एड्स-कोरोना से भी ज्‍यादा घातक हुआ TB, दुनिया में रोजाना हो रही 4400 लोगों की मौत, 2020 के बाद बढ़ा संक्रमण और मौत का ग्राफ

Webdunia
मंगलवार, 9 मई 2023 (14:33 IST)
यूक्रेन और सूडान जैसे देशों में टीबी की बीमारी बहुत तेज रफ्तार से फैल रही है। टीबी का संक्रमण इतना ज्‍यादा पसर रहा है कि जो लोग युद्ध की वजह से यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं, उन्‍हें ट्रैक करना मुश्‍किल हो गया है। आलम यह है कि टीबी जैसी पुरानी बीमारी को अब कोरोना और एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से ज्‍यादा घातक बताया जा रहा है।

सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि टीबी की वजह से इस वक्‍त दुनिया में रोजाना करीब 4 हजार 400 लोगों की जान जा रही है। बेहद चिंता वाली बात है कि इस आंकड़े में 700 बच्चे भी शामिल हैं।

अपने पुराने रूप में लौटा TB
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों और हेल्थ इंडस्ट्री से जुड़े अन्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि टीबी न सिर्फ घातक हो रहा है, बल्‍कि यह अब अपने पुराने स्‍वरूप में भी नजर आ रहा है। इसके लक्षण ठीक उसी तरह हैं जैसे कुछ साल पहले हुआ करते थे। खांसी और बलगम की तकलीफ के साथ खांसते-खांसते मुंह से खून आ रहा है। यह कोरोना महामारी के बाद देखने में आया है। यूक्रेन और सूडान में टीबी के मरीजों की संख्‍या उल्‍लेखनीय रूप बढ़ी है। यूक्रेन में तो पूरे यूरोपीय क्षेत्र में टीबी के अनुमानित लोगों की संख्या सबसे अधिक है।

4400 लोग रोज मर रहे टीबी से
टीबी को अब डॉक्‍टर्स और विशेषज्ञ इसलिए घातक मान रहे हैं, क्‍योंकि यह कोराना और एड्स से भी ज्‍यादा नजर आने लगा है। दरअसल,इस वक्‍त पूरी दुनिया में 4400 लोग रोजाना मारे जा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि टीबी बच्‍चों को भी अपना शिकार बना रहा है। मरने वालों में 700 बच्चे भी शामिल हैं।

वेबदुनिया ने मेदांता अस्‍पताल इंदौर के चेस्‍ट विशेषज्ञ डॉ तनय जोशी से टीबी को लेकर विशेष चर्चा की। आइए जानते हैं आखिर क्‍यों घातक रहा यह रोग और कैसे करे इससे बचाव।

कैसे करें कोराना और टीबी में फर्क : टीबी का संक्रमण ज्‍यादा गहरा होता है। लेकिन कोराना की तरह या किसी दूसरे फ्लू की तरह बहुत तेजी से नहीं फैलता। यह कम फैलता है, लेकिन ज्‍यादा घातक है। टीबी का बैक्‍टेरिया रोग प्रतिरोधक क्षमता के हिसाब से व्‍यक्‍ति पर अटैक करता है। इसमें स्‍मोकिंग और ड्रिंक करने वालों के साथ ही जिनकी इम्‍यूनिटी कमजोर होती है उन्‍हें शिकार बनाता है। हेल्‍दी फूड, एक्‍सरसाइज और इम्‍यूनिटी बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए।

किसे है टीबी से ज्‍यादा खतरा : डॉ तनय के मुताबिक पहले यह एक भ्रम था कि गरीब और पुअर सोशल इकोनॉमिक लोगों को ही टीबी होता है, लेकिन यह बच्‍चों, महिलाओं और बुर्जुगों के साथ ही किसी भी उम्र के व्‍यक्‍ति को हो सकती है। जिसका भी इम्‍यून रिस्‍पोन्‍स कम होता है उसे टीबी हो सकती है।

क्‍या है बचाव और इलाज : लक्षणों को पहचान कर तुरंत जांच करवाए। सामान्‍यतौर पर छह महीने के इलाज में टीबी ठीक हो सकता है। इलाज को बीच में न रोकें। पूरी दवाइयां लें। संक्रमण से दूसरे को बचाए। पूरी अहतियात बरतें। शासन एंड टीबी नाम से अभियान चला रहा है, उसके नियमों को फॉलो करें।

गरीबों के लिए योजनाएं : जहां तक भारत की बात है तो यहां अलग-अलग राज्‍यों में शासन गरीब लोगों के इलाज के लिए योजना चला रहा है। इसमें इलाज पूरी तरह से निशुल्‍क होता है, दवाइयां भी दी जाती हैं। मरीज को कुछ भी खर्च नहीं करना है। बल्‍कि इलाज लेने वाले मरीज को शासन एक तय राशि भी देती है। अलग- अलग जिलों में यह राशि अलग- अलग है। हर महीने यह राशि मरीज के बैंक अकाउंट में जमा होती है। यह उसके आहार-पोषण और दवाइयों के लिए दी जाती है।

कैसे पहचाने टीबी के लक्षण : डॉ तनय जोशी ने बताया कि टीबी के लक्षणों को पहचानना बहुत आसान है। उनहोंने बताया कि अगर इस तरह के लक्षण दिखाई दे तो टीबी हो सकती है। चेस्ट एक्स-रे से लेकर सीटी स्कैन : टीबी का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्स-रे सबसे प्रमुख डायग्नोसिस के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त कफ की जांच और सीटी स्कैन के बाद मरीज में टीबी होने के पूरे प्रमाण दिए जाते हैं। समय पर पता चलने पर टीबी रोग का इलाज किया जा सकता है। इसमें एंटीबायोटिक्स दी जाती है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए इसका इलाज लंबा चलता है। सामान्य टीबी के मरीज को भारत सरकार से अधिकृत डॉट्स का इलाज दिया जाता है, जो छह महीने तक चलता है। वही सक्रिय टीबी के मामले में मरीजों को लगभग नौ महीने की अवधि तक के लिए दवाइयां खाना पड़ती है।

2020 के बाद बढ़ा टीबी से होने वाली मौतों का ग्राफ
डब्लूएचओ के मुताबिक हर साल 16 लाख लोग टीबी की वजह से मरते है तो करीब 10 लाख नए लोग टीबी के मरीज के रूप में ग्रसित होते है। एक दशक से अधिक समय में पहली बार 2020 के बाद से टीबी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2020 में लगभग 99 लाख तो 2021 में एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी के कारण बीमार पड़ गए। वर्ष 2000 से टीबी को समाप्त करने के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से साते सात करोड़ लोगों की जान बचाई गई है। दुनिया भर में कुल टीबी मामलों में भारत का हिस्सा लगभग 26 प्रतिशत है। यही वजह है कि वर्ल्‍ड टीबी डे दुनियाभर में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
Written and Edited By navin rangiyal

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख