नाभि से कैसे होगी शनि पीड़ा दूर, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
धरती पर अलग-अलग स्थानों पर ग्रह नक्षत्र अपना अपना प्रभाव डालते हैं जिसके चलते भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रजातियां, पेड़-पौधे और खनिजों का जन्म होता है। उसी तरह प्रत्येक ग्रह शरीर पर भी नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसी तरह शनि का भी शरीर पर प्रभाव रहता है। शनि ग्रह का वैसे तो शरीर की हड्डी, नाभि, फेंफड़े, बाल, आंखें, भवें, कनपटी, नाखून घुटने, जोडो का दर्द, ऐड़ी, स्नायु, आंत और कफ पर अच्छा और बुरा प्रभाव रहता है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार खासकर हड्डी और नाभि पर शनि का खास प्रभाव माना गया है। आओ जानते हैं नाभि से शनि पीड़ा को कैसे दूर कर सकते हैं।
 
 
नाभि 
1. नाभि हमारे जीवन का केंद्र है। इस पर शनि का ही प्रभाव रहता है। शनि के बुरे प्रभाव के कारण नाभि के या नाभि से रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जब शनि का जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो नाभि और हड्डी से जुडी परेशानी उत्पन्न होने लगती है। 
 
2. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में रोग पहचानने के कई तरीके हैं, उनमें से एक है नाभि स्पंदन से रोग की पहचान। नाभि स्पंदन से यह पता लगाया जा सकता है कि शरीर का कौन-सा अंग खराब हो रहा है या रोगग्रस्त है। नाभि के संचालन और इसकी चिकित्सा के माध्यम से सभी प्रकार के रोग ठीक किए जा सकते हैं। 
3. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार नाभि के आकार प्रकार को देखकर जाना जा सकता है बहुत कुछ। योग शास्त्र में नाभि चक्र को मणिपुर चक्र कहते हैं। नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का यह चक्र शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 दल कमल पंखुरियों से युक्त है। नाभि को ठीक रखने के लिए सूर्य नमस्कार करते रहना चाहिए।
 
4. नाभि पर सरसों का तेल लगाने से होंठ मुलायम होते हैं। नाभि पर घी लगाने से पेट की अग्नि शांत होती है और कई प्रकार के रोगों में यह लाभदायक होता है। इससे आंखों और बालों को लाभ मिलता है। शरीर में कंपन, घुटने और जोड़ों के दर्द में भी इससे लाभ मिलता है। इससे चेहरे पर कांति बढ़ती है।
 
5. नाभि पर तेल या घी लगाने के जहां स्वास्थ लाभ है वहीं इससे शनि की पीड़ा भी शांत हो जाती है। नाभि में 1,458 प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो बाहरी बैक्टीरिया से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। नाभि में कई बार फंगल इंफेक्शन हो जाता है, ऐसे में नाभि को साफ-सुथरा रखना बहुत जरूरी है। लेकिन इसकी इतनी भी सफाई नहीं करना चाहिए कि इसके बैक्टीरिया ही मर जाएं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

जब 1942 में प्रयाग पर बम गिरने के डर से अंग्रेजों ने लगा दिया था प्रतिबंध, जानिए इतिहास

महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व, जानें

प्रयाग कुंभ मेले में जा रहे हैं तो ये 12 कार्य करें और 12 कार्य नहीं

महाकुंभ में नहीं जा पा रहे तो इस विधि से घर बैठे पाएं संगम स्नान का पुण्य लाभ

Mahakumbh 2025: प्रयागराज कुंभ मेले में जा रहे हैं तो इन 12 नियमों और 12 सावधानियों को करें फॉलो

सभी देखें

नवीनतम

17 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

17 जनवरी 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Shattila Ekadashi: 2025 में कब है षटतिला एकादशी, क्यों मनाई जाती है?

Astro Tips For Exams: परीक्षा में चाहते हैं सफलता, तो आजमाएं ये 5 ज्योतिषीय उपाय

Sakat Chauth Vrat 2025: सकट चौथ व्रत क्यों और कैसे रखा जाता है, जानें महत्व, मुहूर्त और विधान

अगला लेख