वैज्ञानिकों ने विकसित की ऑक्सीजन बनाने की किफायती तकनीक

Webdunia
गुरुवार, 29 अप्रैल 2021 (14:23 IST)
नई दिल्ली, देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेहद गंभीर है। दिन- प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या ने देश में मेडिकल आपातकाल जैसी स्थिति है। गंभीर कोरोना संक्रमित मरीज जिन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है उन्हें ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड रहा है।

देश में ऑक्सीजन की कमी का संकट इतना गंभीर है कि इसकी तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश भर में ऑक्सीजन ट्रेन चलाई जा रही है और ऑक्सीजन के टेंकरों को एयरलिफ्ट भी किया जा रहा है। इसके साथ ही अन्य देशों से भी ऑक्सीजन आयात की जा रही है। केन्द्र सरकार ने यह निर्देश भी जारी किए हैं कि फिलहाल केवल मेडिकल प्रयोग के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी।

इसी बीच भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) ने एक कम लागत का ऑक्सीजन कन्संट्रेटर विकसित किया है। आईआईएसईआर भोपाल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की लागत 20 हजार रूपये से कम है और यह 3 लीटर प्रति मिनट की दर से 93 से 95 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करने में सक्षम है। आईआईएसईआर भोपाल ने इसका नाम ‘ऑक्सीकॉन’ रखा है।

इस ‘ऑक्सीकॉन’ यंत्र में दो कंप्रेसर हैं। इनके माध्यम से हवा जियोलाइट नामक पदार्थ से भरी दो वाहिकाओं में अधिकतम दबाव के साथ गुजारी जाती है। वैकल्पिक चक्रों में इन दोनों वाहिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है और इसके लिये विद्युतीय तरीके से नियंत्रित वाल्व का प्रयोग किया जाता है जिससे यह प्रक्रिया स्वचालित होती है और ऑक्सीजन मिलती है। जियोलाइट वह पदार्थ है जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को अवशोषित कर उसे वापस हवा में छोड़ देता है जिससे यंत्र के निकास द्वार पर हवा में ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ जाती है।

आईआईएसईआर भोपाल के निदेशक प्रोफेसर शिव उमापति ने कहा है कि ‘ऑक्सीकॉन’ को ‘ओपन-सोर्स’ तकनीक और सामग्री से विकसित किया गया है जिससे इसकी इसकी कम करने में मदद मिली है। उन्होने बताया कि इसको इस प्रकार तैयार किया गया है कि इसे छोटे गांवों से लेकर शहर तक कहीं भी ले जाया जा सकता है और इसका उपयोग किया जा सकता है। ओपन सोर्स तकनीक ऐसे सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है जो यूज, डिस्ट्रीब्यूशन और अल्टरेशन के लिये स्वतंत्र होती है जिससे इसकी लागत कम होती है।

उन्होने आगे कहा कि आईआईएसईआर भोपाल ने इससे पहले भी समय के अनुरूप मास्क, निगरानी जैसे उपकरणों और कई अन्य उपयोगी तकनीकों का विकास किया है और अब ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए ऑक्सीकॉन उपकरण बनाया है। उन्होने कोविड के उपचार में दवाओं को पुनुरुद्देशित करने की दिशा में संस्थान द्वारा किये जा रहे शोध में भी उल्लेखनीय प्रगति की बात भी कही है। “आईआईएसईआर  कोविड-19 महामारी के समाधान और उससे संबंधित आविष्कारों में सहयोग के लिए उद्योगों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है” प्रोफेसर उमापति ने बताया

आईआईएसईआर भोपाल में विद्युत अभियांत्रिकी और कंप्यूटर विज्ञान के सहायक प्रोफेसर मित्रदीप भट्टाचार्य ने कहा है कि इस डिवाइस की तुलना पहले से ही विकसित और बाजार में उपलब्ध अन्य वाणिज्यिक प्रणालियों से की गई है। हमे सकारात्मक और उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए हैं। हम प्रणाली को सुधारने और बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने तथा आवश्यक परीक्षण और अनुमोदन के बाद इसको तैनात करने के लिए सक्रिय रूप से औद्योगिक सहयोग की तलाश में जुटे हैं। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Dharali : क्या है कल्पकेदार शिव मंदिर की कहानी, धराली आपदा में फिर धरती में समाया, कितना पुराना, लोगों में क्यों अनहोनी का डर

सेविंग अकाउंट्‍स में नॉमिनी के दावा निपटान के लिए RBI उठाने जा रहा यह बड़ा कदम

रेल यात्रियों के लिए सिर्फ 45 पैसे में बीमा, ऐसे मिलेगा 10 लाख रुपए तक का लाभ

सिद्धू मूसेवाला की प्रतिमा पर लॉरेंस गैंग ने की फायरिंग, दिवंगत सिंगर की मां बोलीं- हमारी आत्मा पर जख्म है...

WhatsApp का नया सुरक्षा फीचर, अनजान ग्रुप में जोड़ने पर करेगा आगाह

सभी देखें

नवीनतम

कुत्ते इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त, उनके साथ अच्छा व्यवहार हो, दिल्ली हाईकोर्ट ने क्‍यों की यह टिप्‍पणी

UP : धर्म छिपाकर की शादी, युवती का कराया गर्भपात, आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज

Delhi : अन्यायपूर्ण, अनुचित और असंगत, डोनाल्ड ट्रैप के टैरिफ बढ़ाने पर भारत क्या लेगा एक्शन

बिना एक भी रुपया लगाए भारत से हजारों करोड़ कमा रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप

Assam : अतिक्रमणकारियों के खिलाफ जारी रखें प्रदर्शन, मुख्यमंत्री हिमंत ने लोगों से की अपील

अगला लेख