Dharma Sangrah

Shardiya navratri 2025: मालवा के 9 खास दुर्गा मंदिर, जहां जाकर होगी मन्नत पूरी

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 15 सितम्बर 2025 (13:22 IST)
Shardiya navratri 2025: मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में शारदीय नवरात्रि का उत्वस धूमधाम से मनाया जाता है। देवास में आध्यात्मिक महौल में दुर्गा पांडाल और गरबा उत्सव का नजारा देखते ही बनता है, वहीं इंदौर में गरबा उत्सव की बहुत ज्याद प्रचलन है। धार, झाबुआ, ग्वालियर, सागर, रतलाम, देवास, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, सीहोर, शाजापुर, शुजालपुर, रायसेन, राजगढ़ तथा विदिशा जिले आते हैं। आओ जानते हैं मालवा प्रांत के खास चमत्कारिक दुर्गा मंदिर जहां जाकर होगी आपकी मन्नत पूर्ण।
 
1. देवास: इंदौर से 30 किलोमीर दूर देवास शहर में एक पहाड़ी पर मां तुलजा भवानी और माता चमुंडा का मंदिर है जहां कि मूर्ति स्वयंभू है। यहां पर नवरात्रि पर्व के दौरान प्रतिदिन करीब 2 लाख लोग दर्शन करने आते हैं। अष्टमी और नवमी के दिन यह संख्या दोगुनी से तीन गुनी हो जाती है। कहते हैं कि जहां पर भी माता सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ और जहां पर भी रक्त गिरा वहां पर रक्त पीठ निर्मित हो गए। देवास में माता का रक्त गिरा था। इसीलिए इस जगह का खास महत्व है।
 
2. इंदौर: इंदौर में माता विजासन का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर भी मां वैष्णोदेवी की मूर्तियों के समान स्वयंभू पाषाण की पिंडियां हैं। यहां पर एक टेकरी पर यह माताएं विराजमान हैं। पहली बार होलकर राजघाराने के किसी सदस्य की यहां पर नज़र पड़ी तब यहां पर मंदिर बनाया गया। पुरातन तंत्र विद्या पत्रिका 'चंडी' में इंदौर के बिजासन माता मंदिर में विराजमान नौ दैवीय प्रतिमाओं को तंत्र-मंत्र का चमत्कारिक स्थान व सिद्ध पीठ माना गया है। किसी समय बुंदेलखंड के आल्हा-उदल अपने पिता की हत्या का बदला लेने मांडू के राजा कडांगा राय से लेने यहां आए, तब उन्होंने बबरी वन (बिजासन) में मिट्टी-पत्थर के ओटले पर सज्जित इन सिद्धिदात्री नौ दैवीयों को अनुष्ठान कर प्रसन्न किया और मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। तब से देवी को बिजासन माता के नाम से जाना जाता है।
 
3. नलखेड़ा: मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।
 
4. मय्यर: सतना जिले के मय्यर में  त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है। मैहर का मतलब है मां का हार। माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है। करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं। दाएं नृसिंह और बाएं भैरव और पहरा हनुमान लगाते हैं। यहां माता शारदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 559 में की गई थी।
 
5. इकलेरा: पीपलरांवा के पास इकलेरा में माताजी का प्राचीन मंदिर है। समीपवर्ती ग्राम इकलेरा माताजी की पहाड़ी पर स्थित मां बिजासन का मंदिर बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। करीब 865 साल पहले इकलेरा की पहाड़ी पर चट्टानों को चीरकर मां बिजासनी प्रकट हुई थी।तब से ही इकलेरा गांव का नाम इकलेरा माताजी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। 
 
6. पाडल्या माताजी का मंदिर: सारंगपुर के पास पाड़ल्या में भी बिजासन माता का एक मंदिर है। यहां की माता को भेसवामाता भी कहते हैं। प्रतिवर्ष माघ माह की बसंत पंचमी से पुर्णीमा तक एवं मेला का समापन पूर्णिमा की रात्री में माँ भैसवामाता (बिजासन माता मंदिर) की पालकी पहाडी के मुख्य मंदिर से ग्राम भैसवामाता के समस्त देवस्थानो पर होते हुए वापस मुख्य मंदिर तक नगर भ्रमण होता है |
 
7. उज्जैन: मध्यप्रदेश के उज्जैन में शक्तिपीठ और रक्तपीठ दोनों ही पीठ हैं। महाकाल क्षेत्र में माता रहसिद्धि मंदिर है जो कि एक शक्तिपपीठ है। मान्यता है कि इस जगह पर देवी सती की कोहनी गिरी थी। यह राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी है। काल भैरव क्षेत्र में कालीघाट स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। 
 
8. अमरकंटकक: ‘शोण शक्तिपीठ’ मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी के उद्गम पर स्थित है। हिंदू धर्म के पुराणों के मुताबक, जहां भी देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे, वह स्थान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गया। ऐसा माना जाता है कि अमरकंटक में स्थित शोण शक्तिपीठ में माता सती का ‘दाहिना नितंब’ (कूल्हा) गिरा था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर सती का कंठ गिरा था। जिसके बाद यह स्थान अमरकंठ और उसके बाद अमरकंटक कहलाया। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।

9. विंध्यवासिनी बीजासन देवी मंदिर: सलकनपुर मंदिर, जिसे विंध्यवासिनी बीजासन देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर एक 800 फुट ऊंची पहाड़ी पर है, जो इसे भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थ स्थान बनाता है। यह मंदिर सीहोर जिले के रेहटी तहसील के पास सलकनपुर गाँव में स्थित है। यह भोपाल से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर देवी दुर्गा के एक रूप, विजयासन माता को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ने इसी स्थान पर राक्षस रक्तबीज का वध किया था और उस पर विजय प्राप्त की थी। इसी कारण उन्हें विजयासन देवी कहा जाता है। माना जाता है कि मंदिर में लगभग 400 साल से दो अखंड ज्योत जल रही हैं, जिनमें से एक तेल से और दूसरी घी से जलती है। मंदिर की स्थापना को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इसकी शुरुआत बंजारों ने की थी, जिन्हें देवी के आशीर्वाद से उनकी खोई हुई गायें वापस मिली थीं।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Diwali Muhurat 2025: चौघड़िया के अनुसार जानें स्थिर लग्न में दीपावली पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Bhai dooj 2025: कब है भाई दूज? जानिए पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2025: अन्नकूट और गोवर्धन पूजा कब है, जानिए पूजन के शुभ मुहूर्त

Diwali Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार दिवाली पर कौन सी चीजें घर से निकालें तुरंत?, जानें 6 टिप्स

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (19 अक्टूबर, 2025)

19 October Birthday: आपको 19 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 19 अक्टूबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Kali chaudas: नरक चतुर्दशी की रात काली चौदस पर होता है त्रिशक्ति तंत्र, धन का मिलता है आशीर्वाद

Diwali 2025: जानिए सुहाग पड़वा का क्यों है इतना महत्व, उत्सव के इस अवसर पर भेजिए ये सुंदर शुभकामनाएं

अगला लेख