‘वर्क फ्रॉम होम’ के बाद अब ‘वर्क फ्रॉम हिल’... यह है ‘काम का नया कॉन्‍सेप्‍ट’

नवीन रांगियाल
वर्क फ्रॉम होम कॉन्‍सेप्‍ट से सामने आई नई तकलीफें
तंग आकर कंपनियों ने शुरू किया ‘वर्क फ्रॉम हिल’

गूगल पर की-वर्ड डालिए... ‘वर्क फ्रॉम हिल’। यह सर्च करते ही आपको आपको अहसास होगा कि आप झरनों, ठंडी हवाओं और ऊंचे पहाड़ों के बीच कहीं बैठकर अपने लैपटॉप पर काम कर रहे हैं।

कोरोना काल के बाद लागू हुए लॉकडाउन के बाद दुनिया में यह एक नया कॉन्‍सेप्‍ट आया। क्‍योंकि जिंदगी रुक नहीं सकती, काम तो करना होगा, भले घर से ही क्‍यों नहीं।

लेकिन घर से काम करने की अपनी दिक्‍कतें हैं, मेंटल हेल्‍थ, बैठने का पोस्‍चर, घर और ऑफिस के काम का घालमेल और इसके साथ ही तमाम तरह की दिक्‍कतें हैं तो वर्क फ्रॉम होम से मिली हैं। ऐसे में अब नया ट्रेंड है वर्क फ्रॉम हिल।

दरअसल ‘वर्क फ्रॉम हिल’ कई कंप‍नियां का एक नया वर्क स्‍टेशन है। देश और दुनिया की कई कंपनियां यह नया ट्रेंड लेकर आई हैं। उत्तराखंड, हिमाचल में कई रिजॉर्ट्स एवं होम स्टेज हैं, जो पेशेवर लोगों को वर्केशन यानी वर्किंग वेकेशन की सुविधा दे रहे हैं।

मतलब कोरोना, लॉकडाउन और अवसाद से घि‍रे कर्मचारियों को वादियों, पहाड़ों के बीच कुछ दिन काम करने के लिए पैकेज दिए जा रहे हैं। इसके लिए उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक में होमस्टेज, रिजॉर्ट्स, होटल्स नई योजनाएं, स्कीम व पैकेज की पेशकश कर रही हैं।

कई ऐसे कर्मचारियों के अनुभव भी मीडि‍या में आए हैं जिन्‍होंने काम के लिए नए पहाि‍यों और वादियों को अपने वर्क स्‍टेशन के तौर पर चुना और इसके बाद उनके काम की गुणवत्‍ता और प्रॉडक्‍टि‍विटी में बेहतरीन इजाफा हुआ। ऐसे में अब यह नया कॉन्‍सेप्‍ट लगातार लोकप्र‍िय होता जा रहा है।

दुनिया की कई कंपनियों ने यह कॉन्‍सेप्‍ट शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, कई ऊंचे ओहदे के कर्मचारी इसी को फॉलो कर रहे हैं, यानि‍ वे काम करने के लिए किसी हिल स्‍टेशन को चुन रहे हैं या किसी पहाड़ी इलाके को। कोई रिजॉर्ट पर जा रहा है तो कोई किसी आयलेंड पर। यह सब हो रहा है अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक। जिसकी जितनी हैसियत वो उतना कंफर्ट चुन सकता है अपने काम करने के लिए।

क्‍यों हुआ ऐसा?
कोरोना के बाद कई देशों ने लॉकडाउन लगा दिए। लॉकडाउन में भी काम-काज को जारी रखने के लिए वर्क फ्रॉम होम को चुना गया। कुछ दिनों तक तक घर पर काम करना बेहद आरामदायक और सुवि‍धाजनक रहा, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसकी अपनी दिक्‍कतें सामने आने लगीं। कुछ सर्वे और रिपोर्ट की माने तो इससे घर में बैठे-बैठे कई तरह की मेंटल हेल्‍थ डि‍सीज और अन्‍य शारीरिक बीमारि‍यों को जन्‍म दिया। जैसे कमर दर्द की तकलीफ, स्‍लीप डि‍स्‍क प्रॉब्‍लम। सिर दर्द, उबाऊपन, चिड़चिड़ापन, स्‍ट्रेस आदि होने लगा। इसके साथ ही दिन-रात साथ में रहने से रिश्‍तों में भी खटास आने लगी और बात-बात पर अनबन होने लगी। ऐसे में काम के एक नए कॉन्‍सेट का जन्‍म हुआ, जिसे कहा गया। वर्क फ्रॉम हिल।

घर से दूर इस नए नॉर्मल में यह सारी दिक्‍कतें दूर हो रही हैं तो वहीं काम की गुणवत्‍ता भी सामने आ रही हैं। धीरे-धीरे यह कॉन्‍सेप्‍ट लोकप्रि‍य हो रहा है, हालांकि सभी कंपनियों और कर्मचारियों के लिए यह करना इतना आसान भी नहीं है।

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

अरविंदर लवली इस्तीफा : कांग्रेस की दिल्ली इकाई में गुटबाजी, बाबरिया के खिलाफ गुस्सा

तिहाड़ में CM केजरीवाल से नहीं मिल पाएंगी पत्नी सुनीता केजरीवाल, जेल प्रशासन ने रद्द की इजाजत

भारत यात्रा रद्द कर अचानक चीन पहुंचे टेस्ला के मालिक एलन मस्क, PM ली कियांग से की मुलाकात

प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो का मामला, इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

Lok Sabha Election : कांग्रेस का बड़ा आरोप, दूसरे चरण से हताश PM मोदी फैला रहे डर

E mail में गोवा हवाई अड्डे पर बम रखा होने का किया दावा, सुरक्षा बढ़ाई

Weather Update: उत्तर से दक्षिण भारत तक भीषण गर्मी का तांडव, बंगाल में लू का अलर्ट

इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम का नामांकन वापस लेना जीतू पटवारी की बड़ी हार!

इंदौर लोकसभा प्रत्याशी अक्षय बम ने नामांकन वापस लिया, मप्र में कांग्रेस को बड़ा झटका

पाकिस्तान में जज को ही कर लिया किडनैप, फिर ऐसे किया रिहा

अगला लेख