कोरोना वायरस से ईरान का इतना बुरा हाल कैसे हो गया

Webdunia
गुरुवार, 26 मार्च 2020 (15:09 IST)
कोरोना वायरस (Corona virus) की मार जिन देशों पर सबसे ज़्यादा पड़ी है, उनमें से एक है ईरान। यहां 27 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि आरोप ये है कि वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज़्यादा हैं और सरकार आंकड़ों को कम करके दिखा रही है। आलोचकों का कहना है कि ईरान सरकार लगातार कोरोना के ख़तरे को कम करके दिखाती रही। 19 फ़रवरी को पहली घोषणा में सरकार ने लोगों से कहा कि वो वायरस से नहीं घबराएं।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने ईरान के दुश्मनों पर ख़तरे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाया। एक हफ्ते के बाद संक्रमित लोगों और मौतों के आंकड़े बढ़े तो राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सुप्रीम लीडर के शब्द दोहराए और साज़िशों और देश के दुश्मनों के डर पैदा करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा कि ये देश को रोकने के लिए किया जा रहा है और रूहानी ने ईरानी लोगों से अपील की कि वो आम जनजीवन जीते रहे और काम पर जाते रहें। कुछ वक्त पहले सरकारी टीवी प्रोग्रामों में आशंका जताई गई कि कोरोना वायरस अमेरिका द्वारा बनाया गया बायो वेपन हो सकता है। सुप्रीम लीडर ने भी बायोलॉजिकल हमले के बारे में ट्वीट किया।

तेज़ी से फैला वायरस
लेकिन सिर्फ़ 16 दिनों में ही कोविड-19 ईरान के सभी 31 प्रांतों में फैल गया था। साथ ही इराक़, पाकिस्तान, यूएई, कुवैत, क़तर जैसे 16 देशों ने दावा किया कि उनके यहां वायरस ईरान के ज़रिए पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 2016 में ईरान की आबादी 8 करोड़ 2 लाख 77 हज़ार दर्ज की गई थी और वो अपनी जीडीपी का 6।9 प्रतिशत (2014) हिस्सा स्वास्थ्य के लिए रखता है। इसके बावजूद ईरान कोरोना के ख़तरे से निपटने में संघर्ष कर रहा है और अमरीका की मदद की पेशकश भी ठुकरा चुका है।

देश के सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई का कहना है कि ईरान अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, अमेरिकियों पर इस वायरस के पीछे होने के आरोप लग रहे हैं। मैं नहीं जानता कि ये कितना सच है। लेकिन कौन समझदार दिमाग़ वाला उन पर भरोसा करेगा?

ये बयान ऐसे वक्त में आया जब कहीं यात्रा ना करने की आधिकारिक अपीलों के बावजूद, ईरानी लोग साल का सबसे बड़ा हॉलीडे- पर्सियन न्यू ईयर या नौरोज़ मनाने जा रहे थे। इस मौक़े पर हज़ारों लोग पारिवारिक हॉलीडे के लिए कैस्पियन सागर और देश के दूसरे हिस्सों में जाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने स्थिति को संभालने के लिए लोगों से यात्रा ना करने और घरों में रहने की अपील की थी।इसके बावजदू बड़ी संख्या में लोगों ने इस चेतावनी की अनदेखी की और न्यू ईयर हॉलीडे नज़दीक आने पर सड़कों पर भारी ट्रैफ़िक देखा गया। सोशल मीडिया पर राजधानी तेहरान की मुख्य सड़कों पर ट्रैफ़िक जाम की तस्वीरें शेयर की गईं।

ईरान ने बचने के लिए क्या क़दम उठाए
ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने देशभर में शॉपिंग सेंटर और बाज़ारों को 15 दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया था और सिर्फ़ दवाइयों और रोज़मर्रा के ज़रूरी सामानों को इससे छूट दी गई थी। प्रशासन ने अब कोम और मशहाद शहरों में स्थित धार्मिक स्थलों समेत सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया है।

कोम में स्थित धार्मिक स्थल को शिया मुस्लिमों के बीच काफ़ी पवित्र माना जाता है। हर साल यहां लाखों शिया मुस्लिम श्रद्धालु आते हैं। ये इलाक़ा कोरोना महामारी का केंद्र रहा है। यहां के धार्मिक स्थल को पहले बंद ना करने की वजह से ईरान सरकार की काफ़ी आलोचना भी हुई थी।

ईरान की संसद में वाइस स्पीकर और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेज़ेशियन ने कहा था, कोम को पहले दिन से क्वारंटीन किया जाना चाहिए था। ये बीमारी कोई मज़ाक नहीं है कि इस तरह से हम इससे निपटेंगे। लेकिन धार्मिक स्थल बंद कर देने के बावजूद मशहाद में छुट्टियों के दौरान लोगों का बड़ी संख्या में आना जारी रहा। शहर के मेयर ने मानवीय तबाही होने की चेतावनी दी और शहर को लॉकडाउन ना करने के सरकार के फ़ैसले की आलोचना की।

हालांकि सरकार ने स्कूलों, विश्वविद्यालयों और धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया है और सांस्कृतिक और धार्मिक समारोह पर रोक लगा दी है। लेकिन पूरी तरह से लॉकडाउन अभी तक नहीं किया गया है। राष्ट्रपति रूहानी ने परिवारों और कारोबारों पर आया दबाव कम करने के लिए आर्थिक क़दमों की घोषणा की है। इसमें हेल्थ इंश्योरेंस, टैक्स और ज़रूरी सुविधाओं के बिलों की पेमेंट को आगे बढ़ा देने जैसे क़दम शामिल हैं।

