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Maharaja Chhatrasal: बुंदेलखंड के महान योद्धा, महाराजा छत्रसाल, जानें उनसे जुड़ी 10 अनसुनी बातें

WD Feature Desk
शनिवार, 6 दिसंबर 2025 (16:35 IST)
Maharaja Chhatrasal Sacrifice Day: बुंदेलखंड के महान योद्धा और 'बुंदेलखंड केसरी' के नाम से प्रसिद्ध महाराजा छत्रसाल की पुण्यतिथि दिसंबर माह में पड़ती है। उनका जीवन साहस, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की एक अद्भुत गाथा है। उनका नाम भारतीय इतिहास में एक वीर, साहसी और कर्तव्यनिष्ठ शासक के रूप में दर्ज है।ALSO READ: Ambedkar philosophy: दार्शनिक और प्रसिद्ध समाज सुधारक डॉ. बी.आर. अंबेडकर के 10 प्रेरक विचार

यहां वेबदुनिया के प्रिय पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 सबसे रोचक और महत्वपूर्ण बातें....
 
जीवन और व्यक्तित्व से जुड़ी 10 बातें:
 
1. बुंदेलखंड के शिवाजी: छत्रसाल छत्रपति शिवाजी महाराज से अत्यधिक प्रेरित थे। अत: उनके शौर्य, छापामार युद्ध नीति और मुगलों के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष के कारण 'बुंदेलखंड का शिवाजी' कहा जाता है। 
 
2. शिवाजी महाराज से भेंट और प्रेरणा: 
छत्रसाल ने 22 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र जाकर शिवाजी महाराज से भेंट की थी। शिवाजी ने उन्हें यह कहकर प्रेरित किया था कि "तुम मुगलों से अपने क्षेत्र बुंदेलखंड को मुक्त कराने के लिए लड़ो, मैं तुम्हें प्रेरणा और मार्गदर्शन दूंगा।" शिवाजी की प्रेरणा उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट थी।
 
3. तलवारबाजी में अद्वितीय कौशल: 
छत्रसाल ने बचपन से ही युद्ध कला और तलवारबाजी में महारत हासिल कर ली थी। कहा जाता है कि उन्होंने कई युद्धों में अपने से कई गुना बड़ी सेनाओं को केवल अपने शौर्य और रणनीति के बल पर पराजित किया था।
 
4. गुरु प्राणनाथ का आशीर्वाद: 
उनके आध्यात्मिक गुरु महामति प्राणनाथ थे। गुरु प्राणनाथ ने ही उन्हें युद्ध के लिए प्रेरित किया, विजय का आशीर्वाद दिया और उन्हें धन-संपत्ति के लिए प्रेरित किया, जिससे वे अपनी सेना और राज्य का विस्तार कर सकें। पन्ना में आज भी प्राणनाथ जी का मंदिर प्रसिद्ध है।
 
5. पन्ना में हीरे की खानों की खोज: 
उनके शासनकाल में ही पन्ना में हीरे की खानों की खोज हुई। इस अपार धन संपदा ने उन्हें अपनी सेना को मजबूत करने और मुगलों के खिलाफ लंबे युद्ध को जारी रखने में सक्षम बनाया।
 
6. 'दो पाटों के बीच का राजा': 
छत्रसाल का राज्य दो बड़ी शक्तियों के बीच फंसा था, एक तरफ मुगल साम्राज्य और दूसरी तरफ मराठा शक्ति। उन्होंने अपनी कूटनीति से इन दोनों शक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखा और बुंदेलखंड की संप्रभुता की रक्षा की।
 
7. पेशवा बाजीराव को भाई मानना
अपने जीवन के अंतिम चरण में, जब मुगल गवर्नर मुहम्मद खान बंगश ने उन पर हमला किया, तो 80 वर्षीय छत्रसाल ने मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम से मदद मांगी। उन्होंने बाजीराव को अपना तीसरा बेटा मानते हुए अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा देने की पेशकश की, जो मराठा-बुंदेलखंड संबंध का आधार बना।
 
8. एक कुशल प्रशासक और कला प्रेमी: 
छत्रसाल केवल योद्धा नहीं थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने अपने राज्य में शांति, न्याय और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित की। वह कला, साहित्य और कविता के महान संरक्षक थे। उनके दरबार में कई कवि और विद्वान थे।
 
9. हिन्दी कविता के संरक्षक: 
उन्हें हिन्दी कविता के प्रमुख संरक्षक के रूप में जाना जाता है। प्रसिद्ध कवि भूषण, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल दोनों पर कविताएं लिखीं, उनके दरबार के रत्न थे।
 
10. विशाल बुंदेलखंड राज्य की स्थापना:
छोटी-सी शुरुआत के बाद, उन्होंने बुंदेलखंड में एक विशाल स्वतंत्र राज्य की स्थापना की, जो पूर्व में यमुना नदी से लेकर पश्चिम में ग्वालियर तक और उत्तर में कालिंदी नदी से लेकर दक्षिण में नर्मदा तक फैला हुआ था।
 
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