देश के 4 राज्‍यों में बाढ़ से हाहाकार, Mansoon Shifting का ये कैसा पैटर्न, बारिश ने क्‍यों धारण किया रौद्र रूप?

नवीन रांगियाल
What kind of pattern of Mansoon Shifting is this : गुजरात से लेकर राजस्‍थान, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना तक। उधर उत्‍तराखंड से हिमाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा तक। देश के जिस भी राज्‍य में देखो वहां इस बार बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। गुजरात, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में तो अब भी भारी बारिश का सिलसिला थमा नहीं है। बारिश से भारत में हजारों गांव प्रभावित हुए, सैकड़ों लोग मारे गए। चार राज्‍यों में आई बाढ़ ने हालात पूरी तरह से तहस नहस कर दिए हैं।

सवाल यह है कि आखिर क्‍यों पिछले कुछ सालों से कहीं भारी बारिश हो रही है तो कहीं कम बारिश है। राजस्‍थान के रेगिस्‍तान में जहां बारिश नहीं होती थी, वहां भी बाढ़ ने तबाही मचाई। क्‍या इसके पीछे gravitational potential, Cyclone, Climate change है। क्‍या होते हैं यह सब? जानते हैं क्‍या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक और विशेषज्ञ?


ग्रेविटेशनल पोटेंशियल (gravitational potential) से बदला मौसम : होल्कर विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ राम श्रीवास्तव ने वेबदुनिया को बताया कि दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम शिफ्ट हुआ है और मौसम शिफ्ट होने की वजह से ऐसे राज्यों में भारी बारिश हो रही है, जहां कभी कम या सामान्य होती थी। साइक्लोनिक क्लस्टर पर बारिश निर्भर करती है। जमीन के अंदर या केंद्र में 3 किमी की सिंगल क्लस्टर ऑफ आयरन मौजूद उसकी गति में जर्क आने लगा है, हिचकोले खाता है, वो धीरे घूमता है। इसे ग्रेविटेशनल पोटेंशियल (gravitational potential) कहा जाता है। इसी की वजह से बारिश कम या ज्यादा होती है।
अचानक क्यों होती है मूसलाधार बारिश : इन दिनों बारिश का पैटर्न बहुत तीव्र है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तीव्र और लंबे समय तक बारिश के कई कारण हैं। मुख्य कारण वातावरण में नमी की मात्रा है। यदि बहुत अधिक नमी मौजूद है, तो भारी बारिश की संभावना रहती है। लेकिन अगर नमी कम है तो बारिश कम होगी। इसके अलावा एक और कारण है वायुमंडल का तापमान। यदि वातावरण गर्म है, तो हल्की बारिश होगी और यदि वातावरण ठंडा है तो भारी बारिश होगी।

पृथ्वी का तापमान एक वजह : पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी का बढ़ना भी तेज बारिश की वजह बनता है। प्रचंड गर्मी के दिनों में सतह के पास की हवा अस्थिर रहती है। बता दें कि यह अस्थिरता ऐसे बादलों का निर्माण करती है, जिसके चलते तूफान और भारी बारिश आती है।

क्‍या तबाही मचा रहा बदला हुआ मौसम?
गुजरात में बाढ़ से मौतें :
गुजरात पिछले एक सप्ताह से जारी भारी बारिश के कारण भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। सिर्फ चार दिनों में बारिश जनित दुर्घटनाओं में करीब 47 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें जामनगर में 7, आणंद में 6 और अहमदाबाद में 6 लोगों की मौत हुई है। जिसके बाद कच्छ में 3, खेड़ा में 3, महिसागर में 3, वडोदरा में 3, सुरेंद्रनगर में 3, गांधीनगर में 2, छोटाउदेपुर में 2, दाहोद में 2, भरूच में 2, अरावली में 1, डांग में 1, में 1 की मौत हो गई है। देवभूमि द्वारका में 1, पंचमहल में 1 और मोरबी में 1 की मौत हुई। (यह आंकड़ा 25 से 30 अगस्‍त के बीच का है)

कच्छ और सौराष्ट्र सबसे बेहाल : इसी डीप डिप्रेशन के कारण गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है। इसके चलते पूर्व-मध्य गुजरात में 105 फीसद से अधिक बारिश दर्ज की गई। उत्तरी गुजरात में औसत रूप से 87 प्रतिशत बारिश हुई। वहीं, क्षेत्रवार आकलन करें तो कच्छ में सबसे ज्यादा 177 फीसद बारिश दर्ज हुई। सौराष्ट्र में 124 प्रतिशत से अधिक और दक्षिण गुजरात में 111 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई। चूंकि डीप डिप्रेशन कच्छ और सौराष्ट्र के ऊपर से गुजर रहा था, इसलिए वहीं सबसे अधिक प्रभाव भी पड़ा।

आंध्रप्रदेश में बाढ़ से 4.5 लाख लोग प्रभावित : आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के बाद बाढ़ का कहर जारी है। वर्षाजनित हादसों में 15 लोगों की मौत हो गई। करीब 4.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। विजयवाड़ा का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है। राहत और बचाव कार्य में NDRF और SDRF की 39 टीमें जुटी हुई हैं।

तेलंगाना में भी बाढ़ से बुरा हाल : तेलंगाना में बारिश की वजह से हादसों में 16 लोगों की मौत हुई है। बाढ़ की वजह से 1.5 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर लगी फसलें तबाह हो गई। शुरुआती तौर पर 5,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर खम्मम में दिखा।

ट्रेन यातायात पर असर : तमिलनाडु और तेलंगाना ही नहीं अन्य राज्यों में भी बाढ़ के दौरान सैकड़ों ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। इन दोनों राज्यों में ही भारी बारिश और कई स्थानों पर पटरियों पर जलभराव के कारण 432 ट्रेनें रद्द कर दी गईं, 139 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं।

क्‍या इसका कोई अंत है : सवाल उठता है कि क्‍या देशभर में बदले इस मानसून चक्र और इसकी तीव्रता को रोकने या कंट्रोल करने के लिए कोई तरीका या उपाय है तो इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। वैज्ञानिकों और इस विषय के जानकारों का कहना है कि शहर जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं। विकास हो रहा है, जंगल कट रहे हैं, सड़कें, पुल, इमारतें और हर चीज का जिस तरह से सीमेंटीकरण हो रहा है, तमाम तरह की परिजयोनाएं आ रही हैं, पहाड़ कट रहे हैं और नदियों का रुख बदल रहा है। ऐसे में फिलहाल तो इसका कोई हल नजर नहीं आता। दुनिया को इस नए खतरे और बदलाव के तहत अपनी तैयारी रखना होगी।

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