Yoga Day 2021: 7 कठिन योगासन, जो जरूरी है मजबूत शरीर के लिए, लेकिन करें देखरेख में

अनिरुद्ध जोशी
हर कोई सरल योगासन तो सीख ही जाता है जिससे शरीर लचीला बनता है परंतु कठिन योगासन सिखने या करने में थोड़ा जोखिम भी रहता है। आओ विश्‍व योगा दिवस पर जानते हैं कि वे कौनसे 7 कठिन योगासन है जिन्हें करने से शरीर मजबूत होता है।

1. अर्ध-मत्स्येन्द्रासन : बैठकर किए जाने वाले आसनों में अर्ध-मत्स्येन्द्रासन आसन थोड़ा कठिन होता है। इसे करने से शरीर मजूबत तो होता ही है साथ ही मेरुदंड स्वस्थ रहने से स्फूर्ति बनी रहती है। रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को भी अच्छी कसरत मिल जाती है। पीठ, पेट के नले, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती की नाड़ियों को अच्‍छा खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। फलत: बंधकोष दूर होता है। जठराग्नि तीव्र होती है। विवृत, यकृत, प्लीहा तथा निष्क्रिय वृक्क के लिए यह आसन लाभदायी है। कमर, पीठ और संधिस्थानों के दर्द जल्दी दूर हो जाते हैं।
 
2. पूर्ण चक्रासन : इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। यह एकदम से नहीं अभ्यास करते रहने से ही होता है। इसमें शरीर का आकार एकदम चक्र के समान हो जाता है। इसे उर्ध्व धनुरासन भी कहा जाता हैं। इसके बहुत सारे लाभ है। यदि आपको अपने बुढापे को रोकना है तो इसमें पारंगत हो जाएं। यह कंधे, कमर, घुटने, रीढ़ आदि सभी को मजबूत करता है।
 
3. शलभासन : इस आसन को पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को जंघाओं के नीचे दबाकर किया जाता है। पहले एक पैर को उपर उठाया जाता है और उसे नीचे रखने के बाद फिर दूसरे को उपर उठाते हैं और बाद में दोनों पैरों को कुछ देर के लिए उपर उठाते हैं। इस दौरान ठोड़ी को भूमि पर टिकाएं। यह आसन मेरुदण्ड के नीचे वाले भाग में होने वाले सभी रोगों को दूर करता है। कमर दर्द एवं साइटिका दर्द के लिए विशेष लाभप्रद है। इसके और भी कई लाभ हैं।
4. पादहस्तासन : यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इस आसन की पूर्ण स्थिति तब बनती है जबकि आपका माथा घुटने से टिक जाए और पैर भी सीधे रहे। यह आसन मूत्र-प्रणाली, गर्भाशय तथा जननेन्द्रिय स्रावों के लिए विशेष रूप से अच्‍छा होता है। इससे कब्ज की शिकायत भी दूर होती है। यह पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है तथा जंघाओं और पिंडलियों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। आंतों के व पेट के प्राय: समस्त विकार इस आसन को नियमित करने से दूर होते हैं। इससे सुषुम्ना नाड़ी का खिंचाव होने से उनका बल बढ़ता है।
 
5. एकपाद ग्रीवासन : यह सुखासन में बैठकर किए जाने वाले आसनों में से एक है। इसमें आपको अपना एक पैर गर्दन के पीछे ले जाकर टिकाना होता है। दोनों पैरों को पीछे ले जाने को द्वीपाद ग्रीवासन कहते हैं। यदि आप दंडासन में बैठकर इस आसन को करेंगे तो इसे स्कन्धपादासन कहेंगे। इसके बहुत सारे लाभ होते हैं।
 
6. वृश्चिकासन : वृश्चिक का अर्थ है बिच्छू। इस आसन को करने में व्यक्ति की आकृति किसी बिच्छू के समान हो जाती है इसीलिए इसे वृश्चिकासन कहते हैं। यह बहुत ही कठिन आसन है। इस आसन को करने से कोहनी, रीढ़, कंधे, गर्दन, छाती और पेट में खिंचाव होता है। शीर्षासन और चक्रासन से जो लाभ मिलता है वही लाभ इस आसन को करने से भी मिलता है।
 
7. अष्टवक्रासन या अष्टावक्रासन : बैठकर किए जाने वाले आसनों में यह सबसे कठिन आसन है। यह शरीर को तो मजबूत करता ही है साथ ही अष्टवक्रासन का अभ्यास धैर्य, दृढ़ता, एकाग्रता, कठोरता, साहस जैसे गुणों को विकसित करता है।

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