आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य आने से धरती होती है रजस्वला, खीर-पूड़ी और पंछी के आशियाने देंगे शुभ फल

Webdunia
बुधवार, 22 जून 2022 (16:05 IST)
Transit of Sun in Ardra Nakshatra : 22 जून, बुधवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर सूर्य ने आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश किया है। 6 जुलाई 2022 तक सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा। बुध की राशि में सूर्य होने और बुधवार को ही नक्षत्र परिवर्तन होने से इस बार बारिश से किसान और खेती से जुड़े बिजनेस करने वालों के लिए समय बहुत शुभ है। मान्यता है कि जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है। यानी इसमें बीज बोने का सही समय होता है।
 
 
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र : आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र और स्वामी राहु है। कल्याणकारी भगवान शिव के ही एक रूप रूद्र आंधी-तूफान के स्वामी हैं। यह उर्ध्वमुख नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में ऊपर की ओर गति करने वाले काम किए जाते हैं। इसलिए जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होता है तभी बीज बोए जाते हैं और खेती की शुरुआत होती है। इसलिए ज्योतिषीयों का कहना है कि आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के आने से बारिश का मौसम शुरू हो जाता है। इस नक्षत्र में जानवरों से जुड़े काम किए जाते हैं।
 
सूर्य की चाल से ही बदलती हैं ऋतुएं : सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहता है। इस तरह 2 राशियां बदलने पर मौसम भी बदल जाता है। जैसे सूर्य जब वृष और मिथुन राशि में रहता है तब 15 मई से ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है। इसके बाद वर्ष ऋतु के दौरान कर्क और सिंह राशि में सूर्य रहता है। फिर कन्या और तुला राशि में जब सूर्य रहता है तो शरद ऋतु होती है। इसके बाद वृश्चिक और धनु राशि में सूर्य के चलते हेमंत और मकर-कुंभ में रहते हुए शिशिर ऋतु होती है। फिर मीन और मेष राशि में जब सूर्य होता है तो वसंत ऋतु रहती है।
 
पक्षियों के लिए आशियाने लगाने चाहिए : सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान सूर्य ऊर्जा के प्रतीक और आरोग्य के कारक हैं। भगवान सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है। सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन के दिन गरीबों को भोजन व वस्त्र दान करना चाहिए, गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए आशियाने भी लगाने चाहिए।
 
खीर-पूड़ी : सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी के भोग के साथ अर्घ्य देना चाहिए। जब सूर्य आद्रा नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी रजस्वला होती है। ये नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। इसे खेती के कामों में मददगार माना जाता है। खीर-पूड़ी का सम्बंध सेहत और स्वाद के साथ धार्मिक भी है...  
 

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