अंबेडकर जयंती 2025: समाज सुधारक डॉ. भीमराव के जीवन की प्रेरक बातें

अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल को, जानें उनके बारे में

WD Feature Desk
मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (14:43 IST)
Ambedkar Jayanti 2025 : अंबेडकर जयंती प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन भारत के महान समाज सुधारक, न्यायविद् और भारतीय संविधान के जनक डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह जयंती सोमवार, 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। 
 
आइए यहां जानते हैं डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में विस्तार से:
 
प्रारंभिक जीवन: डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर एक महार परिवार में हुआ था। यह समुदाय उस समय अछूत माना जाता था, जिसके कारण उन्हें बचपन से ही सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। 
 
उनके पिता, रामजी मालोजी सकपाल, ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सूबेदार थे और कबीर पंथ के अनुयायी थे। डॉ. अंबेडकर लगभग 9 हिन्दी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, मराठी, पर्शियन गुजराती और जर्मन भाषाओं के ज्ञाता थे और उन्होंने 21 साल की उम्र तक लगभग सभी धर्मों का अध्ययन कर लिया था। उनके पास लगभग 32 डिग्रियां थीं और उनकी निजी लाइब्रेरी में 50,000 से अधिक पुस्तकें थीं।
 
शिक्षा: भीमराव एक प्रतिभाशाली छात्र थे, लेकिन अपनी जाति के कारण उन्हें स्कूल में भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतारा में प्राप्त की और फिर एल्फिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 
 
फिर बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ की सहायता से, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा की। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय (यूएसए) से अर्थशास्त्र में एम.ए. और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी अर्थशास्त्र में एमएससी और डीएससी की डिग्रियां हासिल कीं और ग्रेज़ इन से कानून की पढ़ाई की थीं।
 
भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन: अंबेडकर जयंती भारत में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो उनकी स्मृति और उनके योगदान को समर्पित है। इस दिन को 'समानता दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है। पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है और विभिन्न कार्यक्रम, चर्चाएं और सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में स्वतंत्र लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी, शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन का गठन करने तथा भारतीय तिरंगे में 'अशोक चक्र' को जगह देने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
 
दलितों के मसीहा: उनका जीवन सच्चाई, न्याय और सामाजिक समानता के लिए संघर्ष का प्रतीक है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर एक महान विद्वान, समाज सुधारक और दूरदर्शी नेता थे, जिनका योगदान आधुनिक भारत के निर्माण में अविस्मरणीय है। उन्हें दलितों और अन्य समुदायों के मसीहा के रूप में याद किया जाता है।

बाबासाहेब अंबेडकर के 3 नारे: बाबासाहेब ने 3 मंत्र दिए हैं- सबसे पहला शिक्षित बनो, दूसरा संघर्ष करो और तीसरा संगठित रहो। अत: आज हमें इसी विचारधारा पर चलना होगा तभी देश में एकता आएगी और कायम रहेगी। 

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