
- कुर्सी पर बैठकर ट्विस्ट:
कुर्सी पर सीधे बैठें। अपने ऊपरी शरीर को धीरे-धीरे एक तरफ मोड़ें, फिर दूसरी तरफ।
यह रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में मदद करता है।
 
2. खड़े होकर किए जाने वाले सरल आसन:
इन आसनों को सहारे के लिए कुर्सी या दीवार का उपयोग करके किया जा सकता है।
 
- ताड़ासन:
सीधे खड़े हो जाएं, पैर कंधे की चौड़ाई पर। हाथों को शरीर के बगल में रखें या नमस्कार मुद्रा में जोड़ें। गहरी सांस लें और शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कल्पना करें।
यह संतुलन और रीढ़ की हड्डी की सीधी स्थिति में सुधार करता है।
 
- वृक्षासन:
दीवार या कुर्सी का सहारा लेकर खड़े हों। एक पैर को घुटने से मोड़कर दूसरे पैर की जांघ या पिंडली पर रखें (तलवा)। हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ें।
यह संतुलन और एकाग्रता में सुधार करता है।
 
- दीवार पुश-अप्स:
दीवार से एक हाथ की दूरी पर खड़े हों। हाथों को कंधे की चौड़ाई पर दीवार पर रखें। धीरे-धीरे दीवार की ओर झुकें और फिर वापस आएं।
यह ऊपरी शरीर और बाहों को मजबूत करता है।
 
- 3. लेटने वाले सरल आसन:
ये आसन शरीर को आराम देने और पीठ को मजबूत करने में मदद करते हैं।
 
पवनमुक्तासन :
पीठ के बल लेट जाएं। एक पैर को मोड़कर घुटने को छाती की ओर लाएं और हाथों से पकड़ें। कुछ देर रुकें और दूसरे पैर से दोहराएं।
यह गैस और कब्ज में राहत देता है, पेट की मांसपेशियों को मालिश करता है।
 
सेतुबंधासन:
पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें, पैर ज़मीन पर। धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर उठाएं। पीठ के निचले हिस्से के नीचे एक तकिया या ब्लॉक रख सकते हैं।
यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और पीठ दर्द में राहत देता है।
 
शवासन:
पीठ के बल लेट जाएं, हाथ शरीर से थोड़ी दूरी पर, हथेलियां ऊपर की ओर। पैर थोड़े खुले हुए। आंखें बंद करें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
यह शरीर और मन को गहरा विश्राम देता है, तनाव कम करता है।
 
4. श्वास अभ्यास (प्राणायाम):
ये मानसिक शांति और ऊर्जा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
 
अनुलोम-विलोम :
आरामदायक स्थिति में बैठें। एक नथुने से सांस लें, दूसरे से छोड़ें, फिर विपरीत।
यह मन को शांत करता है, तनाव कम करता है और श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है।
 
भ्रामरी प्राणायाम :
आरामदायक स्थिति में बैठें। अंगूठों से कान बंद करें, उंगलियों से आंखें। गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए गुनगुनाने की आवाज करें।
यह मन को शांत करता है, चिंता कम करता है और अच्छी नींद में मदद करता है।
 
बुजुर्गों के लिए योग करते समय महत्वपूर्ण बातें:
- धीरे-धीरे शुरुआत करें: एक साथ ज़्यादा न करें। धीरे-धीरे शुरू करें और समय के साथ अवधि बढ़ाएं।
- शरीर की सुनें: दर्द होने पर रुक जाएं। शरीर को जबरदस्ती न करें।
- किसी विशेषज्ञ की देखरेख: यदि संभव हो, तो शुरुआत में किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में अभ्यास करें जो बुजुर्गों के योग में अनुभवी हो।
- चिकित्सक की सलाह: किसी भी नई व्यायाम दिनचर्या शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें, खासकर यदि कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो।
- नियमितता: छोटे-छोटे सत्रों में ही सही, लेकिन नियमित रूप से अभ्यास करें।
- श्वसन पर ध्यान: हर आसन को करते समय अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।

आपको बता दें कि योग बुजुर्गों के लिए सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी एक अद्भुत साधन है। यह उन्हें सक्रिय, स्वतंत्र और खुशहाल जीवन जीने में मदद कर सकता है। 
 
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