इस लड़की के हैं तीन 'माता-पिता'

Webdunia
मंगलवार, 2 सितम्बर 2014 (08:21 IST)
- शारलेट प्रिचार्ड (बीबीसी रेडियो 4)

एक मां और एक पिता की संतान में तो कुछ भी असामान्य नहीं है। लेकिन अगर किसी बच्चे के शरीर में तीन लोगों का डीएनए हो तो?
 
कुछ ऐसा ही मामला है अलाना सारीनेन का और दुनिया में ऐसे गिने चुने ही किस्से हैं। अलाना सारीनेन को गोल्फ खेलना, पियानो बजाना, संगीत सुनना और दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है। इन सब आदतों को देखते हुए वह दुनिया की दूसरी किशोरियों की तरह ही है, लेकिन असल में उनसे भिन्न हैं।
 
तीसरा व्यक्ति कैसे बनता है बच्चे का बॉयोलॉजिकल मां या बाप?- पढ़ें पूरी रिपोर्ट
 
अलाना कहती हैं, 'कई लोग मुझसे कहते हैं कि मेरा चेहरा मेरी मां से मिलता है, मेरी आंखे मेरे पिता की तरह हैं। वगैरह-वगैरह।। मुझे कुछ विशेषताएं उनसे मिली हैं और मेरी शख्सियत भी कुछ उनकी ही तरह है।'
 
वह कहती हैं, 'मेरे शरीर में एक और महिला का भी डीएनए है। लेकिन मैं उन्हें अपनी दूसरी मां नहीं मानती, मेरी शरीर में उनके कुछ माइटोकॉन्ड्रिया हैं।'
 
माइटोकॉन्ड्रिया का महत्व : माइटोकॉन्ड्रिया किसी भी कोशिका के अंदर पाया जाता है जिसका मुख्य काम कोशिका के हर हिस्से में ऊर्जा पहुंचाना होता है। इसी कारण माइटोकांड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है।
 
माइटोकॉन्ड्रिया की एक खासियत यह है कि यह सिर्फ मां से ही विरासत में मिलते हैं, पिता से कभी नहीं। अलाना दुनिया की उन 30 से 50 लोगों में से एक हैं, जिनके शरीर में किसी तीसरे व्यक्ति के कुछ माइटोकॉन्ड्रिया हैं और इसी वजह से कुछ डीएनए भी।
 
अमेरिका के एक मशहूर इनफर्टिलिटी केंद्र में उपचार के बाद वह गर्भ में आई थीं, जिस पर बाद में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
 
कब जरूरी होती है ये तकनीक : लेकिन, जल्द ही अलाना जैसे लोगों की तादाद बढ़ सकती है, क्योंकि ब्रिटेन अनुवांशिक बीमारी को खत्म करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया लेने की नई तकनीकी को कानूनी दर्जा दे सकता है।
 
 
इसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट कहा जाता है और अगर ब्रितानी संसद से इसे मंजूरी मिल जाती है तो ब्रिटेन तीन लोगों के डीएनए लेकर पैदा होने वाले बच्चों को कानूनी वैधता देने वाला पहला देश होगा।
 
दरअसल, अलाना की मां शेरोन सारीनेन दस साल से आईवीएफ तकनीक से मां बनने का प्रयास कर रही थी।
 
शेरोन कहती हैं, 'मैं अयोग्य महसूस कर रही थी। मुझे अपराधबोध हो रहा था कि मैं अपने पति को एक बच्चा नहीं दे पा रही हूं। मैं सो नहीं सकती थी और चौबीसों घंटे मेरे दिमाग में यही सब चलता रहता था।'
 
साइटोप्लास्मा : 1990 के दशक में विकसित साइटोप्लास्मिक ट्रांसफर टेस्ट ट्यूब बेबी की उन्नत तकनीक है, जिसमें शुक्राणु को एक अंडाणु में डाला जाता है।



अमेरिका के न्यूजर्सी में डॉक्टर ज्याक कोहेन ने एक महिला के साइटोप्लास्म को शेरोन के अंडाणु में स्थानांतरित किया। इसके बाद उसे उसके पति के शुक्राणु के साथ फर्टिलाइज किया गया।

माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी के चलते बर्नार्डी के सात बच्चों की मृत्यु हो गई थी। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ माइटोकॉन्ड्रिया भी स्थानांतरित हुआ और उस महिला का कुछ डीएन भी भ्रूण में पहुंच गया।

शेरोन कहती हैं कि उनकी बेटी अलाना स्वस्थ और अन्य किशोरियों की तरह है।

वह कहती हैं, 'मैं इससे बेहतर बच्चे की इच्छा नहीं रख सकती थी। वह कुशाग्र और सुंदर है। उसे गणित और विज्ञान पसंद हैं। जब वो पढ़ नहीं रही होती है तो घर के काम में मेरी मदद करती है।'
 

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