राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन INDIA का चेहरा बनने के साथ संसद में मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक होंगे?

विकास सिंह
शुक्रवार, 4 अगस्त 2023 (17:03 IST)
मोदी सरनेम में सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत मिलने को कांग्रेस पार्टी  के साथ विपक्ष की बड़ी जीत के रुप में देखा जा रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम केस में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की अपील लंबित रहने तक सजा पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी को अधिकतम दो साल की सजा दी गई लेकिन निचली अदालत ने ये कारण नहीं दिए कि क्यों अधिकतम दो साल की सजा दी गई। वहीं  हाईकोर्ट ने भी इस पर पूरी तरह विचार नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिलने के कई सियासी मायने है। पहला क्या अब राहुल गांधी संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अक्रामक तेवर में नजर आएंगे? वहीं कांग्रेस की अगुवाई में बन रहे विपक्षी गठबंधन INDIA का चेहरा बनकर राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में सीधे नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे? वहीं क्या राहुल गांधी के 2024 का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है।    

राहुल गांधी पर कांग्रेस को जोश हाई हैं!– राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस का जोश हाई है। कांग्रेस ने फैसले का सत्यमेव जयते कह कर स्वागत किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि यह जीत राहुल गांधी की जीत नहीं ब्लकि भारत के संविधान और लोकतंत्र की जीत हुई है। यह जीत सिर्फ राहुल गांधी की नहीं देश की जनता की जीत है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी को संसद से डिस्क्वालीफाई करने में 24 घंटे लगे थे अब देखते है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता कब बहाल होगी। कांग्रेस राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का इंतजार करेगी।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी ने कहा कि “आज नहीं तो कल,कल नहीं तो परसों सच्चाई की जीत होती है। मेरे दिमाग में आगे का रास्ता क्लियर है,मुझे क्या करना है, ये मेरे दिमाग में साफ है। जिन लोगों ने हमारी मदद की और जनता से जो प्यार और सपोर्ट दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 

राहुल होंगे विपक्षी गठबंधन INDIA का चेहरा?-सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ने कहा कि उनके मन में आगे का रास्ता क्लियर है। राहुल गांधी के इस बयान के कई सियासी मायने है। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष के 26 दलों के गठबंधन इंडिया की पटना और बेंगलुरु में हुई दो बैठकों में के बाद इस बात के साफ संकेत है कि कांग्रेस विपक्ष के इस महागठबंधन का नेतृत्व करेगी। हलांकि अब तक इस बात का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है कि मोदी के सामने विपक्षी गठबंधन का साझा चेहरा कौन होगा।

ऐसे में अब जब राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है और कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान अधिकतम सजा देने पर भी सवाल उठाए है तब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि आने वाले समय में राहुल गांधी को केस में बड़ी राहत मिल जाएं।

राहुल के सामने बड़ी चुनौती?-2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष दलों को चुनाव तक एकजुट रखना राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। खुद राहुल गांधी ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि सभी क्षेत्रीय दलों की अपनी-अपनी विचारधारा है और सभी दलों के बीच डिंफरेंसज भी होंगे, पर हम एक साथ काम करेंगे। हमारी जो विचारधारा उसकी रक्षा करेगी।

दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में अन्य दलों को अपने नेतृत्व में एक मंच पर लाना कांग्रेस के लिए एक टेढ़ी खीर है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने या उसको हराने के लिए सबसे जरूरी है विपक्ष की एकजुटता। राहुल ने विचारधारा की भिन्नता की बात स्वीकार करने के साथ विचारधारा की रक्षा की बात कर कांग्रेस के लचीले रवैया अपनाने के साफ संकेत दे दिए है। खुद राहुल गांधी को विपक्षी एकता में अपनी विचाराधारा की कुर्बानी देनी पड़ेगी।

क्या है पूरा मामला?-दरअसल पूरा मामला 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में जनसभा में राहुल गांधी के उस बयान से जुड़ा  है जिसमें उन्होनें मोदी सरनेम पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि "क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है"। राहुल के इस बयान के खिलाफ गुजरात के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक पुरनेश मोदी ने सूरत कोर्ट में एक मानहानि याचिका दायर की थी। इस मामले में सूरत कोर्ट में चार साल तक सुनवाई हुई और कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।

गौरतलब है कि इस पूरे मामले में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था। भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सज़ा का प्रावधान है। बाद गुजरात हाईकोर्ट ने भी फैसले को बरकरार रखा था जिसके खिलाफ राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट गए थे।

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