सरकार ने कहा है कि ईरान के 30 लाख ग़रीब लोगों को कैश पेमेंट दी जाएगी। वहीं अन्य 40 लाख लोगों को कम ब्याज़ दरों पर लोन दिए जाएंगे। सरकार को और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत थी? आलोचकों का कहना है कि ईरान सरकार को कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए बहुत पहले कड़े क़दम उठाने चाहिए थे।

हालांकि देश के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ का कहना है कि अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से ईरान के हेल्थकेयर सिस्टम को झटका लगा है। ज़रीफ़ ने कहा कि उन्होंने ईरान के संसाधनों को कमज़ोर कर दिया है। वहीं, अमरीका ने इस बात से इनकार किया है कि उसके प्रतिबंधों की वजह से ईरान को मेडिकल सप्लाई के आयात में परेशानी आ रही है।

अमेरिका का कहना है कि उसने मानवीय ज़रूरत के सामान को छूट दी हुई है। लेकिन ईरान का कहना है कि कंपनियां को पैसे का लेनदेन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि बैंक अमेरिका के प्रतिबंध को देखते हुए रिस्क नहीं लेना चाहते। ईरान सरकार का कहना है कि अब 5 बिलियन डॉलर की आपातकालीन मदद के लिए वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बात करेगा।

क्या ईरान के पास पर्याप्त मेडिकल उपकरण हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ईरान के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए डाइग्नोस्टिक किट और सुरक्षा उपकरण भेजे थे। जिनमें 7।5 टन के मेडिकल सप्लाई शामिल थे। डब्ल्यूएचओ की एक टीम ने हाल में ईरान का दौरा करने के बाद कहा कि टेस्टिंग और दूसरे क्षेत्रों में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन और भी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है। दूसरे प्रभावित देशों की तरह ही ईरान में भी लोग मास्क और सैनिटाइज़र जैसी चीज़ों के लिए मेडिकल शॉप्स के बाहर लाइन में लगे देखे जा सकते हैं।

जहां ये चीज़ों मिल रही हैं, वहां इनकी क़ीमतें 10 गुना ज़्यादा हो गई हैं। सोशल मीडिया पर कई दावे किए जा रहे हैं कि मास्क इसलिए कम हो गए क्योंकि लाखों पहले ही चीन को दान कर दिए गए। ऐसी ख़बरें भी आईं कि चीनी कंपनियों ने ईरान से बड़ी मात्रा में मास्क ख़रीद लिए, जिससे अब घरेलू बाज़ार में कमी हो गई है। ईरान की सरकार का कहना है कि उसने अब अगले 3 महीने के लिए फेस मास्क के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है और दूसरी फ़ैक्टरियों को उत्पादन बढ़ाने के आदेश दिए हैं।

लोग जो ज़्यादा ख़तरे में हैं
ईरान में एक समूह को लेकर सबसे ज़्यादा चिंता जताई जा रही है। ये वो हज़ारों लोग हैं, जो 1980 के दशक में आठ साल चले ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान रासायनिक हमले के पीड़ित रहे थे। इनमें कई बूढ़े लोग हैं। ये लोग उस रसायनिक हमले से तो बच गए थे, लेकिन उसकी वजह से उनकी सेहत बहुत कमज़ोर हो गई है, कई के फेफड़ों में परेशानी है। कई जो ऑक्सीजन मास्क की मदद से सांस लेते हैं।

डर है कि ये लोग आसानी से कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं। क्षेत्र में वायरस से सबसे ज़्यादा बुरी तरह से प्रभावित होने के बावजूद ईरान लॉकडाउन से बचता रहा है। लेकिन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी अब कह रहे हैं कि उनकी सरकार कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाने जा रही है। उनके मुताबिक़ इसमें लोगों के कहीं आने-जाने पर रोक जैसे क़दम शामिल होगी। इन कोशिशों के तहत ईरान पहले ही 85 हज़ारों क़ैदियों को अस्थाई तौर पर रिहा कर चुका है और अन्य 10 हज़ार लोगों को माफ़ी दी जाएगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PM Modi UK Visit : PM मोदी की ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर से मुलाकात, FTA पर दोनों देशों के हस्ताक्षर, क्या होगा सस्ता

Extra marital affairs के कारण एक और पाकिस्तानी क्रिकेटर का निकाह टूटने की कगार पर

कौन हैं अजय सेठ, जो संभालेंगे IRDAI की कमान?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उपराष्ट्रपति चुनाव में INDIA गठबंधन की एकता की अग्निपरीक्षा!

बिहार SIR : चुनाव आयोग ने दी बड़ी राहत, 1 माह में जुड़वा सकेंगे वोटर लिस्ट में नाम

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

iQOO Z10R 5G : 5,700mAh और 50MP कैमरे वाला सस्ता स्मार्टफोन

Apple iphone 17 pro price : लॉन्च से पहले ही आईफोन 17 प्रो की चर्चाएं, क्या होगी कीमत और फीचर्स, कैसा होगा कैमरा

iPhone 16 को कड़ी टक्कर देगा Vivo का सस्ता फोन, 6500mAh की दमदार बैटरी धांसू फीचर्स

Samsung Galaxy Z Fold 7 : सैमसंग का धांसू फ्लिप स्मार्टफोन, कीमत सुनेंगे तो हो जाएंगे हैरान

OnePlus Nord 5 : 20 घंटे चलने वाली बैटरी, 50 MP कैमरा, वन प्लस का सस्ता स्मार्टफोन लॉन्च

अगला लेख