इमरान ख़ान ने तहरीक-ए-तालिबान पर ऐसा क्या कहा कि पाकिस्तान में बरपा हंगामा

BBC Hindi
बुधवार, 13 अक्टूबर 2021 (07:52 IST)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चरमपंथी समूह 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' (टीटीपी) को 'पश्तून आंदोलन' कहने पर निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के सदस्य मोहसिन दावड़ ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने 'पश्तूनों की भावनाओं को आहत किया है' इसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।
 
'मिडिल ईस्ट आई' को दिए इंटरव्यू में जब इमरान ख़ान से पूछा गया कि उन्होंने अपनी किताब में कहा था कि अमेरिका की वापसी से अफ़ग़ानिस्तान में प्राकृतिक तौर पर स्थिरता आ सकेगी, लेकिन टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) अब पाकिस्तान में एक समस्या बन गई है। अमेरिका की वापसी से इस समस्या का समाधान क्यों नहीं हो सका?
 
इमरान ख़ान ने इसके जवाब में कहा कि ''टीटीपी पाकिस्तानी सीमा के पश्तून हैं... तालिबान एक पश्तून आंदोलन है। अफ़ग़ानिस्तान में क़रीब 45 से 50 फ़ीसद आबादी पश्तून है, लेकिन डूरंड रेखा से पाकिस्तान की तरफ़ पश्तूनों की आबादी लगभग दोगुनी है।''
 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि "जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण किया, तो उन्होंने तालिबान को खदेड़ दिया। तब इस तरफ़ के पश्तूनों को उस तरफ़ के पश्तूनों से हमदर्दी हुई थी। इसका कारण धार्मिक विचारधारा नहीं बल्कि पश्तून क़ौमियत और एकता थी, जो बहुत मज़बूत है।"
 
'पश्तूनों के घावों पर नमक'
इस इंटरव्यू के प्रकाशित होने के बाद पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य और पश्तून तहफ़्फ़ुज़ (रक्षा) मूवमेंट के समर्थक मोहसिन दावड़ ने एक ट्वीट में इमरान ख़ान की आलोचना करते हुए कहा कि "एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पश्तूनों को आतंकवादी कह रहे हैं।"
 
उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान "उन लाखों पश्तूनों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं" जिनके प्रियजनों ने तालिबान चरमपंथ के कारण अपनी जान गंवाई है।
 
इस ट्वीट के कुछ देर बाद, मोहसिन दावड़ ने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि उन्होंने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें उन्होंने पश्तूनों को 'तालिबान' कहने और 'उनकी तुलना आतंकवादियों से करने पर इमरान ख़ान से मांग की है कि वे माफ़ी मांगें।
 
हालांकि, उन्होंने प्रस्ताव की जो कॉपी शेयर की है उसमें इस इंटरव्यू का ज़िक़्र नहीं है, बल्कि इमरान ख़ान के संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण का उल्लेख किया गया है।
 
ध्यान रहे कि इस इंटरव्यू से पहले इमरान ख़ान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने हालिया भाषण में कहा था, ''अफ़ग़ान सीमा से सटे पाकिस्तान के क़बायली इलाक़ों के लोग तालिबान के प्रति 'गहरी हमदर्दी' रखते थे, इसकी वजह धार्मिक पहचान नहीं है, बल्कि पश्तून क़ौम परस्ती है... इसके अलावा पाकिस्तान में अभी भी 30 लाख अफ़ग़ान शरणार्थी हैं। जितने भी पश्तून कैंप में रह रहे हैं, उनकी हमदर्दी अफ़ग़ान तालिबान के साथ है..."
 
मोहसिन दावड़ का प्रस्ताव
मोहसिन दावड़ ने अपने प्रस्ताव में कहा है, "यह सदन संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान ख़ान के हालिया भाषण में उन टिप्पणियों की निंदा करता है जिसमें उन्होंने तालिबान को पश्तून क़ौमपरस्त बताया है, जो कि पूरी तरह से ग़लत है।"
 
प्रस्ताव में लिखा है, "प्रधानमंत्री के बेबुनियाद और ग़लत दावे पश्तूनों का अपमान हैं जो तालिबान से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। हज़ारों पश्तून, पश्तून नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता तालिबान की आतंकवादी गतिविधियों में अपनी जान गंवा चुके हैं।"
 
उन्होंने यह भी लिखा कि, "यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री ने तालिबान को पश्तूनों के प्रवक्ता के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। इसलिए हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री अपने शब्दों को वापस लें और इन झूठे दावों और पश्तूनों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए माफ़ी मांगें।"
 
इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू में और क्या कहा?
इमरान ख़ान ने मिडिल ईस्ट आई को बताया कि "जब हम अमेरिका के सहयोगी बने, तो वे (तालिबान) हमारे ख़िलाफ़ हो गए। उन्होंने हमें अमेरिका का सहयोगी कहा और पाकिस्तान पर हमलावर हुए और ख़ुद को पाकिस्तानी तालिबान कहने लगे। अमेरिका के सहयोगी बनने से पहले ऐसा नहीं था।"
 
उन्होंने कहा, "एक समय था जब लगभग 50 अलग-अलग समूह ख़ुद को तालिबान कहते थे और जो हम पर हमला कर रहे थे। पाकिस्तान में 16 हज़ार आतंकवादी हमले हुए। उनमें 80 हज़ार पाकिस्तानी मारे गए। जैसे-जैसे अमेरिका की उपस्थिति (अफ़ग़ानिस्तान में) कम होती रही, वैसे वैसे इस आंदोलन की धार कम होती गई, क्योंकि अब हम (अमेरिका के) सहयोगी नहीं थे।''
 
"हम अब सहयोगी नहीं हैं क्योंकि अब हम किसी का साथ नहीं दे रहे हैं जो पश्तूनों से लड़ रहा हो... अब हम उन लोगों के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे सुलह हो सकती है क्योंकि हमारी स्थिति मज़बूत है।''
 
इमरान ख़ान ने यह भी कहा, "मैंने हमेशा से यही माना है कि सभी सशस्त्र विरोध बातचीत से ही ख़त्म होते हैं। जैसे आईआरए (आयरिश रिपब्लिकन आर्मी) के साथ हुआ। अब हम उनसे मज़बूत स्थिति के साथ बात करना चाहते हैं क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ग़ान तालिबान ने हमें आश्वासन दिया है कि वे अफ़ग़ान धरती से हम पर हमले नहीं होने देंगे।"
 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, "बहुत से लोग (आतंकवाद विरोधी अभियानों में) कोलैटरल डैमेज की वजह से टीटीपी का हिस्सा बन गए। पश्तून संस्कृति में, सम्मान की बात यही है कि अगर परिवार के किसी सदस्य को किसी ने मार दिया है, तो उन्हें बदला लेना पड़ता है और बदला लेने के लिए वे दूसरे गुट में शामिल हो जाते हैं।"

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Chunav : रायबरेली में प्रियंका गांधी संभाल रहीं भाई राहुल का चुनावी कैंपेन, PM मोदी को लेकर लगाया यह आरोप

Sandeshkhali Case : बैरकपुर में प्रधानमंत्री मोदी का दावा, बोले- प्रताड़ित महिलाओं को धमका रहे TMC के गुंडे

केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में दी 10 गारंटी, कहा फेल हुआ भाजपा का प्लान

Gold ETF से निवेशकों ने अप्रैल में निकाले 396 करोड़, जानिए क्‍या है कारण...

FPI ने मई में की 17000 करोड़ से ज्‍यादा की निकासी, चुनाव काल में क्‍या है विदेशी निवेशकों का रुख

15000 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन, 24GB तक रैम और 60 दिन चलने वाली बैटरी

53000 रुपए की कीमत का Google Pixel 8a मिलेगा 39,999 रुपए में, जानिए कैसे

Apple Event 2024 : iPad Pro, iPad Air, Magic Keyboard, Pencil Pro एपल ने लूज इवेंट में किए लॉन्च

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

अगला लेख